सागर जिला के मालथौन में 12 करोड़ रुपये की लागत से बने सिविल न्यायालय भवन का उद्घाटन मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति श्री सुरेश कुमार कैथ ने किया। इस मौके पर उन्होंने न्यायालय की प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने, और देरी को खत्म करने पर जोर दिया। साथ ही, न्यायालय भवन को कार्य स्थल के साथ-साथ कर्म स्थल भी बनाएं।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य
न्यायाधिपति श्री सुरेश कुमार कैथ ने
अपने संबोधन में कहा कि आज के डिजिटल युग में न्याय प्रणाली को भी आधुनिक तकनीकों
से जोड़ा जाना समय की आवश्यकता है। ई-प्रक्रिया को अपनाकर न्यायालयीन कार्यों में
पारदर्शिता, गति और सुविधा लाई जा सकती है।
इससे न केवल न्याय में तेजी आएगी, बल्कि आम नागरिकों को भी
सुलभ, सरल और सस्ता न्याय मिलेगा।
उन्होंने कहा
कि जब न्याय में देर होती है, तो समाज में
असंतोष बढ़ता है, और ये कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकता
है। इसलिए, न्यायाधीशों और वकीलों को मिलकर कोशिश करनी चाहिए
कि लम्बित केस जल्दी निपटें। उन्होंने न्यायपालिका के सभी सदस्यों से यह भी अनुरोध
किया कि वे अदालत को सिर्फ काम करने की जगह न समझें, बल्कि
इसे एक पवित्र जगह मानें, जहां समाज को न्याय देने का काम
किया जाता है।
इस लोकार्पण
समारोह में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति एवं सागर जिले के
पोर्टफोलियो जज श्री संजय द्विवेदी, प्रधान
जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री महेश कुमार शर्मा, विशेष
न्यायाधीश श्री प्रदीप सोनी, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब
न्यायालय श्री अखिलेश मिश्रा, विशेष न्यायाधीश श्री प्रशांत
कुमार, कलेक्टर श्री संदीप जी. आर., पुलिस
अधीक्षक श्री विकास शाहवाल सहित बड़ी संख्या में न्यायाधीश, अधिवक्ता,
अधिकारी और जनसमुदाय उपस्थित था।
उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति एवं सागर जिले के पोर्टफोलियो जज
श्री संजय द्विवेदी ने कहा कि भवन निर्जीव होता है, जिसे सजीव बनाने के लिए आप सभी का सहयोग आवश्यक
है। उन्होंने कहा कि यह भवन समय पर बना है, इसके लिए जिला
प्रशासन के कार्य को धन्यवाद देता हूं। इसी प्रकार तुरंत न्याय करने के लिए
न्यायाधीश एवं अधिवक्ता कार्य करें
समारोह में
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश महेश कुमार शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने
सागर जिले में न्याय व्यवस्था और नए भवन की विशेषताओं के बारे में बातें की।
अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रुक्मणी रमन शर्मा ने भी अधिवक्ताओं की भूमिका और भवन के
निर्माण में उनके योगदान पर अपने विचार रखे।
मुख्य न्यायाधिपति श्री कैथ ने कहा कि यह इमारत सिर्फ ईंट और पत्थरों का ढांचा नहीं है, बल्कि इसमें न्याय की देवी का वास है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह इमारत समाज में न्याय लाने का साधन बने। साथ ही, उन्होंने सभी से यह अपील की कि वे अपने काम को भी इस इमारत की तरह खूबसूरत और सम्मानजनक बनाएं।
यह लोकार्पण
न केवल एक भवन का उद्घाटन था, बल्कि न्याय
व्यवस्था को एक नई दिशा देने की पहल थी – डिजिटल, सुलभ और
उत्तरदायी न्याय की ओर।
The News Grit, 08/04/2025 (Source -PRO Sagar)
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