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ब्रह्मांड की शुरुआती आवाजे सुनने में एक छोटे कंप्यूटर की बड़ी भूमिका!!

अब हर मददगार बनेगा हीरो – सड़क सुरक्षा में नागरिकों की मदद को प्रोत्साहन!!!!

भारत में सड़क दुर्घटना एक गंभीर मामला रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, हर साल हजारों लोग सड़क हादसों में घायल होते या मारे जाते हैं, जिनमें से कई की मृत्यु इसलिए हो जाती है, क्योंकि समय पर उन्हें प्राथमिक उपचार या अस्पताल नहीं मिल पाता। ऐसे में केंद्र सरकार ने 2021 में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए "गुड सेमेरिटन योजना" की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सड़क हादसों में घायल लोगों की जान बचाने वाले नागरिकों को सम्मानित और सुरक्षित करना है। इसी के साथ मध्यप्रदेश सरकार ने इस योजना को अपनी स्वीकृति देकर प्रदेश में लागू करने की घोषणा की है। जिसे 2025 में मई के अंत तक शु‍रू किया जाएगा। जिसमें प्रोत्‍साहन राशि 25 हजार देने की बात कही गई है।  भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा 15 अक्टूबर 2021 से इस महत्वपूर्ण योजना की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य गंभीर सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों की जान बचाने वाले नागरिकों को सम्मानित करना है। इस योजना का नाम है – ‘गुड सेमेरिटन को पुरस्कार देने की योजना’, जो ऐसे नागरिकों को प्रोत्साहित करती है जो ‘गो...

ग्रीन एनर्जी स्वच्छ भविष्य की ओर एक ठोस कदम!!!!

आज की दुनिया पर्यावरण प्रदूषण , जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। ऐसे समय में "ग्रीन एनर्जी" यानी स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा मानवता के लिए आशा की किरण बनकर उभरी है। यह न केवल ऊर्जा का एक सुरक्षित स्रोत है , बल्कि यह पृथ्वी और मानव जीवन दोनों को दीर्घकालिक लाभ पहुँचाती है। ग्रीन एनर्जी आज केवल तकनीकी नवाचार नहीं , बल्कि एक ज़रूरी जीवनदृष्टि बन चुकी है। ग्रीन एनर्जी क्या है ? ग्रीन एनर्जी वह ऊर्जा है जो ऐसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होती है जो बार-बार नवीनीकृत हो सकते हैं और जिनसे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता। इसमें मुख्य रूप से सौर ऊर्जा (सूरज की रोशनी) , पवन ऊर्जा (हवा) , जल ऊर्जा (नदियों और बाँधों से) , बायोमास (जैविक कचरे से) , और भू-तापीय ऊर्जा (पृथ्वी की अंदरूनी गर्मी) शामिल हैं। ग्रीन एनर्जी से न धुआँ निकलता है , न प्रदूषण फैलता है और न ही प्राकृतिक संसाधनों की अत्यधिक दोहन की ज़रूरत पड़ती है। ग्रीन एनर्जी का इतिहास (शुरुआत) ग्रीन एनर्जी का विचार नया नहीं है। प्राचीन काल में मनुष्य सूर्य और हवा की शक्ति का उपयोग नावें चलाने , अना...

आपदा प्रबंधन पर मध्यप्रदेश सतर्क, सभी जिलों को निर्देश!!!!

सीमा पर बढ़ते तनाव और संभावित सैन्य संघर्ष की पृष्ठभूमि में मध्यप्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में आपदा प्रबंधन को लेकर व्यापक सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। गृह विभाग ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी करते हुए 14 बिंदुओं पर तत्काल और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है। इन निर्देशों में सुरक्षा , स्वास्थ्य सेवाएं , संचार व्यवस्था , खाद्य और ईंधन आपूर्ति , जनसहयोग , और राहत एवं बचाव कार्यों की पूर्व तैयारी शामिल है। राज्य सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि यदि स्थिति गंभीर होती है , तो प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से तैयार हो और किसी भी संभावित आपात स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा , जीवनरक्षा सेवाएं और आवश्यक संसाधनों की आपूर्ति निर्बाध रूप से जारी रखी जा सके। यह निर्देश न केवल संभावित सैन्य टकराव की आशंका को ध्यान में रखते हुए दिए गए हैं , बल्कि किसी भी प्रकार की आंतरिक या बाहरी आपदा की स्थिति में भी त्वरित , संगठित और समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं। अस्पतालों में सभी जीवनरक्षक संसाधन उपलब्ध रहें शासन ने स्पष्ट किया है कि राज्य के सभी अस्पता...

अब विशेषज्ञ डॉक्टरों से सीधी बात, टेलीमेडिसिन सुविधा की हुई शुरुआत!!!!

प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को डिजिटल रूप से सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए उपमुख्यमंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री श्री राजेंद्र शुक्‍ल ने बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) में टेलीमेडिसिन सेंटर का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अब मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों से सीधे बात करने और उचित उपचार प्राप्त करने की सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि यह सुविधा उन मरीजों के लिए वरदान सिद्ध होगी जो दूर-दराज के गांवों में रहते हैं और जिन्हें विशेषज्ञ डॉक्टरों तक पहुंचने में कठिनाई होती है। अब वे टेलीमेडिसिन/वीडियो कॉन्फ्रेंस/वर्चुअल माध्यम से आसानी से चिकित्सकीय परामर्श प्राप्त कर सकेंगे। उपमुख्यमंत्री श्री शुक्‍ल ने कहा कि यह योजना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा की प्राथमिकताओं में से एक है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण अंचलों के उन पीड़ित व्यक्तियों तक विशेषज्ञ सलाह पहुंचाना है , जिन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाता। अब उन्हें बिना किसी आर्थिक बोझ के समय पर सलाह और दवाईयां मिल सकेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि टेलीमेडिसिन...

सेवा, संघर्ष और सफलता किरण मीणा की प्रेरक यात्रा!!!!

कहते हैं कि यदि मन में दृढ़ निश्चय हो और आगे बढ़ने की सच्‍ची लगन हो, तो कोई भी बाधा आपको आपके लक्ष्य से नहीं रोक सकती। भोपाल की किरण मीणा इसका सजीव उदाहरण हैं। एक आशा कार्यकर्ता के रूप में अपने सेवा कार्य की शुरुआत करने वाली किरण मीणा आज न केवल एक प्रशिक्षित और नियमित ए.एन.एम (सहायक नर्स मिडवाइफ) हैं, बल्कि उनके अथक प्रयासों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी अपनी वैश्विक रिपोर्ट में स्थान देकर सम्मानित किया है। यह सफलता सिर्फ एक पदोन्नति नहीं, बल्कि संघर्ष, समर्पण और सतत् कर्मठता का परिणाम है। यह उस महिला की कहानी है, जिसने पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच भी अपने सेवा भाव और आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने दिया।   आशा से आशा की प्रेरणा किरण मीणा ने 2014 में अपने कार्य जीवन की शुरुआत आशा कार्यकर्ता के रूप में की। उस समय वे भोपाल के कोलार क्षेत्र की बंजारी बस्ती में कार्यरत थीं। उन्होंने अपने क्षेत्र की महिलाओं और बच्‍चों के स्वास्थ्य की जरूरतों को नजदीक से देखा और समझा। यह अनुभव उनके लिए आंख खोलने वाला था और यहीं से उनके भीतर जनसेवा की एक गहरी भावना ने जन...

मज़दूर दिवस श्रम, संघर्ष और सम्मान की गूंज!!

श्रमिकों की आवाज़, उनके संघर्ष और अधिकारों की गूंज को वैश्विक पहचान देने वाला एक दिन - यही है अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस। यह दिवस एक साधारण तिथि नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और मानवीय गरिमा की मांग का प्रतीक है। इतिहास गवाह है कि दुनिया भर में मज़दूरों ने अपने हक के लिए शोषण, अन्याय और दमन के खिलाफ खड़े होकर लड़ाइयाँ लड़ीं, बलिदान दिए और श्रम को सम्मान दिलाने की दिशा में रास्ता बनाया। उनकी यही चेतना आज भी हमें यह स्मरण कराती है कि किसी भी राष्ट्र की आर्थिक रीढ़ वही लोग हैं जो अपने श्रम से निर्माण करते हैं, चलाते हैं और आगे बढ़ाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस इसी सत्य को रेखांकित करता है – कि बिना श्रमिक के कोई विकास संभव नहीं। यह अवसर न केवल श्रम की महत्ता को रेखांकित करता है, बल्कि हमें उस सामाजिक समरसता और न्याय की ओर लौटने का आमंत्रण भी देता है जहाँ श्रमिक को केवल साधन नहीं, सम्मान के योग्य मानव समझा जाए। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 19वीं सदी के दौरान औद्योगिकीकरण के चलते बड़ी संख्या में श्रमिक वर्ग का उदय हुआ। मगर इन श्रमिकों को अत्यंत अमानवीय परिस्थितियों में काम करना पड़ता था – 15...

नरवाई (पराली) जलाना किसान सुविधा या पर्यावरण संकट??

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के आधार स्तंभ भी हैं। खेती की हर प्रक्रिया का प्रभाव न केवल किसान की आजीविका पर, बल्कि प्रकृति के संतुलन पर भी पड़ता है। हाल के वर्षों में फसल कटाई के बाद खेतों में बची हुई नरवाई को जलाने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जो एक गंभीर पर्यावरणीय और कृषि संकट का रूप ले चुकी है। यह समस्या सिर्फ वायु प्रदूषण तक सीमित नहीं है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता, जलवायु परिवर्तन, और मानव स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मध्यप्रदेश सरकार ने इस चुनौती को गंभीरता से लेते हुए कड़े कदम उठाए हैं और किसानों को पर्यावरण-अनुकूल विकल्प अपनाने की दिशा में प्रेरित किया है। क्या होती है नरवाई और क्यों जलाते हैं किसान? नरवाई शब्द फसल कटाई के बाद खेतों में बची सूखी डंठल और अवशेषों के लिए प्रयोग होता है। यह गेहूं, धान या अन्य अनाजों की कटाई के बाद खेतों में छूट जाती है। चूंकि इसे हटाना श्रमसाध्य और खर्चीला कार्य होता है, कई किसान इसे जलाकर खेत को दोबारा उपयोग में लाने की कोशिश करते हैं। हालांकि यह तरीका आसान प्रतीत होता है, लेकिन ...

गिग (डिलेवरी वर्कर्स) और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स (ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर्स) के लिए सरकारी सुरक्षा चक्र की शुरुआत!!!!

आज के डिजिटल युग में हमारी ज़िंदगी को आसान बनाने वाले कई चेहरे हैं, कभी समय पर खाना पहुंचाने वाला डिलीवरी बॉय, कभी सफर को आरामदायक बनाने वाला कैब ड्राइवर, तो कभी ऑनलाइन सेवाएं देने वाला फ्रीलांसर। ये सभी गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स हैं, जो 24x7 मेहनत करके हमारी ज़रूरतें पूरी करते हैं, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इन मेहनतकशों के पास न तो कोई स्थायी नौकरी की सुरक्षा है और न ही किसी सामाजिक सुरक्षा योजना का सहारा। वक़्त की यही माँग है कि जो लोग देश की अर्थव्यवस्था को ज़मीन से जोड़ते हैं, उन्हें भी पहचान, सम्मान और सुरक्षा मिले। इसी सोच को धरातल पर उतारने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 7 से 17 अप्रैल 2025 तक गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए विशेष पंजीकरण अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत इन वर्कर्स को ई-श्रम पोर्टल और संबल योजना में जोड़कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की कोशिश की जा रही है। ई-श्रम पोर्टल और संबल योजना भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ई-श्रम पोर्टल असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, विशेषकर गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल डेटाबेस तैयार करने की पहल है।...

भारतीय रेलवे रिजर्वेशन में वेटिंग टिकट करें या न करें?

भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे बड़ी रेलवे संस्‍थाओं में से एक है, जो हर दिन लाखों यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाती है। आमतौर पर जब हम ट्रेन में सफर की योजना बनाते हैं, तो लगता है, कि टिकट बुक करना और यात्रा करना एक आसान प्रक्रिया होगी। लेकिन जैसे ही हमें वेटिंग टिकट (Waiting Ticket) मिलता है, तो कहानी थोड़ी उलझ जाती है। बहुत से यात्री वेटिंग टिकट मिलने के बाद परेशान हो जाते हैं क्योंकि उन्हें यह ठीक से पता नहीं होता कि इसका मतलब क्या है, इसका क्या नियम है, और क्या वे इससे यात्रा कर सकते हैं या नहीं। क्या यह टिकट कन्फर्म हो सकता है? अगर नहीं अथवा टिकट कंफर्म हो सकता है या नहीं का अंदाजा लगाना कठिन होता है। टिकट कन्फर्म नहीं होने की स्थिति में  कितना पैसा वापस मिलेगा? और इससे भी बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या वेटिंग टिकट लेकर ट्रेन में चढ़ सकते हैं? इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे रेलवे वेटिंग टिकट से जुड़ी हर जरूरी जानकारी, वो भी एकदम सरल, सीधी और समझने लायक तरिके में। हम आपको बताएंगे कि वेटिंग लिस्ट के कितने प्रकार होते हैं, उनमें से किसमें कन्फर्मेशन के चांसेस ज्यादा होत...

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य!!!!

हर वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस न केवल अच्छे स्वास्थ्य और तंदुरुस्त जीवन के महत्व को रेखांकित करता है , बल्कि इसका एक ऐतिहासिक महत्व भी है। इसी दिन वर्ष 1948 में WHO की स्थापना हुई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा , स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। इस वर्ष 2025 की थीम “ स्वस्थ शुरुआत , आशाजनक भविष्य” माताओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और कल्याण पर केंद्रित है। यह विषय इस सच्चाई की ओर इशारा करता है कि स्वस्थ परिवारों और समुदायों की नींव मां और बच्चे की भलाई में निहित है। जब एक महिला सुरक्षित गर्भावस्था और प्रसव अनुभव करती है , और जब एक नवजात बच्चे को जीवन के पहले महीनों में पर्याप्त देखभाल मिलती है , तभी समाज का भविष्य उज्ज्वल बनता है। मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य मौजूदा हालात और चुनौतियाँ आज भी दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाओं की मौजूदगी के बावजूद , हर साल लगभग 3 लाख महिलाएँ गर्भावस्था या प्रसव के दौरान जान गंवा देती हैं। इसके अलावा , 20 लाख से ज्यादा नवजात शिशु अपने पहले महीने में ही मर जाते हैं , और करीब 20 लाख शिशु ...