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पर्यटन में मध्यप्रदेश की नई उड़ान: 2024 में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे!!

ड्रोन से बदलती ज़िंदगी: साक्षी और कई महिलाएं जो बदल रही हैं खेतों की तस्वीर!!!!

भारत की कृषि परंपरागत रूप से श्रम-प्रधान रही है , लेकिन अब इस क्षेत्र में तकनीक की नई बयार बह रही है। "नमो ड्रोन दीदी योजना" इसी बदलाव का प्रतीक बनकर सामने आई है। जो न केवल कृषि कार्यों को आधुनिक बना रही है , बल्कि महिलाओं को भी तकनीकी रूप से सक्षम बनाकर आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर कर रही है। यह योजना उन महिलाओं की कहानी कहती है जो खेतों में सिर्फ श्रमिक नहीं , बल्कि तकनीकी नवाचार की अगुवाई कर रहीं है। साक्षी पांडे की कहानी: बदलाव की मिसाल मध्यप्रदेश के सागर ज़िले के पडरिया गांव की रहने वाली साक्षी पांडे इस योजना की एक सशक्त उदाहरण हैं। मध्यप्रदेश आजीविका मिशन के तहत वे इफको द्वारा संचालित 15 दिवसीय ड्रोन प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ीं। यह प्रशिक्षण पूरी तरह निःशुल्क था , जिसमें उन्हें ड्रोन उड़ाने , उसकी तकनीक समझने और कीटनाशक व उर्वरक के छिड़काव की विधियों का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया। प्रशिक्षण के बाद उन्हें मार्च 2023 में एक ड्रोन , एक इलेक्ट्रिक व्हीकल और एक जनरेटर उपलब्ध कराया गया – ये सभी भी योजना के अंतर्गत निःशुल्क दिए गए संसाधन थे। अब साक्षी किसानों के खेतों मे...

क्‍या डेयरी व्यापार को मिलेगी नई उड़ान?? दुग्‍ध उद्योग में बड़ा मौका!!!!

दूध के उत्‍पादन को बढ़ावा देने , और गुणवकत्‍ता में सुधार करने तथा पशुपालकों और युवाओं को डेयरी व्‍यवसाय के माध्‍यम से आर्थिक रूप से सशक्‍त बनाने की दिशा एक दूरदर्शी प्रयास मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना इस योजना का लक्ष्‍य है , ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हों , और डेयरी उघोग को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाया जा सकें। इकाई की स्थापना और लागत इस योजना के अंतर्गत , एक हितग्राही को 25 दुधारू पशुओं की एक इकाई स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी।   हर इकाई में या तो केवल गायें वंश होंगी या केवल भैंसें वंश होगी। एक इकाई की अधिकतम लागत सीमा ₹42 लाख रुपये तक निर्धारित की गई है। इसके अतिरिक्त , एक हितग्राही अधिकतम 8 इकाइयाँ यानी कुल 200 दुधारू पशु तक रखने के लिए पात्र होगा। ऋण और संचालन अवधि योजना के अंतर्गत एक लाभहार्थी को एक से अधिक बार ऋण लेने की अनुमति है , लेकिन दो ऋणों के बीच कम से कम 2 वर्षों का अंतराल होना अनिवार्य है। ऋण प्राप्त करने के बाद , लाभार्थी को अपने डेयरी फार्म का संचालन अधिकतम 7 वर्षों तक अथवा ऋण की समाप्ति तक करना हो...

गिग (डिलेवरी वर्कर्स) और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स (ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर्स) के लिए सरकारी सुरक्षा चक्र की शुरुआत!!!!

आज के डिजिटल युग में हमारी ज़िंदगी को आसान बनाने वाले कई चेहरे हैं, कभी समय पर खाना पहुंचाने वाला डिलीवरी बॉय, कभी सफर को आरामदायक बनाने वाला कैब ड्राइवर, तो कभी ऑनलाइन सेवाएं देने वाला फ्रीलांसर। ये सभी गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स हैं, जो 24x7 मेहनत करके हमारी ज़रूरतें पूरी करते हैं, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इन मेहनतकशों के पास न तो कोई स्थायी नौकरी की सुरक्षा है और न ही किसी सामाजिक सुरक्षा योजना का सहारा। वक़्त की यही माँग है कि जो लोग देश की अर्थव्यवस्था को ज़मीन से जोड़ते हैं, उन्हें भी पहचान, सम्मान और सुरक्षा मिले। इसी सोच को धरातल पर उतारने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 7 से 17 अप्रैल 2025 तक गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए विशेष पंजीकरण अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत इन वर्कर्स को ई-श्रम पोर्टल और संबल योजना में जोड़कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की कोशिश की जा रही है। ई-श्रम पोर्टल और संबल योजना भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ई-श्रम पोर्टल असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, विशेषकर गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल डेटाबेस तैयार करने की पहल है।...