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पर्यटन में मध्यप्रदेश की नई उड़ान: 2024 में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे!!

प्राकृतिक खेती अपनाएं, रासायनिक उर्वरकों से दूरी बनाएँ!!!!

सागर जिले में कृषि के क्षेत्र में एक नई पहल की गई है, जिसका उद्देश्य है किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना, पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और खेती की आधुनिक तकनीकों को प्रोत्साहित करना। इस दिशा में कलेक्टर श्री संदीप जी.आर. के नेतृत्व में कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है। प्राकृतिक खेती और हाइड्रोपोनिक माइक्रोग्रीन्स की ओर बढ़ते कदम कलेक्टर संदीप जी.आर. ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वे प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर हों। रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से न केवल मिट्टी उर्वरता नष्ट होती है, बल्कि यह फसलों की गुणवत्ता पर भी प्रभाव डालता है। इसके स्थान पर यदि किसान जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनाएं, तो उन्हें बेहतर उत्पादन के साथ-साथ अच्छे दाम भी प्राप्त हो सकते हैं। उन्होंने हाइड्रोपोनिक माइक्रोग्रीन्स योजना का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि यह तकनीक कम पानी में अधिक उपज देने में सक्षम है। इसमें न तो मिट्टी की आवश्यकता होती है और न ही अधिक भूमि की। यह प्रणाली विशेष रूप से शहरी या सीमित स्थानों वाले क्षेत्रों के लिए आदर्श है। कलेक्टर ने जानक...

आधुनिक तकनीक से खेती में नया उजाला सागर जिले के किसानों की प्रेरणादायक कहानियाँ!!!!

भारत में कृषि केवल जीविका का साधन नहीं, बल्कि जीवनशैली और सांस्कृतिक धरोहर भी है। आज जब जलवायु परिवर्तन, सीमित जल संसाधन और पारंपरिक खेती की चुनौतियाँ किसानों के सामने हैं, ऐसे समय में सरकारी योजनाएँ और आधुनिक तकनीकें नई आशा की किरण बनकर उभरी हैं। मध्यप्रदेश के सागर जिले से चार ऐसे किसानों की कहानियाँ सामने आई हैं जिन्होंने इन संसाधनों का समुचित उपयोग कर खेती को लाभकारी व्यवसाय में बदला है। ये कहानियाँ केवल सफलता की नहीं, बल्कि परिवर्तन, संकल्प और सतत विकास की प्रेरणा भी हैं। नंदकिशोर पटैल – शेडनेट हाउस से मिली 4 लाख की शुद्ध आय जिला सागर के ग्राम हफसिली के निवासी नंदकिशोर पटैल ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत शेडनेट हाउस की स्थापना की और उसमें खीरे की खेती कर अपनी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि की। शेडनेट हाउस की सहायता से उन्होंने फसल को प्राकृतिक आपदाओं और कीटों से सुरक्षित रखा, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार हुआ। उनकी कुल आय 5 लाख रुपये रही, जिसमें से शुद्ध लाभ 4 लाख रुपये रहा। नंदकिशोर पटैल की यह कहानी यह दिखाती है कि यदि किसान योजनाओं की सही जानकारी लेकर उन्हे...

ड्रोन से बदलती ज़िंदगी: साक्षी और कई महिलाएं जो बदल रही हैं खेतों की तस्वीर!!!!

भारत की कृषि परंपरागत रूप से श्रम-प्रधान रही है , लेकिन अब इस क्षेत्र में तकनीक की नई बयार बह रही है। "नमो ड्रोन दीदी योजना" इसी बदलाव का प्रतीक बनकर सामने आई है। जो न केवल कृषि कार्यों को आधुनिक बना रही है , बल्कि महिलाओं को भी तकनीकी रूप से सक्षम बनाकर आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर कर रही है। यह योजना उन महिलाओं की कहानी कहती है जो खेतों में सिर्फ श्रमिक नहीं , बल्कि तकनीकी नवाचार की अगुवाई कर रहीं है। साक्षी पांडे की कहानी: बदलाव की मिसाल मध्यप्रदेश के सागर ज़िले के पडरिया गांव की रहने वाली साक्षी पांडे इस योजना की एक सशक्त उदाहरण हैं। मध्यप्रदेश आजीविका मिशन के तहत वे इफको द्वारा संचालित 15 दिवसीय ड्रोन प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ीं। यह प्रशिक्षण पूरी तरह निःशुल्क था , जिसमें उन्हें ड्रोन उड़ाने , उसकी तकनीक समझने और कीटनाशक व उर्वरक के छिड़काव की विधियों का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया। प्रशिक्षण के बाद उन्हें मार्च 2023 में एक ड्रोन , एक इलेक्ट्रिक व्हीकल और एक जनरेटर उपलब्ध कराया गया – ये सभी भी योजना के अंतर्गत निःशुल्क दिए गए संसाधन थे। अब साक्षी किसानों के खेतों मे...

स्व-सहायता समूह से मिली उड़ान, कचरे से खड़ा किया कारोबार!!!!

कुछ कर गुजरने के लिए धन की ही नहीं, बल्कि मजबूत मन, सच्ची लगन और एक उपयोगी विचार की आवश्यकता होती है। जब इन सभी का संगम होता है, तो व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अवसर तलाश कर सकता है। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है, मण्डी बाम्होरा विकासखण्ड बीना की श्रीमती जमना अहिरवार की, जिन्होंने कूड़े-कचरे को अपना हथियार बनाकर न केवल अपना बल्कि अपने परिवार और समूह की अन्य महिलाओं का जीवन बदल दिया। यात्रा की शुरुआत  श्रीमती जमना अहिरवार की कहानी एक साधारण महिला की असाधारण सोच का परिणाम है। वे अन्नपूर्णा स्व सहायता समूह से जुड़ी थी, और धीरे-धीरे समूह के माध्यम से उन्होंने सामूहिकता, आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्वावलंबन की शक्ति को समझा। समूह का पूरा होने के बाद उन्हें 6 लाख रुपये की लिंकेज राशि प्राप्त हुई। इसी से उन्होंने 2 लाख रुपये का ऋण लिया और उसे आधार बनाकर फेंके जाने वाले कचरे के व्यापार की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने कचरा खरीदना शुरू किया, उसे प्रोसेस करके बाजार में बेचना शुरू किया और धीरे-धीरे अपने छोटे से कारोबार को एक मजबूत उद्यम में बदल दिया। बैंक लिंकेज का अर्थ है स्व-सहायता समूहों (SH...

ग्रीन एनर्जी स्वच्छ भविष्य की ओर एक ठोस कदम!!!!

आज की दुनिया पर्यावरण प्रदूषण , जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। ऐसे समय में "ग्रीन एनर्जी" यानी स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा मानवता के लिए आशा की किरण बनकर उभरी है। यह न केवल ऊर्जा का एक सुरक्षित स्रोत है , बल्कि यह पृथ्वी और मानव जीवन दोनों को दीर्घकालिक लाभ पहुँचाती है। ग्रीन एनर्जी आज केवल तकनीकी नवाचार नहीं , बल्कि एक ज़रूरी जीवनदृष्टि बन चुकी है। ग्रीन एनर्जी क्या है ? ग्रीन एनर्जी वह ऊर्जा है जो ऐसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होती है जो बार-बार नवीनीकृत हो सकते हैं और जिनसे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता। इसमें मुख्य रूप से सौर ऊर्जा (सूरज की रोशनी) , पवन ऊर्जा (हवा) , जल ऊर्जा (नदियों और बाँधों से) , बायोमास (जैविक कचरे से) , और भू-तापीय ऊर्जा (पृथ्वी की अंदरूनी गर्मी) शामिल हैं। ग्रीन एनर्जी से न धुआँ निकलता है , न प्रदूषण फैलता है और न ही प्राकृतिक संसाधनों की अत्यधिक दोहन की ज़रूरत पड़ती है। ग्रीन एनर्जी का इतिहास (शुरुआत) ग्रीन एनर्जी का विचार नया नहीं है। प्राचीन काल में मनुष्य सूर्य और हवा की शक्ति का उपयोग नावें चलाने , अना...

वनों की निगरानी अब रियल-टाइम में एमपी बना देश में पहला राज्य!!!!

मध्यप्रदेश ने वन प्रबंधन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए पूरे देश में पहली बार एआई आधारित रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट प्रणाली लागू की है। यह नवाचार न केवल तकनीकी दृष्टि से अत्यंत उन्नत है , बल्कि यह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में राज्य की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इस प्रणाली के माध्यम से वन क्षेत्र में हो रहे भूमि अतिक्रमण , भूमि उपयोग में परिवर्तन , और वन हानि जैसी गतिविधियों की त्वरित पहचान और निगरानी संभव हो सकी है। इससे वन विभाग को त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करने का अवसर मिलता है। इस अनूठी प्रणाली की परिकल्पना गुना वन मण्डल के वन मण्डलाधिकारी श्री अक्षय राठौर द्वारा की गई। उनके नेतृत्व और तकनीकी दृष्टिकोण ने इस विचार को मूर्त रूप देने में प्रमुख भूमिका निभाई। इस परियोजना को सफल बनाने में मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री असीम श्रीवास्तव और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (आईटी) श्री बी.एस. अणिगेरी ने संस्थागत समर्थन और मार्गदर्शन प्रदान किया। इस संपूर्ण प्रणाली को गूगल अर्थ इंजन पर आधारित बनाया गया है , जिसमें बहु-कालिक उपग्रह चित्रों , कस्टम एआई मॉडल , मोबा...

नरवाई (पराली) जलाना किसान सुविधा या पर्यावरण संकट??

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के आधार स्तंभ भी हैं। खेती की हर प्रक्रिया का प्रभाव न केवल किसान की आजीविका पर, बल्कि प्रकृति के संतुलन पर भी पड़ता है। हाल के वर्षों में फसल कटाई के बाद खेतों में बची हुई नरवाई को जलाने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जो एक गंभीर पर्यावरणीय और कृषि संकट का रूप ले चुकी है। यह समस्या सिर्फ वायु प्रदूषण तक सीमित नहीं है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता, जलवायु परिवर्तन, और मानव स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मध्यप्रदेश सरकार ने इस चुनौती को गंभीरता से लेते हुए कड़े कदम उठाए हैं और किसानों को पर्यावरण-अनुकूल विकल्प अपनाने की दिशा में प्रेरित किया है। क्या होती है नरवाई और क्यों जलाते हैं किसान? नरवाई शब्द फसल कटाई के बाद खेतों में बची सूखी डंठल और अवशेषों के लिए प्रयोग होता है। यह गेहूं, धान या अन्य अनाजों की कटाई के बाद खेतों में छूट जाती है। चूंकि इसे हटाना श्रमसाध्य और खर्चीला कार्य होता है, कई किसान इसे जलाकर खेत को दोबारा उपयोग में लाने की कोशिश करते हैं। हालांकि यह तरीका आसान प्रतीत होता है, लेकिन ...

गिग (डिलेवरी वर्कर्स) और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स (ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर्स) के लिए सरकारी सुरक्षा चक्र की शुरुआत!!!!

आज के डिजिटल युग में हमारी ज़िंदगी को आसान बनाने वाले कई चेहरे हैं, कभी समय पर खाना पहुंचाने वाला डिलीवरी बॉय, कभी सफर को आरामदायक बनाने वाला कैब ड्राइवर, तो कभी ऑनलाइन सेवाएं देने वाला फ्रीलांसर। ये सभी गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स हैं, जो 24x7 मेहनत करके हमारी ज़रूरतें पूरी करते हैं, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इन मेहनतकशों के पास न तो कोई स्थायी नौकरी की सुरक्षा है और न ही किसी सामाजिक सुरक्षा योजना का सहारा। वक़्त की यही माँग है कि जो लोग देश की अर्थव्यवस्था को ज़मीन से जोड़ते हैं, उन्हें भी पहचान, सम्मान और सुरक्षा मिले। इसी सोच को धरातल पर उतारने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 7 से 17 अप्रैल 2025 तक गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए विशेष पंजीकरण अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत इन वर्कर्स को ई-श्रम पोर्टल और संबल योजना में जोड़कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की कोशिश की जा रही है। ई-श्रम पोर्टल और संबल योजना भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ई-श्रम पोर्टल असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, विशेषकर गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल डेटाबेस तैयार करने की पहल है।...

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य!!!!

हर वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस न केवल अच्छे स्वास्थ्य और तंदुरुस्त जीवन के महत्व को रेखांकित करता है , बल्कि इसका एक ऐतिहासिक महत्व भी है। इसी दिन वर्ष 1948 में WHO की स्थापना हुई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा , स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। इस वर्ष 2025 की थीम “ स्वस्थ शुरुआत , आशाजनक भविष्य” माताओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और कल्याण पर केंद्रित है। यह विषय इस सच्चाई की ओर इशारा करता है कि स्वस्थ परिवारों और समुदायों की नींव मां और बच्चे की भलाई में निहित है। जब एक महिला सुरक्षित गर्भावस्था और प्रसव अनुभव करती है , और जब एक नवजात बच्चे को जीवन के पहले महीनों में पर्याप्त देखभाल मिलती है , तभी समाज का भविष्य उज्ज्वल बनता है। मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य मौजूदा हालात और चुनौतियाँ आज भी दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाओं की मौजूदगी के बावजूद , हर साल लगभग 3 लाख महिलाएँ गर्भावस्था या प्रसव के दौरान जान गंवा देती हैं। इसके अलावा , 20 लाख से ज्यादा नवजात शिशु अपने पहले महीने में ही मर जाते हैं , और करीब 20 लाख शिशु ...