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ब्रह्मांड की शुरुआती आवाजे सुनने में एक छोटे कंप्यूटर की बड़ी भूमिका!!

बेसहारा बच्चों को कानूनी पहचान दिलाने की एक मानवीय पहल: साथी अभियान!!!!

बेसहारा और निराश्रित बच्चों की जिंदगी में सबसे बड़ी कमी होती है – पहचान की। बिना पहचान के न तो वे स्कूल जा सकते हैं , न स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले सकते हैं और न ही किसी सरकारी योजना का हिस्सा बन सकते हैं। इस समस्या को समझते हुए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ( NALSA), नई दिल्ली ने " साथी अभियान" शुरू किया है , जो देशभर में तथा मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण , जबलपुर के माध्यम से प्रभावी रूप से चलाया जा रहा है। अभियान का उद्देश्य “ साथी अभियान” का मुख्य उद्देश्य है – 18 वर्ष से कम आयु के बेसहारा बच्चों को कानूनी पहचान प्रदान करना , ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और उन्हें शिक्षा , स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़ी योजनाओं का लाभ मिल सके। यह अभियान 5 अगस्त 2025 तक चलाया जा रहा है , और इसका संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ( DLSA) और जिला प्रशासन के समन्वय से किया जा रहा है। साथी अभियान की विस्तृत अवधारणा इस राष्ट्रीय अभियान का पूरा नाम है: SAATHI – "Survey for Aadhaar and Access to Tracking and Holistic Inclusion" यह केवल आधार कार्ड बनाने तक सीमि...

प्राकृतिक खेती अपनाएं, रासायनिक उर्वरकों से दूरी बनाएँ!!!!

सागर जिले में कृषि के क्षेत्र में एक नई पहल की गई है, जिसका उद्देश्य है किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना, पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और खेती की आधुनिक तकनीकों को प्रोत्साहित करना। इस दिशा में कलेक्टर श्री संदीप जी.आर. के नेतृत्व में कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है। प्राकृतिक खेती और हाइड्रोपोनिक माइक्रोग्रीन्स की ओर बढ़ते कदम कलेक्टर संदीप जी.आर. ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वे प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर हों। रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से न केवल मिट्टी उर्वरता नष्ट होती है, बल्कि यह फसलों की गुणवत्ता पर भी प्रभाव डालता है। इसके स्थान पर यदि किसान जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनाएं, तो उन्हें बेहतर उत्पादन के साथ-साथ अच्छे दाम भी प्राप्त हो सकते हैं। उन्होंने हाइड्रोपोनिक माइक्रोग्रीन्स योजना का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि यह तकनीक कम पानी में अधिक उपज देने में सक्षम है। इसमें न तो मिट्टी की आवश्यकता होती है और न ही अधिक भूमि की। यह प्रणाली विशेष रूप से शहरी या सीमित स्थानों वाले क्षेत्रों के लिए आदर्श है। कलेक्टर ने जानक...

नोम चोम्स्की: हमारे समय की अंतरात्मा और आलोचनात्मक विवेक की आवाज़!!!!

नोम चोम्स्की हमारे समय के सबसे प्रभावशाली बुद्धिजीवियों में से एक हैं। वे भाषा-विज्ञान , राजनीति , मीडिया आलोचना और वैश्विक सत्ता संरचनाओं पर अपने तीक्ष्ण विश्लेषण के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी सोच ने न केवल अकादमिक जगत को बल्कि आम जनमानस को भी झंकझोरा है। आज जब लोकतंत्र , स्वतंत्रता और न्याय की अवधारणाएं लगातार चुनौती के घेरे में हैं , तब चोम्स्की की वैचारिक स्पष्टता और नैतिक प्रतिबद्धता हमें दिशा देने का कार्य करती है। इसीलिए , यह लेख उनके विचारों और योगदान की प्रासंगिकता को समझने का एक विनम्र प्रयास है। नोम चोम्स्की ( Noam Chomsky) का जन्म 7 दिसंबर 1928 को फिलाडेल्फिया , अमेरिका में हुआ था। वे एक बहुचर्चित अमेरिकी भाषाविद् , दार्शनिक , राजनीतिक विचारक , सामाजिक आलोचक और मानवाधिकारों के प्रखर पक्षधर हैं। वे एमआईटी ( Massachusetts Institute of Technology) में लंबे समय तक प्रोफेसर रहे हैं। चोम्स्की को आधुनिक भाषाविज्ञान का जनक माना जाता है। वे विश्लेषणात्मक दर्शन तथा मीडिया व राजनीति की आलोचनात्मक व्याख्या के लिए भी विख्यात हैं। भाषाविज्ञान , राजनीतिक दर्शन और सामाजिक आलोचना , मीडिया व...

भारत में पहली बार बाघ, तेंदुआ और चीता एक साथ!!!!

भारत में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल साकार होने जा रही है। मध्यप्रदेश के सागर जिले में स्थित वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व ( पूर्व नाम नौरादेही अभयारण्य) को अब देश का पहला ऐसा टाइगर रिजर्व बनने का गौरव प्राप्त होगा , जहां बाघ , तेंदुआ और चीता – बिग कैट फैमिली के तीन प्रमुख सदस्य – एक साथ प्राकृतिक आवास में रहेंगे। यह न केवल भारत बल्कि दुनिया के लिए भी एक अनूठा प्रयोग होगा। चीतों की वापसी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भारत में अंतिम बार चीता ( Asiatic Cheetah) को 1947 में छत्तीसगढ़ (अब छत्तीसगढ़ राज्य , तब मध्य प्रदेश का हिस्सा) के कोरिया ज़िले में देखा गया था। उस समय राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने तीन चीतों का शिकार किया था। यही घटना भारत में चीतों के प्राकृतिक रूप से पाए जाने का अंतिम रिकॉर्डेड उदाहरण मानी जाती है।   इसके बाद भारत सरकार ने लंबे समय तक चीतों के न मिलने और शिकार के चलते उनकी प्रजाति को लुप्त मान लिया , और 1952 में भारत सरकार ने औपचारिक रूप से चीते को "विलुप्त" ( Extinct) घोषित कर दिया। इसके बाद से भारत में चीते की पुनर्स्थापना को लेकर कई बा...

CBSE 12वीं बोर्ड 2025 विजयवाड़ा टॉप पर!!!!

CBSE 12 वीं बोर्ड 2025 विजयवाड़ा टॉप पर !!!! केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ( CBSE) ने 13 मई 2025 को 12 वीं कक्षा के परीक्षा परिणामों की घोषणा कर दी है। यह परिणाम 2024-25 सत्र की बोर्ड परीक्षाओं के लिए घोषित किया गया है , जो 15 फरवरी से 4 अप्रैल 2025 तक आयोजित हुई थीं। इस वर्ष का परिणाम कई दृष्टियों से उल्लेखनीय रहा है – न केवल छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है , बल्कि सफलता दर में भी सकारात्मक बढ़ोतरी देखने को मिली है। कुल आंकड़े: पंजीकरण , परीक्षा और परिणाम इस वर्ष कुल 17,04,367 छात्रों ने 12 वीं बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था , जिनमें से 16,92,794 छात्र परीक्षा में सम्मिलित हुए और 14,96,307 छात्र सफल घोषित हुए। परिणामस्वरूप कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 88.39% रहा , जो कि पिछले वर्ष ( 87.98%) से 0.41% अधिक है। क्षेत्रवार प्रदर्शन: कहाँ सबसे अच्छे परिणाम आए ? CBSE ने अपने विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों के अनुसार परिणाम घोषित किए हैं। विजयवाड़ा क्षेत्र ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है जहां 99.60% छात्र उत्तीर्ण हुए। इसके बाद त्रिवेन्द्रम ( 99.32%) और चेन्नई ( 97.39%) का स्थान रहा।...