"आत्मनिर्भरता की मिसाल: माया विश्वकर्मा की सफलता की कहानी"

श्रीमती माया जी
सागर (रहली) :-
➡️खुशियों की दास्तां
➡️आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते क़दमों को आजीविका मिशन योजना ने दिए पंख।
➡️मेहनत, लगन और हुनर से माया विश्वकर्मा का जीवन हुआ रौशन।
    राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत, विभिन्न स्तरों पर संगठन और सहायता संरचनाओं के ज़रिए ग्रामीण गरीब परिवारों की आय बढ़ाने, उनकी वित्तीय स्थिति सुधारने, रोज़गार और स्व-रोज़गार के ज़रिए उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया जाता है।
    आत्मनिर्भरता की इसी मुहीम में अपने क़दमों को आगे बढाते हुए अपनी मेहनत और लगन से माया विश्वकर्मा ने स्वयं का रोजगार स्थापित कर अपने जीवन को रौशन किया है।
    सागर जिले के रहली विकासखंड की श्रीमती माया विश्वकर्मा बताती हैं कि वे और उनके पति मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार का पोलन पोषण करती थे। परन्तु उन्होंने कुछ समय पहले समूह से पैसा मिलने के बारे में सुना और समूह से मिलने वाले पैसों के उपयोग और लाभ के संबंध में जानकारी प्राप्त की।
    इसके बाद श्रीमती माया समूह से जुड़ीं जिससे उन्हें बैंक के माध्यम से ऋण उपलब्ध हुआ। उन्होंने उन पैसों का उपयोग करते हुए एक छोटी सी मनहारी की दुकान से शुरूआत की। उनकी दुकान चलने पर उन्हें प्रतिदिन 500-600 रू. की आमदानी होने लगी।
    श्रीमती माया विश्वकर्मा ने आगे बढते हुए अपने हुनर, मेहनत और लगन से काम किया। जिससे कुछ दिनों बाद उन्होंने अपनी दुकान में किराना सामान और एक फोटो काफी की मशीन भी रख ली और आज उनकी आय दोगुनी हो गई है। श्रीमती माया बताती है कि आजीविका मिशन की मदद से आज उनके परिवार में आय के साधन बढे़ और अब बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढाई कर रहे है। उनके पास आज स्वयं का एक पक्का मकान और एक मोबाइल रिपेरिंग की दुकान सहित स्कूल मैजिक वाहन भी है।

- The News Grit, 18/10/2024

Comments