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पर्यटन में मध्यप्रदेश की नई उड़ान: 2024 में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे!!

नोम चोम्स्की: हमारे समय की अंतरात्मा और आलोचनात्मक विवेक की आवाज़!!!!

नोम चोम्स्की हमारे समय के सबसे प्रभावशाली बुद्धिजीवियों में से एक हैं। वे भाषा-विज्ञान , राजनीति , मीडिया आलोचना और वैश्विक सत्ता संरचनाओं पर अपने तीक्ष्ण विश्लेषण के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी सोच ने न केवल अकादमिक जगत को बल्कि आम जनमानस को भी झंकझोरा है। आज जब लोकतंत्र , स्वतंत्रता और न्याय की अवधारणाएं लगातार चुनौती के घेरे में हैं , तब चोम्स्की की वैचारिक स्पष्टता और नैतिक प्रतिबद्धता हमें दिशा देने का कार्य करती है। इसीलिए , यह लेख उनके विचारों और योगदान की प्रासंगिकता को समझने का एक विनम्र प्रयास है। नोम चोम्स्की ( Noam Chomsky) का जन्म 7 दिसंबर 1928 को फिलाडेल्फिया , अमेरिका में हुआ था। वे एक बहुचर्चित अमेरिकी भाषाविद् , दार्शनिक , राजनीतिक विचारक , सामाजिक आलोचक और मानवाधिकारों के प्रखर पक्षधर हैं। वे एमआईटी ( Massachusetts Institute of Technology) में लंबे समय तक प्रोफेसर रहे हैं। चोम्स्की को आधुनिक भाषाविज्ञान का जनक माना जाता है। वे विश्लेषणात्मक दर्शन तथा मीडिया व राजनीति की आलोचनात्मक व्याख्या के लिए भी विख्यात हैं। भाषाविज्ञान , राजनीतिक दर्शन और सामाजिक आलोचना , मीडिया व...

कलम के शहीद सच के लिए जान देने वाले पत्रकारों को सलाम!!

विश्व प्रेस स्‍वतंत्रता दिवस हर साल 3 मई को मनाया जाता है। यह दिन उन पत्रकारों को सम्मान देने का अवसर है जो समाज के सामने सच लाने के लिए अनगिनत जोखिम उठाते हैं। विश्व प्रेस स्‍वतंत्रता दिवस हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व की याद दिलाता है। आज का दिन विशेष रूप से उन साहसी पत्रकारों को समर्पित है जिन्होंने सत्य के लिए अपनी जान तक गंवा दी। उनके संघर्ष और बलिदान हमें सच्चाई की राह पर अडिग रहने की प्रेरणा देते हैं। कलम की ताकत दुनिया की सबसे मजबूत ताकतों में से एक है, जो बिना ध्वनि के उस सच्चाई और विचार को जाहिर करती है जो दुनिया में बदलाव लाते हैं। कलम हमारे विचारों को स्वतंत्र रूप से प्रकाशित करने का एक खूबसूरत माध्यम है। यही वह मजबूत औजार है जो सत्ता से सवाल पूछता है और दुनिया के सभी लोगों तक सच पहुंचाने का कार्य करता है। आइए जानें उन निर्भय पत्रकारों के बारे में, जिन्होंने अपनी जान देना मंजूर किया लेकिन अपनी कलम को सच लिखने से नहीं रोका। जिनके नाम इतिहास में उस सच्चाई को उजागर करने के लिए दर्ज हैं, जिसके कारण उनकी जान ले ली गई। यदि आंकड़ों की बात करें तो, वर्ष 2000 से अब तक दुनिय...