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ब्रह्मांड की शुरुआती आवाजे सुनने में एक छोटे कंप्यूटर की बड़ी भूमिका!!

अक्षय भटनागर की कहानी: एक माँ की दृढ़ता और न्यूरोडाइवर्जेंस की उड़ान!!

क्या होगा अगर दुनिया आपके सपनों से पहले आपके निदान को देख ले? अक्षय भटनागर की कहानी इसी सवाल का जवाब देती है-एक ऐसा जवाब जो साहस, समर्पण और मानव गरिमा की नई परिभाषा रचता है। प्रारंभिक संघर्ष: निदान और पूर्वग्रह 1992 में जब अक्षय का जन्म हुआ, तब ऑटिज्म शब्द भारत में शायद ही किसी ने सुना था। जब माता-पिता ने कुछ व्यवहारगत असमानताएँ देखीं, तो उन्होंने विशेषज्ञों की राय ली। चिकित्सकों ने बाद में अक्षय को ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) से पीड़ित बताया। जागरूकता की कमी और सामाजिक कलंक के बीच यह निदान एक बड़ा झटका था। डॉक्टरों ने अक्षय को बौद्धिक रूप से अक्षम माना, और परिवार में उपहास भी सहना पड़ा। आखिर क्‍या है? ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD)  यह एक न्यूरोविकासात्मक विकार है, जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार, संवाद (communication) और सोचने-समझने के तरीके को प्रभावित करता है। यह एक "स्पेक्ट्रम" है, जिसका अर्थ है कि इसके लक्षण और प्रभाव हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं – कुछ में यह बहुत हल्के रूप में दिखता है, जबकि कुछ में गहराई से। ASD आमतौर पर बचपन में ही पहचान में आ जाता है, और ...

सागर की शान बनी इशिता शर्मा – अपने सपने को हकीकत में बदलने वाली बेटी!!!!

बेटियां अभिशाप नहीं , वरदान होती हैं। वे दो कुलों को आगे बढ़ाने वाली शक्ति होती हैं। अगर उन्हें सही दिशा , साथ और समर्थन मिले , तो वे हर वो सपना साकार कर सकती हैं , जिसे समाज कभी असंभव समझता था। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है मध्य प्रदेश के सागर की बहादुर बेटी इशिता शर्मा की , जिन्होंने अपने मजबूत इरादों और कठिन मेहनत के बल पर भारतीय नौसेना में सब लेफ्टिनेंट का गौरव हासिल किया है। जब सपना बना संकल्प और संकल्प बना उपलब्धि इशिता का बचपन सेना के अनुशासित माहौल में बीता। उनके पिता दीपक शर्मा , जो मिलेट्री इंजीनियरिंग सर्विस में अधिकारी हैं , ने परिवार में देशसेवा की भावना को पनपने दिया। इशिता ने इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन में बीटेक करने के बाद टीसीएस जैसी प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी में मुंबई में नौकरी की , लेकिन मन हमेशा वर्दी और देश सेवा के प्रति ही आकर्षित रहा। यही जज्बा उन्हें वापस एसएसबी की ओर खींच लाया। दादा-दादी की छांव में मिली शिक्षा की नींव इशिता के पिता की नौकरी की प्रकृति के कारण लगातार स्थानांतरण होते रहे , ऐसे में इशिता की स्कूली शिक्षा की ज़िम्मेदारी निभाई दादा आर....