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पर्यटन में मध्यप्रदेश की नई उड़ान: 2024 में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे!!

भारत निर्वाचन आयोग की 18 नई पहलें लोकतंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में प्रभावी कदम!!!!

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने लोकतांत्रिक प्रणाली को और अधिक मजबूत, पारदर्शी तथा जनोन्मुखी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए चुनाव प्रक्रिया से संबंधित 18 नई पहलों की घोषणा की है। इन पहलों का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं की सुविधा, चुनावी पारदर्शिता, तकनीकी सुधार और समावेशी सहभागिता को बढ़ावा देना है। मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 मतदाता इन पहलों में सबसे प्रमुख बदलाव यह है कि अब प्रत्येक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 मतदाताओं को ही पंजीकृत किया जाएगा। पहले की तुलना में यह संख्या घटा दी गई है ताकि मतदान केंद्रों पर भीड़भाड़ कम हो और मतदान प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित, सरल और सुगम बन सके।  ऊंची इमारतों/कॉलोनियों में अतिरिक्त मतदान केंद्र इससे विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों और महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी। इसके अतिरिक्त, शहरी क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतों और घनी कॉलोनियों में अब अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे लोगों को अपने घर के नजदीक ही मतदान की सुविधा मिल सकेगी। मृत्यु पंजीकरण डेटा से मतदाता सूची अद्यतन मतदाता सूची को अद्यतन...

नोम चोम्स्की: हमारे समय की अंतरात्मा और आलोचनात्मक विवेक की आवाज़!!!!

नोम चोम्स्की हमारे समय के सबसे प्रभावशाली बुद्धिजीवियों में से एक हैं। वे भाषा-विज्ञान , राजनीति , मीडिया आलोचना और वैश्विक सत्ता संरचनाओं पर अपने तीक्ष्ण विश्लेषण के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी सोच ने न केवल अकादमिक जगत को बल्कि आम जनमानस को भी झंकझोरा है। आज जब लोकतंत्र , स्वतंत्रता और न्याय की अवधारणाएं लगातार चुनौती के घेरे में हैं , तब चोम्स्की की वैचारिक स्पष्टता और नैतिक प्रतिबद्धता हमें दिशा देने का कार्य करती है। इसीलिए , यह लेख उनके विचारों और योगदान की प्रासंगिकता को समझने का एक विनम्र प्रयास है। नोम चोम्स्की ( Noam Chomsky) का जन्म 7 दिसंबर 1928 को फिलाडेल्फिया , अमेरिका में हुआ था। वे एक बहुचर्चित अमेरिकी भाषाविद् , दार्शनिक , राजनीतिक विचारक , सामाजिक आलोचक और मानवाधिकारों के प्रखर पक्षधर हैं। वे एमआईटी ( Massachusetts Institute of Technology) में लंबे समय तक प्रोफेसर रहे हैं। चोम्स्की को आधुनिक भाषाविज्ञान का जनक माना जाता है। वे विश्लेषणात्मक दर्शन तथा मीडिया व राजनीति की आलोचनात्मक व्याख्या के लिए भी विख्यात हैं। भाषाविज्ञान , राजनीतिक दर्शन और सामाजिक आलोचना , मीडिया व...