जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल में 29 वर्षीय गोविंद कुमार बाल्मीकि, निवासी नीम का थाना (सीकर), के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उनके अंगों का दान किया गया। इससे चार मरीजों को नया जीवन मिला है।
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Photo Source : Dainik Bhaskar |
गोविंद का 24 दिसंबर को सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद एसएमएस अस्पताल में इलाज चल रहा था। चिकित्सकों ने हर संभव प्रयास किया, लेकिन 29 दिसंबर की रात उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। उनके परिजनों ने इस कठिन घड़ी में साहसिक निर्णय लेते हुए उनके अंगदान का फैसला किया।
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अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया: गोविंद की दोनों किडनियों और हृदय को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में ही प्रत्यारोपित किया गया। वहीं, उनका लिवर ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से जोधपुर भेजा गया, जहां उसे एक मरीज में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया।
अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की भूमिका: एसएमएस अस्पताल के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया कि गोविंद के परिवार के इस निर्णय ने चार जरूरतमंद मरीजों को नया जीवन दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए यह एक प्रेरणादायक कदम है। गोविंद के पिता पप्पू राम और उनके परिवार ने इस कठिन समय में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनका यह कदम न केवल जरूरतमंद मरीजों की जान बचाने में मददगार साबित हुआ, बल्कि समाज में अंगदान के महत्व को भी रेखांकित करता है।
अंगदान का महत्व: यह घटना अंगदान के क्षेत्र में राजस्थान की एक बड़ी उपलब्धि है। ऐसे फैसले समाज में अंगदान को लेकर जागरूकता बढ़ाने और अन्य लोगों को भी इस दिशा में प्रेरित करने का कार्य करते हैं। गोविंद कुमार बाल्मीकि का यह बलिदान चार परिवारों के लिए नई आशा लेकर आया है और समाज के लिए प्रेरणा बन गया है।
- The News Grit, 31/12/2024
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