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नागालैंड में जल सुरक्षा को नई दिशा—मिशन वाटरशेड की शुरुआत!

विद्यालयों को प्लास्टिक मुक्त बनाने और स्वच्छता अभियान में विद्यार्थियों की अग्रणी भूमिका-दमोह !!

दमोह : स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को लेकर दमोह जिले में एक अनूठी पहल की गई है, जिसमें विद्यार्थियों को प्लास्टिक मुक्त विद्यालयों की दिशा में प्रेरित किया जा रहा है। शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला, दमोह में आयोजित एक कार्यक्रम में स्वच्छता को लेकर विशेष मोटिवेशन दिया गया। इस कार्यक्रम में घोषणा की गई कि जिन विद्यालयों में प्लास्टिक की बोतलों और सिंगल यूज प्लास्टिक का अधिकतम संग्रहण किया जाएगा, उन्हें "स्वच्छता चैंपियन स्कूल" घोषित कर पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।



सभी सरकारी और निजी विद्यालय इस प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। विद्यार्थियों को प्रेरित किया गया है कि वे सिंगल यूज प्लास्टिक जैसे पाउच, प्लास्टिक बैग आदि को खाली बोतलों में भरकर संग्रह करें। जिन विद्यालयों द्वारा सबसे अधिक संख्या में भरी हुई बोतलें और उनका वजन संग्रहित किया जाएगा, उन्हें जिला स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान के लिए बड़े पुरस्कार दिए जाएंगे। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य न केवल विद्यालयों को प्लास्टिक मुक्त बनाना है, बल्कि शहर को स्वच्छ बनाने में विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना भी है।

इस पहल के तहत बच्चों को समझाया गया कि प्लास्टिक और कचरे का सही प्रबंधन पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कितना महत्वपूर्ण है। उन्हें यह भी सिखाया गया कि जब भी वे कचरा देखें, उसे तुरंत सही जगह पर डालें। सूखा और गीला कचरा अलग-अलग रखने की आदत को अपनाने पर बल दिया गया। बच्चों को यह भी प्रेरित किया गया कि यदि वे किसी को सार्वजनिक स्थानों पर कचरा फेंकते देखें, तो उन्हें समझाने का प्रयास करें। यह आदत बचपन से ही डाली जाए तो स्वच्छता की दिशा में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

                                         

                                           

कार्यक्रम में केवल स्वच्छता ही नहीं, बल्कि ऊर्जा संरक्षण पर भी जोर दिया गया। विद्यार्थियों को निर्देश दिया गया कि जब भी वे अनावश्यक रूप से चालू बिजली के उपकरण देखें, तो उन्हें तुरंत बंद कर दें। यह बताया गया कि पर्यावरण संरक्षण सिर्फ बाहरी स्वच्छता तक सीमित नहीं है, बल्कि आंतरिक स्वच्छता और अनुशासन भी इसका अभिन्न हिस्सा हैं।

                                 

बच्चों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनने के लिए आत्मरक्षा का महत्व भी समझाया गया। उन्हें सिखाया गया कि गलत व्यवहार का सामना करने की हिम्मत और आत्मरक्षा की कला उनके व्यक्तित्व का मजबूत हिस्सा होना चाहिए। इसके साथ ही, बाजार में प्लास्टिक बैग के उपयोग को रोकने के लिए अपने साथ कपड़े की थैली ले जाने की आदत डालने पर भी बल दिया गया।

कार्यक्रम में जीवन के उद्देश्य तय करने और अपने काम में श्रेष्ठता प्राप्त करने की शिक्षा दी गई। यह समझाया गया कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। जो भी काम करें, उसमें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें, क्योंकि यही सफलता का आधार है।

                         

इस पहल ने न केवल विद्यार्थियों को पर्यावरण और स्वच्छता के प्रति जागरूक किया है, बल्कि उन्हें अपने जीवन में जिम्मेदारी और अनुशासन का महत्व भी सिखाया है। यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा, जहां स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाएंगे।


- The News Grit, 07/12/2024

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