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गवेषणा जीवनदृष्टि, मानव गरिमा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण 2025 के संविवेक संकल्पों की त्रयी

गणतंत्र दिवस पर गवेषणा संस्था द्वारा ध्वजारोहण, जर्नल और स्मारिका विमोचन का आयोजन!!

सागर, 26 जनवरी 2025: गणतंत्र दिवस के अवसर पर गवेषणा संस्था ने अपने कल्पछाया परिसर में एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ध्वजारोहण और दो महत्वपूर्ण प्रकाशनों का विमोचन रहा। ध्वजारोहण हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी के दर्शनशास्त्र विभाग के प्रख्यात प्रोफेसर अम्बिका दत्त शर्मा के करकमलों से हुआ। राष्ट्रगान की मधुर धुन ने माहौल को देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया।

इस अवसर पर 'The Journal of Scientific Discourse' और 'गवेषणा स्मारिका' का विमोचन किया गया। यह गवेषणा संस्था के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसमें शिक्षा, विज्ञान और सामाजिक उत्थान को समर्पित इन प्रकाशनों का उद्देश्य समाज को प्रगतिशील विचारों और नवाचारी शोधों से जोड़ना है। जर्नल के चीफ एडिटर और हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी के मानव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर राजेश गौतम ने प्रकाशनों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "यह जर्नल न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देगा, बल्कि समाज के लिए व्यावहारिक समाधान भी प्रस्तुत करेगा।"

कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इनमें डॉ. श्याम मनोहर सिरोठिया, डॉ. अनिल तिवारी, डॉ. वसीम अनवर, डॉ. सुनील साहू, डॉ. दिनेश, डॉ. चंदन और ओशो सन्यासी राशिद जी शामिल थे। सभी ने गवेषणा संस्था के कार्यों की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए प्रेरणादायक बताया।

कल्पधाम का योगदान और सांस्कृतिक समर्पण

कार्यक्रम में कल्पधाम ग्रुप के डायरेक्टर इंजीनियर रमेश चौरसिया, पुरुषोत्तम चौरसिया, अंकुर चौरसिया और सारांश गौतम ने विशेष उपस्थिति दर्ज कराई। कल्पधाम ग्रुप और संस्था गवेषणा के बीच लंबे समय से सहयोग रहा है, और इस आयोजन ने दोनों के बीच सामंजस्य को और मजबूत किया।

कार्यक्रम का आयोजन मनोहर चौरसिया के नेतृत्व में हुआ, जिनकी कुशल प्रबंधन क्षमता और समाज सेवा के प्रति समर्पण ने इस आयोजन को सफल बनाया। उनके मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम न केवल एक औपचारिक आयोजन बनकर रहा, बल्कि समाज में जागरूकता और एकता का संदेश भी प्रसारित किया।

छात्रों की भागीदारी और उनका उत्साह

जिज्ञासा लाइब्रेरी के छात्रों ने भी बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में भाग लिया। उनकी सक्रिय भागीदारी ने यह साबित किया कि युवाओं में समाज सेवा और ज्ञान के प्रति उत्सुकता आज भी जीवित है। छात्रों ने न केवल आयोजन की शोभा बढ़ाई, बल्कि इसे अपने अनुभव और ऊर्जा से सजीव भी बनाया।

गणतंत्र दिवस की महत्ता पर विचार-विमर्श

कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने गणतंत्र दिवस की महत्ता पर अपने विचार साझा किए। प्रोफेसर अंबिका दत्त शर्मा ने कहा, "गणतंत्र दिवस केवल संविधान का उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें हमारी जिम्मेदारियों का भी बोध कराता है।" प्रोफेसर राजेश गौतम ने वैज्ञानिक और सामाजिक शोधों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि समाज में बदलाव लाने के लिए शिक्षा और जागरूकता सबसे प्रभावी साधन हैं।

संस्था का भविष्य और सामाजिक जिम्मेदारी

गवेषणा संस्था ने हाल ही में मानसिक स्वास्थ्य पर भी काम शुरू किया है, जिससे यह स्पष्ट है कि संस्था समाज के हर पहलू को छूने के लिए प्रतिबद्ध है। कार्यक्रम के अंत में सभी ने एकजुट होकर राष्ट्रहित में कार्य करने का संकल्प लिया।

उल्लेखनीय समापन

कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान और सामूहिक भोज के साथ हुआ। इस अवसर पर सभी उपस्थित लोगों ने गवेषणा संस्था के प्रयासों की प्रशंसा की और इसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

गवेषणा का यह आयोजन न केवल गणतंत्र दिवस की भावना को प्रकट करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि एक समर्पित संस्था कैसे शिक्षा, शोध और सामाजिक सेवा के माध्यम से राष्ट्रनिर्माण में योगदान दे सकती है।

By - Anand Dangi, The News Grit, 26/01/2025

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