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विश्व के सबसे बड़े हैंडीक्राफ्ट मेले में चमका मध्यप्रदेश का बाग प्रिंट!!

AIIMS नई दिल्‍ली और SAMEER बीच चिकित्‍सा इलेक्‍ट्रानिक्‍स उपकरण के विकास को लेकर हुआ समझौता!!!!

NMR विभाग के 32वें स्‍थापना दिवस पर 25 मार्च को सोसायइटी फॉर एम्‍लाइड माइक्रोवेव इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (SAMEER) और (AIIMS) ने मिलकर एक दूसरे के सहयोग से चिकित्‍सा उपकरणों के विकास करने पर एमओयू ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए। ताकि दोनों संस्‍थान उच्‍च क्षेत्र/निम्‍न क्षेत्र चुम्‍बकीय अनुदान इमेंजिंग (एमआरआई) परमाणु चुम्‍बकीय अनुदान (एनएमआर) प्रणालियों को विकसित करने और चिकित्‍सा अनुप्रयोगों के लिए रेडियो आवृत्ति, आरएफ, माइक्रोवेव, प्रणालियों और संबंद्ध क्षेत्रों में अनुसाधन को बढ़ावा देने के लिए सहयोत्‍मक रूप से काम कर सके।

इस समझौता ज्ञापन में पांच प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं:

1. चिकित्सा उपकरणों के विकास में सहयोगात्मक अनुसंधान।

2. समीर, मुंबई द्वारा विकसित स्वदेशी 1.5 टी एमआरआई प्रणाली का नैदानिक ​​सत्यापन।

3. तस्‍वीर संवर्द्धन और त्वरित इमेजिंग के लिए एआई/एमएल में सहयोगात्मक अनुसंधान।

4. उच्च/निम्न क्षेत्र एमआरआई स्कैनर के उप-प्रणालियों का डिजाइन और विकास।

5. उच्च क्षेत्र जीव एमआरआई स्कैनर के लिए आरएफ उप-प्रणालियों का विकास।

भारत में एमआरआई तकनीक का विकास

भारत में एमआरआई तकनीक को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक स्वदेशी चिकित्सा इमेजिंग प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसे समीर, मुंबई के द्वारा संचालित किया जा रहा है। इसमें सी-डैक (त्रिवेंद्रम और कोलकाता), आईयूएसी (नई दिल्ली), और डीएसआई-एमआईआरसी (बैंगलोर) जैसी प्रमुख संस्थाएं सहयोग कर रही हैं। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य एक भारतीय 1.5 टेस्ला एमआरआई मशीन का डिजाइन, विकास और परीक्षण करना है।

इस परियोजना के तहत एमआरआई मशीन के अलग-अलग हिस्सों जैसे आरएफ पावर एम्पलीफायर, टी/आर स्विच, आरएफ स्पेक्ट्रोमीटर और अन्य का विकास और परीक्षण किया गया है। इन घटकों को चुंबक, ग्रेडिएंट कॉइल और ग्रेडिएंट एम्पलीफायर के साथ जोड़ा गया है। इसके साथ ही, जीवों पर परीक्षण भी सफलतापूर्वक किए गए हैं।

1.5 टेस्ला मैग्नेट, उसके सुपरकंडक्टिंग घटक, हीलियम क्रायोस्टेट और अन्य कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स का विकास किया गया है। इसे 1.5 टेस्ला तक चलाना सफल रहा है और अंतिम क्रायोटेस्टिंग का काम चल रहा है। जल्द ही इसे बाकी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के साथ जोड़ा जाएगा। इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए 7 कंपनियों को शामिल किया गया है। एम्स के साथ समझौता ज्ञानचिप के जरिए इस तकनीक का नैदानिक परीक्षण संभव होगा, जिससे भारत एमआरआई तकनीक में आत्मनिर्भर बन सकेगा।

एम्स, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने इस मौके पर देश की ताकत पर बात की और कहा कि डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को मिलकर काम करना जरूरी है। उन्होंने एम्स की ओर से बेहतर चिकित्सा उपकरणों के विकास में पूरा सपोर्ट देने का भरोसा दिलाया।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की रिसर्च और डेवलपमेंट की समूह समन्वयक, श्रीमती सुनीता वर्मा ने सह-निर्माण की बात की। उन्होंने बताया कि भारत को घरेलू मांग पूरी करने के साथ-साथ किफायती और स्वदेशी स्वास्थ्य समाधान विकसित करने में आगे बढ़ना होगा।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अपर सचिव, आईएएस श्री अभिषेक सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि साझेदारी से देश में चिकित्सा उपकरणों का ढांचा मजबूत होगा। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल और एआई मिशन की तैयारियों की चर्चा की। उन्होंने एम्स के साथ मिलकर भारतीय चिकित्सा उपकरण विकसित करने की संभावनाओं को भी समर्थन दिया। समीर के महानिदेशक डॉ. पीएच राव ने चिकित्सा उपकरणों पर ध्यान देते हुए समीर में हुए शोध कार्यों के बारे में चर्चा की, जिसमें एमआईआई, लिनेक, एक्स-रे आधारित रक्त विकिरण शामिल है।

इस प्रकार के विकास से न केवल चिकित्‍सा उपकरणों पर देश का खर्च कम होगा आयात की दृष्टि से और चिकित्‍सा उपकरण का आयात भी कम होगा, साथ में अगर यह विकास सफलतापूर्वक हो जाता है। तो MRI जैसी जांचो का लाभ हर उस व्‍यक्ति तक पहुंच सकेगा जो अभी MRI जैसी जांचे मेंहगी होने के कारण नहीं कराते ऐसे में यह समझौता जो ऐम्‍स और समीर के बीच हुआ हर एक देश के हर नागरिक से जुड़ा हुआ है। अब देखने वाली बात यह है। की यह समझौता देश के लिए क्‍या सौगात बनकर आता है।  

The News Grit,28/03/2025

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