सागर में लोक शिक्षण संचनालय मध्य प्रदेश शासन के निर्देश अनुसार शिक्षा विभाग के द्वारा अभिनव पहल करते हुए शासकीय विद्यालयों की छात्र-छात्राओं को सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए अनुगूंज कार्यक्रम प्रारंभ किया गया जिसमें सागर जिले की एक दर्जन शालाओं में से 1006 छात्रों ने भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। छात्र-छात्राओं के इस उत्साह से संपूर्ण महाकवि पद्माकर सभागार तालियों की गढ़गढ़ाहट से गूंज उठा।
अनुगूंज कार्यक्रम में एक भारत श्रेष्ठ भारत की अभिनव झलक दिखी। संयुक्त संचालक सागर संभाग डॉ मनीष वर्मा ने बताया कि शासन के निर्देश अनुसार यह अनुगूंज कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें सागर जिले की एक दर्जन शासकीय विद्यालयों की 1000 विद्यार्थियों ने भाग लिया और अपनी प्रतिभा को सबके सामने रखा।
उन्होंने बताया कि
शासकीय उ.मा.वि. बाघराज तिली स्कूल के द्वारा गणेश स्तुति एवं लावणी लोक नृत्य, शास. सी.एम. राइज
म.ल.ब. कन्या उ.मा.वि.क्र.1 सागर के द्वारा रस-रंजिनी नृत्य, शास. कन्या हाईस्कूल
मकरोनिया के द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत महारास नृत्य, रविशंकर कन्या उ.मा.वि.
सागर के द्वारा महारास नृत्य किया गया।
और शास.उ.मा.वि. मोराजी के द्वारा नाटिका-आर्मी लाइफ, शास.उ.मा.वि. रजाखेडी के द्वारा भारत की आजादी के महानायक (नृत्य नाटिका), शास.उ.मा.वि.रजौआ के द्वारा नाटक महादानी महाज्ञानी सर डॉ. हरिसिंह गौर, शासकीय पंडित रवि शंकर विद्यालय कन्या उ.मा.वि. के द्वारा बुंदेली लोकगीत- फाग (पारम्परिक गीत), शास.उ.मा.वि. गौरनगर सागर के द्वारा मयूर नृत्य,शास. हाई स्कूल गोपालगंज के द्वारा हुर्रे नृत्य किया गया
और शासकीय पंडित रविशंकर शुक्ला कन्या उच्च उत्तर माध्यमिक विद्यालय सागर के द्वारा नृत्य नाटिका- महाकुंभ, शास. उत्कृ.उ.मा.वि. सागर के द्वारा नाटक- मदिरासुर (नशा मुक्ति 12 आधारित), शास.उ.मा.वि.रजौआ के द्वारा डांगी जनजाति नृत्य जिला डांग,गुजरात,शास.म.ल.ब.कन्या उ.मा.वि.क्र.2 सागर के द्वारा जयति जयति भारतम्, शास.उत्कृ.उ.मा.वि. सागर के द्वारा बुंदेलखण्ड के लोक नृत्यों की झलक की मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई।
सभी प्रस्तुतियों को सभागार
में बैठे दर्शकों द्वारा तालियों की गूंज से सराहा गया। स्काउट गाइड और एनसीसी के
कैंडिड्स द्वारा कार्यक्रम की सभी व्यवस्थाओं में सेवा सहयोग प्रदान किया गया।
इस प्रकार के (अनुगूंज कार्यक्रम) द्वारा से देश में हमारी संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिसके चलते हमारी आने वाली पीढ़ी को देश की संस्कृति और सभ्यता से अवगत कराया जा सके। और ऐसे कार्यक्रमों से हम इन स्कूलों के छात्र-छात्राओं की प्रतिभाओं को उभार सकते है, जो न केवल मनोरंजन तक सीमीत है, पर यह बच्चों को बड़े मंच पर प्रस्तुति को प्रदर्शित करने में निखार लाने का कार्य करती है। और बड़ी भीड़ के सामने प्रस्तुति देने का डर समाप्त करती है। इसलिए अनुगूंज कार्यक्रम जैसी पहले होते रहना जरूरी है।
The News Grit, 26/03/2025
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