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पर्यटन में मध्यप्रदेश की नई उड़ान: 2024 में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे!!

भयावह हादसा: लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त

अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की अंतरराष्ट्रीय उड़ान AI-171 आज दोपहर एक भयावह दुर्घटना का शिकार हो गई। विमान ने दोपहर 1:38 बजे सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी , लेकिन टेक-ऑफ के कुछ ही मिनटों बाद यह अनियंत्रित हो गया और मेघानीनगर क्षेत्र में स्थित BJ मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में जा घुसा। जोरदार धमाके के साथ विमान में आग लग गई और आसपास का इलाका धुएं से भर गया। एयर इंडिया की लंदन जा रही अंतरराष्ट्रीय उड़ान AI-171 में कुल 242 लोग सवार थे , जिनमें 230 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य शामिल थे। एयर इंडिया के अनुसार , यात्रियों में 169 भारतीय , 53 ब्रिटिश , 1 कनाडाई और 7 पुर्तगाली नागरिक शामिल थे। टेक-ऑफ के तुरंत बाद हुए भयावह हादसे में कई यात्रियों की मृत्यु हो चुकी है , जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। स्थानीय पुलिस , फायर ब्रिगेड और आपदा प्रबंधन की टीमें तत्काल घटनास्थल पर पहुंचीं और राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। अब तक दर्जनों शव बरामद किए जा चुके हैं और घायलों का इलाज नजदीकी अस्पतालों में जारी है। मृतकों और घायलों की अंतिम पुष्टि जा...

रानी अवंतीबाई विश्वविद्यालय में गवेषणा की पहल: पुस्तक दान, वृक्षारोपण, ऑक्सीजन बैंक व लाइब्रेरी की सुविधा ओर कदम

सागर , 12 जून- शिक्षा , पर्यावरण संरक्षण और समाज कल्याण के क्षेत्र में सक्रिय संस्था ‘गवेषणा मानवोत्त्थान पर्यावरण तथा स्वास्थ्य जागरूकता समिति’ ने आज रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय , सागर में एक बहुआयामी पहल की। इसके तहत न केवल शैक्षणिक पुस्तकों का दान किया गया , बल्कि विश्वविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण और ऑक्सीजन बैंक की स्थापना के लिए भी पहल की है।        गवेषणा संस्था के अध्यक्ष श्री मनोहरलाल चौरसिया द्वारा विश्वविद्यालय को संस्था द्वारा प्रकाशित “द जर्नल ऑफ साइंटिफिक डिसकोर्स” के प्रथम और द्वितीय खंड सहित कृषि विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण पुस्तकें कुलपति प्रो. विनोद कुमार मिश्रा व रजिस्ट्रार श्रीमती शक्ति जैन को भेंट की गईं , जो विशेष रूप से कृषि संकाय के विद्यार्थियों के लिए लाभकारी होंगी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद कुमार मिश्रा , रजिस्ट्रार श्रीमती शक्ति जैन , कृषि संकाय के विज़िटिंग फैकल्टी डॉ. चंदन सिंह एवं अन्य फैकल्टी भी उपस्थित रहे। सभी ने गवेषणा के इस योगदान की   प्रशंसा की और इसे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विकास और...

सागर की शान बनी इशिता शर्मा – अपने सपने को हकीकत में बदलने वाली बेटी!!!!

बेटियां अभिशाप नहीं , वरदान होती हैं। वे दो कुलों को आगे बढ़ाने वाली शक्ति होती हैं। अगर उन्हें सही दिशा , साथ और समर्थन मिले , तो वे हर वो सपना साकार कर सकती हैं , जिसे समाज कभी असंभव समझता था। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है मध्य प्रदेश के सागर की बहादुर बेटी इशिता शर्मा की , जिन्होंने अपने मजबूत इरादों और कठिन मेहनत के बल पर भारतीय नौसेना में सब लेफ्टिनेंट का गौरव हासिल किया है। जब सपना बना संकल्प और संकल्प बना उपलब्धि इशिता का बचपन सेना के अनुशासित माहौल में बीता। उनके पिता दीपक शर्मा , जो मिलेट्री इंजीनियरिंग सर्विस में अधिकारी हैं , ने परिवार में देशसेवा की भावना को पनपने दिया। इशिता ने इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन में बीटेक करने के बाद टीसीएस जैसी प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी में मुंबई में नौकरी की , लेकिन मन हमेशा वर्दी और देश सेवा के प्रति ही आकर्षित रहा। यही जज्बा उन्हें वापस एसएसबी की ओर खींच लाया। दादा-दादी की छांव में मिली शिक्षा की नींव इशिता के पिता की नौकरी की प्रकृति के कारण लगातार स्थानांतरण होते रहे , ऐसे में इशिता की स्कूली शिक्षा की ज़िम्मेदारी निभाई दादा आर....

घास के मैदानों से मजबूत होता नौरादेही का वन्यजीव संरक्षण!!!!

मध्य प्रदेश में स्थित वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व न केवल राज्य का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है , बल्कि यह जैव विविधता , पारिस्थितिकी और वन्यजीवन संरक्षण की दिशा में एक नया उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहा है। यहां विस्थापन के बाद खाली हुए गांवों की जमीन पर विकसित किए गए घास के मैदानों ने न सिर्फ परिदृश्य को बदला है , बल्कि वन्य प्रजातियों के लिए एक अनुकूल आवास भी उपलब्ध कराया है। खास तौर पर शाकाहारी जानवरों की संख्या में जो तीव्र वृद्धि हुई है , उसने इस क्षेत्र को वन्यजीव पर्यटन और बाघों के संरक्षण दोनों ही दृष्टियों से और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। विस्थापन से अवसर तक वर्ष 2010 में अफ्रीकी चीतों को भारत में बसाने के लिए नौरादेही क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया था। इस पहल के तहत 2014 में गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके परिणामस्वरूप कई गांवों को हटाकर उनकी जमीन को पुनः प्राकृतिक आवास में परिवर्तित किया गया। भले ही नौरादेही को आधिकारिक रूप से 20 सितंबर 2023 को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला , लेकिन उससे पूर्व ही संरक्षण कार्य प्रारंभ हो चुके थे। सागर और नरसिंहपुर जि...

UGC के नए दिशा-निर्देश: अब एक साथ दो डिग्रियाँ करना संभव!!!!

भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( NEP) 2020 ने शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीला , समग्र ( holistic), और बहु-विषयक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। इसी नीति की सिफारिशों को लागू करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( UGC) ने विद्यार्थियों को एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रमों में दाख़िला लेने की अनुमति देने संबंधी दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह व्यवस्था छात्रों को उनके रुचि और योग्यता के अनुसार बहुआयामी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। देश में उच्च शिक्षा की मांग लगातार बढ़ रही है ,   लेकिन पारंपरिक संस्थानों में सीमित सीटों के कारण कई छात्र वांछित पाठ्यक्रमों में प्रवेश नहीं पा पाते। ऐसे में ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग ( ODL)   और ऑनलाइन शिक्षा एक वैकल्पिक रास्ता बनकर उभरे हैं। इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए   UGC   ने एक ऐसा मार्गदर्शक ढाँचा तैयार किया है जिससे छात्र एक साथ दो अलग-अलग शैक्षणिक कार्यक्रमों को सुगमता से कर सकें। उद्देश्य: UGC द्वारा जारी इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य NEP 2020 की भावना के अनुरूप शिक्षा को अधिक विद्यार्थी-केंद्रित बनाना है। इ...

ECCE: भारत की शिक्षा नीति में बचपन की सशक्त शुरुआत!!!!

बचपन का शुरुआती समय यानी जीवन के पहले 6 साल बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए सबसे अहम होता है। इस दौरान बच्चे का दिमाग तेज़ी से विकसित होता है – लगभग 85% मस्तिष्क विकास 6 साल की उम्र से पहले ही पूरा हो जाता है। इसलिए , इस उम्र में बच्चों को अच्छी देखभाल और शिक्षा देना बहुत ज़रूरी है। इसी सोच के साथ प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा ( ECCE) की नींव रखी गई है। ECCE (Early Childhood Care and Education) का अर्थ है – प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा । 1975 से भारत में ECCE ( प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा) की नींव आईसीडीएस (समेकित बाल विकास सेवा) कार्यक्रम के माध्यम से रखी गई , जिसके तहत आंगनवाड़ियों के जरिए छोटे बच्चों को देखभाल , पोषण और पूर्व-प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जाती रही है। यह व्यवस्था बच्चों के समग्र विकास के उद्देश्य से कार्यरत रही। इसके कई दशकों बाद , राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) ने ECCE को भारत की औपचारिक शिक्षा प्रणाली में एकीकृत करते हुए , इसे बुनियादी शिक्षा का अनिवार्य आधार घोषित किया। इस नीतिगत बदलाव ने ECCE को केवल पोषण और देखभाल तक सी...

जब तर्कशीलता बनती है प्रतिरोध: हैबरमास की दृष्टि में संवाद!!!!

जुर्गन हैबरमास ( J ü rgen Habermas) समकालीन युग के सबसे प्रभावशाली दार्शनिकों और समाजशास्त्रियों में गिने जाते हैं। वे फ्रैंकफर्ट स्कूल की परंपरा से जुड़े आलोचनात्मक सिद्धांत ( Critical Theory) के प्रमुख प्रतिनिधि हैं। हैबरमास का दर्शन लोकतंत्र , संवाद , सार्वजनिक क्षेत्र , और संप्रेषण ( communication) पर आधारित है। उन्होंने आधुनिकता , तर्कशीलता ( rationality), नैतिकता और सामाजिक न्याय के पुनराविष्कार में अद्वितीय योगदान दिया है। हैबरमास का जन्म जर्मनी के डसेलडोर्फ में नाज़ी शासन के दौरान 18 जून 1929 में हुआ। उनके बचपन का अनुभव और द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका ने उनकी सोच को गहराई से प्रभावित किया। वे एक धार्मिक परिवार से आए ,   लेकिन बाद में उनका रुझान धर्मनिरपेक्ष तर्क और लोकतांत्रिक मूल्यों की ओर हुआ। हैबरमास ने गोएथ विश्वविद्यालय , फ्रैंकफर्ट से दर्शन , इतिहास , मनोविज्ञान और साहित्य का अध्ययन किया। वे थिओडोर अडोर्नो और मैक्स होरकहाइमर जैसे फ्रैंकफर्ट स्कूल के प्रमुख चिंतकों के शिष्य रहे। उन्होंने 1960 के दशक में अपने पहले प्रमुख ग्रंथ The Structural Transformation of the P...