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पर्यटन में मध्यप्रदेश की नई उड़ान: 2024 में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे!!

वनों की निगरानी अब रियल-टाइम में एमपी बना देश में पहला राज्य!!!!

मध्यप्रदेश ने वन प्रबंधन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए पूरे देश में पहली बार एआई आधारित रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट प्रणाली लागू की है। यह नवाचार न केवल तकनीकी दृष्टि से अत्यंत उन्नत है, बल्कि यह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में राज्य की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इस प्रणाली के माध्यम से वन क्षेत्र में हो रहे भूमि अतिक्रमण, भूमि उपयोग में परिवर्तन, और वन हानि जैसी गतिविधियों की त्वरित पहचान और निगरानी संभव हो सकी है। इससे वन विभाग को त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करने का अवसर मिलता है।

इस अनूठी प्रणाली की परिकल्पना गुना वन मण्डल के वन मण्डलाधिकारी श्री अक्षय राठौर द्वारा की गई। उनके नेतृत्व और तकनीकी दृष्टिकोण ने इस विचार को मूर्त रूप देने में प्रमुख भूमिका निभाई। इस परियोजना को सफल बनाने में मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री असीम श्रीवास्तव और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (आईटी) श्री बी.एस. अणिगेरी ने संस्थागत समर्थन और मार्गदर्शन प्रदान किया।

इस संपूर्ण प्रणाली को गूगल अर्थ इंजन पर आधारित बनाया गया है, जिसमें बहु-कालिक उपग्रह चित्रों, कस्टम एआई मॉडल, मोबाइल फीडबैक और मशीन लर्निंग की मदद से फील्ड-लेवल तक की निगरानी और कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है।

तकनीकी विशेषताएँ और कार्यप्रणाली

यह प्रणाली एक सतत और स्मार्ट साइकल में कार्य करती है, जिसमें तीन प्रमुख घटक होते हैं

उपग्रह चित्र विश्लेषण

गूगल अर्थ इंजन के माध्यम से तीन अलग-अलग तिथियों के उपग्रह चित्रों का विश्लेषण किया जाता है। इसमें फसल, बंजर भूमि, निर्माण क्षेत्र आदि में हो रहे सूक्ष्म परिवर्तनों की पहचान की जाती है। महत्वपूर्ण पिक्सल परिवर्तन के आधार पर पॉलीगन अलर्ट जनरेट किया जाता है।

फील्ड सत्यापन और मोबाइल फीडबैक

अलर्ट को संबंधित फील्ड स्टॉफ के मोबाइल ऐप पर भेजा जाता है। फील्ड स्टॉफ उस स्थल पर जाकर जीपीएस टैग की गई फोटो, वॉइस नोट, और टिप्पणियाँ अपलोड करते हैं। इस सत्यापन से डेटा की प्रामाणिकता सुनिश्चित होती है।

मशीन लर्निंग और मॉडल इम्प्रूवमेंट

फील्ड फीडबैक के आधार पर मशीन लर्निंग मॉडल को पुनः प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे गलत अलर्ट की संख्या घटती है और सटीकता में वृद्धि होती है। एक अलर्ट में लगभग 20 से अधिक स्वतंत्र फीचर्स जैसे NDVI, SAVI, EVI, SAR आदि को जोड़ा जाता है, जिससे विश्लेषण गहराई से किया जा सके।

लाइव डैशबोर्ड और फील्ड मॉनिटरिंग

इस सिस्टम की एक प्रमुख विशेषता है वन मण्डलाधिकारी डैशबोर्ड, जहाँ रियल-टाइम डाटा और लाइव मॉनिटरिंग की सुविधा उपलब्ध है। इस डैशबोर्ड में निम्नलिखित जानकारी देखी जा सकती है

·         सभी अलर्ट की लाइव स्थिति

·         बीट और फील्ड पोस्ट के अनुसार विभाजन

·         तिथि, क्षेत्रफल और घनत्व के अनुसार फ़िल्टर

·         जियोफेंसिंग और दूरी मापन की सुविधा

·         मोबाइल ऐप पर फील्ड स्टॉफ को कार्रवाई के लिये तत्काल सूचना

यह पूरी प्रक्रिया वन विभाग को मात्र निगरानी तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उसे प्रभावी और त्वरित कार्रवाई के लिये भी सशक्त बनाती है।

प्रारंभिक कार्यान्वयन पॉयलेट प्रोजेक्ट

इस अत्याधुनिक प्रणाली को पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के पाँच संवेदनशील वन मण्डलों में लागू किया गया है। ये मण्डल हैं-

शिवपुरी, गुना, विदिशा, बुरहानपुर, खण्डवा

इन क्षेत्रों में वृक्ष कटाई, अवैध अतिक्रमण और भूमि परिवर्तन जैसी समस्याएँ अधिक देखी जाती थीं। इसलिए इन्हें प्राथमिकता दी गई। पॉयलेट के सफल परिणामों के आधार पर इसे पूरे राज्य में विस्तार दिया जा रहा है।

भविष्य की दिशा और संभावनाएँ

इस प्रणाली के सफल क्रियान्वयन से मध्यप्रदेश ने यह साबित कर दिया है कि यदि प्रौद्योगिकी, स्थानीय नेतृत्व और प्रशासनिक इच्छाशक्ति का संगम हो, तो वन संरक्षण के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है।

भविष्य में इस मॉडल को अन्य राज्यों में भी लागू करने की संभावनाएँ प्रबल हैं। यह प्रणाली न केवल वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिये उपयोगी है, बल्कि यह पर्यावरणीय निगरानी, जैवविविधता संरक्षण, और जलवायु परिवर्तन की निगरानी में भी उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

मध्यप्रदेश द्वारा लागू की गई यह एआई आधारित रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट प्रणाली भारत में वन संरक्षण के एक नए युग की शुरुआत है। यह प्रणाली सिर्फ एक तकनीकी उपकरण नहीं है, बल्कि यह एक सोच है - प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की, भविष्य की पीढ़ियों के लिये वनों को सुरक्षित रखने की।

यदि अन्य राज्य भी इसी तरह की पहल करें, तो भारत वैश्विक स्तर पर वन प्रबंधन में एक मॉडल देश बन सकता है। यह एक स्पष्ट संदेश है कि अब समय आ गया है जब विज्ञान और तकनीक को पर्यावरण संरक्षण के लिये एकजुट किया जाये।

The News Grit, 29/04/2025

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