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पर्यटन में मध्यप्रदेश की नई उड़ान: 2024 में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे!!

आधुनिक तकनीक से खेती में नया उजाला सागर जिले के किसानों की प्रेरणादायक कहानियाँ!!!!

भारत में कृषि केवल जीविका का साधन नहीं, बल्कि जीवनशैली और सांस्कृतिक धरोहर भी है। आज जब जलवायु परिवर्तन, सीमित जल संसाधन और पारंपरिक खेती की चुनौतियाँ किसानों के सामने हैं, ऐसे समय में सरकारी योजनाएँ और आधुनिक तकनीकें नई आशा की किरण बनकर उभरी हैं। मध्यप्रदेश के सागर जिले से चार ऐसे किसानों की कहानियाँ सामने आई हैं जिन्होंने इन संसाधनों का समुचित उपयोग कर खेती को लाभकारी व्यवसाय में बदला है। ये कहानियाँ केवल सफलता की नहीं, बल्कि परिवर्तन, संकल्प और सतत विकास की प्रेरणा भी हैं।

नंदकिशोर पटैल – शेडनेट हाउस से मिली 4 लाख की शुद्ध आय

जिला सागर के ग्राम हफसिली के निवासी नंदकिशोर पटैल ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत शेडनेट हाउस की स्थापना की और उसमें खीरे की खेती कर अपनी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि की। शेडनेट हाउस की सहायता से उन्होंने फसल को प्राकृतिक आपदाओं और कीटों से सुरक्षित रखा, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार हुआ। उनकी कुल आय 5 लाख रुपये रही, जिसमें से शुद्ध लाभ 4 लाख रुपये रहा। नंदकिशोर पटैल की यह कहानी यह दिखाती है कि यदि किसान योजनाओं की सही जानकारी लेकर उन्हें ईमानदारी और निष्ठा से अपनाएं, तो वे न केवल अपने जीवन की दिशा बदल सकते हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित कर सकते हैं।

रविशंकर पटैल – मल्चिंग तकनीक से सब्जियों की खेती में सफलता

मालथौन तहसील के ग्राम कोलुआ के किसान रविशंकर पटैल ने संरक्षित खेती एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना का लाभ उठाकर मल्चिंग सह कवर क्रॉप तकनीक को अपनाया। उन्होंने मिर्ची, तरबूज और खरबूज की खेती की और इन फसलों से 45 हजार रुपये की आय अर्जित की, जिसमें शुद्ध लाभ 30 हजार रुपये रहा। मल्चिंग तकनीक के प्रयोग से उन्होंने न केवल जल संरक्षण किया, बल्कि खरपतवार नियंत्रण और मिट्टी की उर्वरता भी बनाए रखी। इससे उत्पादकता में आशाजनक वृद्धि हुई। उनकी सफलता यह दर्शाती है कि सीमित संसाधनों में भी वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोग कर कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाया जा सकता है।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) की शुरुआत वर्ष 2014 में 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान देश में बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए की गई थी। यह मिशन कृषि एवं सहकारिता विभाग की छह योजनाओं – राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM), हिमालयी व पूर्वोत्तर राज्यों हेतु मिशन (HMNEH), राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM), राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB), नारियल विकास बोर्ड (CDB) और केंद्रीय बागवानी संस्थान (CIH), नागालैंड – को समाहित करता है। इस योजना के अंतर्गत भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है, जिसमें NHM देश के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर केंद्रित है तथा HMNEH पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को कवर करता है। MIDH का उद्देश्य गुणवत्तायुक्त बीजों और रोपण सामग्री का उत्पादन, उत्पादकता वृद्धि, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कोल्ड चेन जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण, और नई तकनीकों को अपनाना है। यह योजना छोटे और सीमांत किसानों से लेकर बागवानी उद्यमियों तक को तकनीकी सहायता और वित्तीय प्रोत्साहन देती है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। भारत में बागवानी फसलों में फल, सब्जियाँ, मसाले, फूल, औषधीय पौधे, बांस, नारियल, काजू और कोको आदि शामिल हैं, जो पोषण सुरक्षा और आय का प्रमुख स्रोत हैं। योजना के अंतर्गत लगभग 11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को नई बागवानी फसलों के तहत लाने, 4.5 लाख हेक्टेयर का जीर्णोद्धार करने और 19,000 से अधिक बाजार व भंडारण संरचनाओं की स्थापना का लक्ष्य है।


राकेश कुशवाहा – ड्रिप संयंत्र से टमाटर की खेती में तीन लाख की शुद्ध आय

सागर जिले के खुरई विकासखंड के ग्राम करमपुर के युवा किसान राकेश कुशवाहा ने प्रधानमंत्री किसान सिंचाई योजना के अंतर्गत ड्रिप संयंत्र स्थापित किया। इस तकनीक का लाभ उठाकर उन्होंने टमाटर की खेती को चुना। ड्रिप सिंचाई से पानी की बचत, समय की बचत और पोषक तत्वों की सटीक आपूर्ति सुनिश्चित हुई। नतीजतन, उन्हें 3 लाख 90 हजार रुपये की कुल आय हुई, जिसमें से शुद्ध आय 3 लाख रुपये रही। उनकी कहानी बताती है कि तकनीक और योजनाओं का मेल किसान को आत्मनिर्भर बना सकता है। राकेश की सफलता नए किसानों को यह सोचने पर मजबूर करती है कि खेती में परिवर्तन से ही समृद्धि संभव है।

रामाधार दांगी – खीरे की खेती में 3.20 लाख की शुद्ध आय

जिला सागर के ग्राम बिदवासी के किसान रामाधार दांगी ने भी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत ड्रिप संयंत्र की मदद से खेती को नए आयाम दिए। उन्होंने खीरे की खेती की और पानी के सीमित उपयोग के बावजूद उत्कृष्ट उत्पादन प्राप्त किया। रामाधार दांगी को इस फसल से 4 लाख रुपये की कुल आय हुई, जिसमें 3 लाख 20 हजार रुपये की शुद्ध आय अर्जित हुई। वे कहते हैं, "ड्रिप संयंत्र ने पानी की बचत की और उत्पादन में गुणवत्ता लाई। पहले जहां सिंचाई एक बड़ी चिंता थी, अब वह मेरी ताकत बन गई है।" उनकी सफलता यह प्रमाणित करती है कि अगर किसान नई तकनीक को अपनाने के लिए तैयार हों, तो सरकार के सहयोग से वे अपनी आर्थिक स्थिति को पूरी तरह बदल सकते हैं।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में जल संसाधनों के बेहतर उपयोग और सिंचाई सुविधा का विस्तार करना है। "हर खेत को पानी" और "हर बूंद अधिक फसल" जैसे सिद्धांतों पर आधारित यह योजना किसानों को जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने और पानी के संरक्षण हेतु प्रोत्साहित करती है। इसमें सिंचाई में निवेश को समेकित करते हुए जल की उपलब्धता और वितरण की प्रणाली को मजबूत किया जाता है, ताकि खेतों तक आसानी से पानी पहुँच सके और फसल उत्पादन में वृद्धि हो। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 90:10 के अनुपात में वित्तीय साझेदारी के तहत यह योजना लागू की जाती है। इसका प्रमुख उद्देश्य है खेतों में सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणाली को बढ़ावा देना, जिससे जल की बचत हो और फसल उत्पादकता में सुधार हो। 

इन चारों किसानों की कहानियों में कुछ समान सूत्र हैं:

सरकारी योजनाओं का लाभ,

नई कृषि तकनीकों का प्रयोग,

परिश्रम और जिज्ञासा,

और सबसे महत्वपूर्ण – सुधार के लिए संकल्प।

चाहे वह शेडनेट हाउस हो, ड्रिप सिंचाई संयंत्र, या मल्चिंग तकनीक – हर किसान ने पारंपरिक तरीकों को पीछे छोड़कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया। यह स्पष्ट है कि सरकार की योजनाएँ तभी सफल हो सकती हैं जब किसान जागरूक हों और स्वयं बदलाव को स्वीकार करें।

सागर जिले के ये चारों किसान आत्मनिर्भरता की मिसाल हैं। इन्होंने साबित कर दिया कि खेती घाटे का नहीं, लाभ का सौदा है – बशर्ते सही जानकारी, योजना और मेहनत हो। हम सभी किसानों से अपील करते हैं कि वे सरकारी योजनाओं के प्रति सजग हों, कृषि विज्ञान केंद्रों और स्थानीय कृषि अधिकारियों से संपर्क करें, और आधुनिक तकनीकों को अपनाएं। इन प्रेरणादायक कहानियों से यह संदेश मिलता है कि आज का किसान यदि तकनीकी रूप से सक्षम हो और योजनाओं का सही लाभ उठाए, तो वह न केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकता है, बल्कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दे सकता है।

The News Grit, 26/05/2025


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