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ब्रह्मांड की शुरुआती आवाजे सुनने में एक छोटे कंप्यूटर की बड़ी भूमिका!!

सागौन के पत्तों से बनी लेजर सुरक्षा: एक जैविक और पर्यावरण अनुकूल खोज!!

लेजर की बढ़ती ताकत और खतरे - आज के वैज्ञानिक और तकनीकी युग में लेजर तकनीक का उपयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। चिकित्सा (जैसे आंखों की सर्जरी) , सैन्य (जैसे रडार या हथियार) , और उद्योग (जैसे काटने या मापने की मशीनों) में तेज लेजर बीम का उपयोग आम हो गया है। लेकिन यह तकनीक जहां सुविधाएं देती है , वहीं नाजुक ऑप्टिकल उपकरणों और मानव आंखों के लिए खतरनाक भी हो सकती है। तेज लेजर की किरणें आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए अब ज़रूरत है ऐसी लेजर सुरक्षा तकनीकों की जो प्राकृतिक , सस्ती , और पर्यावरण के अनुकूल हों। सागौन के पत्तों से बनी जैविक लेजर सुरक्षा भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( DST) के अंतर्गत आने वाले रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट ( RRI) के वैज्ञानिकों ने एक अद्भुत प्राकृतिक विकल्प खोजा है - सागौन के पेड़ ( Teak – Tectona grandis ) की फेंकी जाने वाली पत्तियाँ। वैज्ञानिकों ने पाया कि ये पत्तियाँ एक विशेष प्राकृतिक रंगद्रव्य एंथोसायनिन ( Anthocyanin) से भरपूर होती हैं , जो इन्हें लाल-भूरा रंग देता है और यही रंग लेजर सुरक्षा में सहायक बन सकता है। इस खोज के बारे में RRI ...

सूरज की रोशनी, कंपन और AI से शुद्ध होगा गंदा पानी: भारत के वैज्ञानिकों की पर्यावरण-अनुकूल क्रांति!!

अब वह दिन दूर नहीं जब गंदे और जहरीले रंगों से भरा पानी सिर्फ सूरज की रोशनी , मामूली कंपन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( AI) की थोड़ी सी मदद से पूरी तरह साफ हो जाएगा। यह कोई विज्ञान-कथा नहीं , बल्कि भारत के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक ऐसी अभिनव तकनीक है जो न सिर्फ प्रभावी , बल्कि सस्ती , टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल भी है। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ( DST)   के नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान ( INST),   मोहाली के शोधकर्ताओं ने एक   3 डी प्रिंटेड जल-शुद्धिकरण प्रणाली तैयार की है ,   जो विशेष रूप से प्रदूषित औद्योगिक जल की सफाई के लिए बनाई गई है। यह प्रणाली एक साथ तीन शक्तियों को जोड़ती है – सौर ऊर्जा ,   पीजोइलेक्ट्रिक कंपन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( AI) । क्यों है इसकी ज़रूरत ? भारत में तेजी से बढ़ते कपड़ा , दवा और रसायन उद्योग भारी मात्रा में अपशिष्ट जल उत्पन्न करते हैं , जिसमें मेथिलीन ब्लू और कांगो रेड जैसे जहरीले रसायन शामिल होते हैं। ये रसायन केवल जल स्रोतों का रंग ही नहीं बिगाड़ते , बल्कि मानव स्वास्थ्य और जलजीवों के लिए भी गंभीर खतरा...