भारत सरकार ने
एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश का पहला "अखिल भारतीय घरेलू आय सर्वेक्षण" 2026 में आयोजित
करने की योजना बनाई है। यह सर्वेक्षण भारत के नागरिकों की कमाई, खर्च और आय वितरण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने का प्रयास होगा,
जो अब तक राष्ट्रीय स्तर पर कभी नहीं किया गया। इस पहल को राष्ट्रीय
सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा और इसे
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की निगरानी
में संचालित किया जाएगा।
अब तक क्यों नहीं हुआ था ऐसा सर्वेक्षण?
भारत में राष्ट्रीय
नमूना सर्वेक्षण (NSS) की शुरुआत 1950
में हुई थी और तब से यह शिक्षा, स्वास्थ्य,
श्रम, कृषि, पर्यटन आदि जैसे
कई क्षेत्रों में विस्तृत सर्वेक्षण करता आ रहा है। हालांकि, घरेलू आय (यानि एक परिवार कुल कितनी कमाई करता है और
कहाँ से करता है) के आंकड़े जुटाने के प्रयास जरूर हुए — जैसे 1955, 1965,
1983 में पायलट स्टडीज़ — लेकिन ये कभी भी अखिल भारतीय स्तर पर नहीं
पहुँच सके। इन कारणों में तकनीकी कठिनाइयाँ, विश्वसनीय डेटा संग्रह
की चुनौतियाँ और सही मॉडल की कमी प्रमुख रहे।
क्यों
जरूरी हो गया है आय सर्वेक्षण?
भारत की अर्थव्यवस्था
और जीवनशैली में पिछले 75 वर्षों में बड़े बदलाव
आए हैं। वेतन, व्यवसाय, स्वरोजगार,
कृषि, सरकारी योजनाओं से मिलने वाली सहायता
— सभी स्रोतों से आय को समझना ज़रूरी है। नीति निर्धारण के लिए सटीक
और भरोसेमंद आय डेटा अनिवार्य हो गया है। सरकार की कल्याणकारी योजनाएँ जैसे PM
किसान, फूड सब्सिडी, DBT आदि तभी प्रभावी होंगी जब यह स्पष्ट हो कि किस वर्ग को वास्तव में कितनी जरूरत
है।
विशेषज्ञों
की टीम बनाएगी सर्वे का खाका
MoSPI ने इस सर्वे को सही तरीके से संचालित करने के लिए एक तकनीकी विशेषज्ञ समूह
(Technical Expert Group - TEG) का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता डॉ. सुरजीत एस भल्ला करेंगे (भारत के पूर्व कार्यकारी निदेशक,
IMF) इस समूह में देश के प्रतिष्ठित आर्थिक व सांख्यिकी विशेषज्ञ शामिल
हैं:
·
श्री आलोक कर – पूर्व
प्रोफेसर,
भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता
·
प्रो. सोनाली देसाई –
NCAER
·
प्रो. प्रवीण झा – JNU
·
डॉ. तीर्थंकर पटनायक
– NSE
के मुख्य अर्थशास्त्री
·
डॉ. राजेश शुक्ला –
पीपल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज़्यूमर इकोनॉमी
·
प्रो. राम सिंह – निदेशक,
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स
यह समूह यह तय
करेगा कि सर्वे में क्या प्रश्न पूछे जाएँगे, कैसे
पूछे जाएँगे, किस क्षेत्र से कितने परिवारों का चयन होगा,
और कौन-सी पद्धति अपनाई जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय
अनुभव से मिलेगी मदद
भारत इस सर्वेक्षण
के लिए अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया
और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के मॉडल से सीख ले रहा है। वहां पहले से ही घरेलू आय
पर विश्वसनीय सर्वेक्षण होते आ रहे हैं, जिनका इस्तेमाल नीतियाँ
बनाने में होता है। टीईजी इन देशों की बेस्ट प्रैक्टिसेस को शामिल करेगा ताकि सर्वेक्षण
का परिणाम विश्वसनीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलनात्मक हो सके।
सर्वे
से क्या जानकारी मिलेगी?
➡️ औसत घरेलू आय कितनी है
➡️ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों
में आय का अंतर
➡️ किस स्रोत से कितनी आय
आती है (वेतन, खेती, स्वरोजगार,
पेंशन आदि)
➡️ बचत और खर्च की प्रवृत्तियाँ
➡️ किस सामाजिक/आर्थिक वर्ग
की क्या स्थिति है
कब
और कैसे होगा सर्वे?
·
यह सर्वेक्षण 2026
में आयोजित किया जाएगा।
·
पूरे भारत में हजारों
परिवारों से डेटा लिया जाएगा।
·
यह आंकड़े गोपनीय रखे
जाएँगे और नीति निर्माण में उपयोग होंगे, न कि
व्यक्तिगत स्तर पर जांच के लिए।
·
इससे मिलने वाले डेटा
का इस्तेमाल गरीबी, असमानता, टैक्स नीति, सामाजिक सुरक्षा जैसी योजनाओं को बनाने/सुधारने
में किया जाएगा।
"घरेलू आय सर्वेक्षण 2026" न केवल भारत के आर्थिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा, बल्कि यह आम नागरिकों की वास्तविक आर्थिक स्थिति को जानने का एक वैज्ञानिक प्रयास भी होगा। यह सर्वे यह तय करेगा कि भारत की आर्थिक नीतियाँ आँखें बंद करके नहीं, बल्कि ठोस आंकड़ों के आधार पर बनें।
The News Grit, 27/06/2025
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