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FASTag के गलत इस्तेमाल पर NHAI सख्त – ‘Loose FASTag’ होंगे ब्लैकलिस्ट!

साइबर ठगी से बचाव के लिए RBI और दूरसंचार विभाग की महत्‍वपूर्ण पहल!!

30 जून 2025 डिजिटल इंडिया की ओर तेज़ी से बढ़ते भारत में साइबर वित्तीय अपराधों से नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक महत्‍वपूर्ण कदम उठाया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, लघु वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों और सहकारी बैंकों को निर्देशित किया है कि वे दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा विकसित "वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक" (Financial Fraud Risk Indicator – FRI) को अपने सिस्टम में एकीकृत करें। इस महत्वपूर्ण निर्णय का दूरसंचार विभाग ने स्वागत किया है, जो सरकार की विभिन्न एजेंसियों के बीच बढ़ते सहयोग और डिजिटल धोखाधड़ी के खिलाफ एकजुट लड़ाई का प्रतीक है।

क्या है FRI (वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक)?

यह एक तकनीकी उपकरण है, जिसे मई 2025 में दूरसंचार विभाग की डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य किसी मोबाइल नंबर के आधार पर यह आकलन करना है कि वह नंबर वित्तीय धोखाधड़ी के लिहाज से कितना जोखिमपूर्ण है। यह प्रणाली मोबाइल नंबरों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करती है – मध्यम जोखिम, उच्च जोखिम और बहुत उच्च जोखिम – जिससे संबंधित संस्थान संभावित साइबर धोखाधड़ी के प्रति पहले से सतर्क हो सकें।

जानकारी कहां से मिलती है?

FRI का वर्गीकरण विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) – जिसे I4C (Indian Cybercrime Coordination Centre) संचालित करता है – दूरसंचार विभाग का ‘चक्षु’ प्लेटफॉर्म और बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों द्वारा साझा की गई खुफिया रिपोर्ट शामिल हैं। इन सभी स्रोतों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करके यह तय किया जाता है कि कोई मोबाइल नंबर वित्तीय धोखाधड़ी से कितनी गंभीरता से जुड़ा हो सकता है।

इससे बैंकों को क्या लाभ होगा?

RBI द्वारा प्रस्तावित यह Application Programming Interface आधारित एकीकरण बैंकों और दूरसंचार विभाग के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) के बीच रियल-टाइम डेटा एक्सचेंज को संभव बनाता है।

इससे बैंक:

·         संदिग्ध लेनदेन को रोक सकते हैं

·         ग्राहकों को चेतावनी दे सकते हैं

·         उच्च जोखिम वाले ट्रांजैक्शनों में देरी या ब्लॉक जैसे कदम उठा सकते हैं

इससे उनके धोखाधड़ी जोखिम मॉडल और अधिक परिष्कृत होंगे, और ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।

किन संस्थाओं ने पहले ही FRI को अपनाया है?

FRI प्रणाली का उपयोग पहले से ही कई प्रमुख वित्तीय और डिजिटल भुगतान संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है, जिनमें PhonePe, पंजाब नेशनल बैंक (PNB), HDFC बैंक, ICICI बैंक, Paytm और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक शामिल हैं। इन संस्थानों ने इस प्लेटफॉर्म की प्रभावशीलता और उपयोगिता को सफलतापूर्वक प्रमाणित किया है, जिससे यह सिद्ध होता है कि FRI प्रणाली साइबर धोखाधड़ी की रोकथाम में एक कारगर उपकरण के रूप में कार्य कर रही है।

UPI से जुड़ी सुरक्षा

जैसे-जैसे UPI भारत की सबसे पसंदीदा भुगतान प्रणाली बनती जा रही है, FRI जैसे समाधान की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। इस प्रणाली से लाखों UPI उपयोगकर्ताओं को धोखाधड़ी से बचाया जा सकता है।

व्यापक सहयोग और भविष्य की दिशा

FRI न सिर्फ बैंकिंग क्षेत्र बल्कि दूरसंचार क्षेत्र में भी संदिग्ध गतिविधियों के खिलाफ तेज़, लक्षित और समन्वित कार्रवाई को संभव बनाता है। बल्कि दूरसंचार विभाग ने स्पष्ट किया है कि वह इस तरह के प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों की साइबर धोखाधड़ी रोकने की क्षमता और मजबूत हो।

डिजिटल सुरक्षा के नए युग की शुरुआत

यह कदम डिजिटल इंडिया मिशन को मजबूती देने के साथ-साथ नागरिकों में डिजिटल विश्वास और सुरक्षा को भी बढ़ावा देगा। जैसे-जैसे ज्यादा से ज्यादा बैंक और संस्थाएं FRI को अपने ग्राहक इंटरफेस में शामिल करेंगी, यह एक राष्ट्रीय मानक के रूप में विकसित होगा।

यह प्रणाली:

·         रियल-टाइम निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाएगी

·         सिस्टम में लचीलापन लाएगी

·         और डिजिटल लेनदेन को और सुरक्षित बनाएगी

भारतीय रिजर्व बैंक और दूरसंचार विभाग का यह संयुक्त प्रयास भारत के डिजिटल वित्तीय ढांचे को और अधिक सुरक्षित, विश्वसनीय और कुशल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। FRI प्रणाली के व्यापक उपयोग से साइबर अपराध पर लगाम लगेगी, और नागरिकों का भरोसा डिजिटल सेवाओं पर और अधिक मजबूत होगा।

The News Grit, 03/07/2025

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