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नागालैंड में जल सुरक्षा को नई दिशा—मिशन वाटरशेड की शुरुआत!

समुद्री मिशनों के लिए डीआरडीओ की नई तकनीक तैयार!!

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बारूदी सुरंग निरोधक अभियानों की क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। डीआरडीओ की नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला ( NSTL), विशाखापत्तनम ने मानव-पोर्टेबल ऑटोनोमस अंडरवॉटर व्हीकल्स ( MP-AUV) की नई पीढ़ी का सफलतापूर्वक विकास किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक भारतीय नौसेना को समुद्र में बारूदी सुरंगों की पहचान , वर्गीकरण और उन्हें निष्क्रिय करने में तेज , सुरक्षित और अधिक प्रभावी विकल्प प्रदान करेगी। अत्याधुनिक सेंसर और एआई-आधारित पहचान प्रणाली नई पीढ़ी के MP-AUV कई प्रमुख तकनीकी फीचर्स से लैस हैं। इनमें साइड-स्कैन सोनार और अंडरवॉटर कैमरे शामिल हैं , जो वास्तविक समय में बारूदी सुरंग जैसी संदिग्ध वस्तुओं का पता लगाने और वर्गीकृत करने में सक्षम हैं। ऑनबोर्ड डीप-लर्निंग आधारित टारगेट रिकॉग्निशन एल्गोरिदम इन वाहनों को स्वतः वर्गीकरण की क्षमता प्रदान करता है। इससे ऑपरेटर का कार्यभार काफी कम होता है और मिशन का समय भी घट जाता है। बेहतर संचार और स्थितिजन्य जागरूकता एयूवी के बीच संचालन के दौरान सूचना के आदान-प्रदान को सुगम बना...

भारतीय नौसेना में शामिल हुआ INS अंड्रोथ, समुद्री सुरक्षा को मिला नया बल!!

भारतीय नौसेना ने सोमवार को अपने दूसरे पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल के युद्धपोत ( Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft - ASW-SWC) आईएनएस आन्द्रोत को विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में आयोजित एक भव्य समारोह में विधिवत शामिल किया। यह आयोजन भारत की बढ़ती समुद्री आत्मनिर्भरता और नवोन्मेषी रक्षा प्रौद्योगिकियों का प्रतीक बना। इस समारोह की अध्यक्षता पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने की। समारोह में नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी , गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) , कोलकाता के प्रतिनिधि और अन्य गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। तकनीकी विशेषताएँ और क्षमताएँ आईएनएस आन्द्रोत की लंबाई 77 मीटर है और इसकी विस्थापन क्षमता लगभग 1,500 टन है। इसे विशेष रूप से तटीय और उथले जलराशि में पनडुब्बी रोधी अभियान संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह पोत एक अत्याधुनिक पनडुब्बी शिकारी की तरह कार्य करता है , जो उन्नत हथियार , सेंसर प्रणाली और संचार तकनीकों से सुसज्जित है। इन तकनीकों के माध्यम से यह जहाज जल सतह के नीचे मौजूद खतरों का सटीक पता लगाने...

भारत के समुद्री कवच में दो नए स्टील्थ योद्धा – 26 अगस्त को नौसेना को मिलेंगे उदयगिरि और हिमगिरि!!

भारत की समुद्री ताकत में 26 अगस्त 2025 को एक बड़ा इजाफा होने वाला है। इस दिन भारतीय नौसेना को एक साथ दो अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रंटलाइन फ्रिगेट- उदयगिरि ( F35) और हिमगिरि ( F34) — मिलेंगे। यह पहली बार होगा जब देश के दो अलग-अलग शिपयार्ड में बने प्रमुख युद्धपोत एक ही समय पर नौसेना के बेड़े में शामिल किए जाएंगे। यह आयोजन न सिर्फ भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण का सबूत है , बल्कि “मेक इन इंडिया ” और “आत्मनिर्भर भारत ” की रक्षा क्षेत्र में सफलता की भी बड़ी मिसाल है। कहां और किसने गढ़े भारत के ये स्टील्थ योद्धा ·          उदयगिरि – यह प्रोजेक्ट 17A का दूसरा फ्रिगेट है , जिसे मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ( MDL) ने बनाया है। ·          हिमगिरि – यह कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ( GRSE) द्वारा बनाए जा रहे पी 17 ए फ्रिगेट्स में पहला है। एक खास बात यह भी है कि उदयगिरि , भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन किया गया 100 वां जहाज है — जो भारतीय नौसैनिक इतिहास में गौरव...