कैंसर उपचार को नए युग में प्रवेश दिलाने वाला एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कदम सामने आया है। एक नए अध्ययन में भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फ्रेमवर्क विकसित किया है , जो कैंसर को केवल उसके आकार या फैलाव से नहीं , बल्कि उसकी मॉलिक्यूलर पर्सनैलिटी से पहचानने में सक्षम है। यह तकनीक भविष्य में कैंसर के इलाज को पूरी तरह पर्सनलाइज़्ड और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ी भूमिका निभा सकती है। कैंसर को समझने का नया वैज्ञानिक नजरिया कैंसर सिर्फ तेजी से बढ़ते ट्यूमर की बीमारी नहीं है। यह उन छिपे हुए जैविक प्रोग्राम्स यानी कैंसर के हॉलमार्क्स से संचालित होता है जो हेल्दी सेल्स को धीरे-धीरे मैलिग्नेंट (घातक) बनाते हैं। ये हॉलमार्क बताते हैं कि ट्यूमर कैसे बढ़ता है , इम्यून सिस्टम से कैसे बचता है और इलाज का विरोध कैसे करता है। अब तक डॉक्टर मुख्य रूप से TNM स्टेजिंग सिस्टम पर निर्भर रहे हैं , जो ट्यूमर का साइज और फैलाव बताता है। लेकिन यह तरीका अक्सर उन मॉलिक्यूलर कारणों को नहीं पकड़ पाता , जो बताते हैं कि एक ही स्टेज वाले दो मरीजों के परिणाम इतने अलग क्यों होते हैं। भारत के...
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