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नागालैंड में जल सुरक्षा को नई दिशा—मिशन वाटरशेड की शुरुआत!

समुद्री मिशनों के लिए डीआरडीओ की नई तकनीक तैयार!!

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बारूदी सुरंग निरोधक अभियानों की क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। डीआरडीओ की नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला ( NSTL), विशाखापत्तनम ने मानव-पोर्टेबल ऑटोनोमस अंडरवॉटर व्हीकल्स ( MP-AUV) की नई पीढ़ी का सफलतापूर्वक विकास किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक भारतीय नौसेना को समुद्र में बारूदी सुरंगों की पहचान , वर्गीकरण और उन्हें निष्क्रिय करने में तेज , सुरक्षित और अधिक प्रभावी विकल्प प्रदान करेगी। अत्याधुनिक सेंसर और एआई-आधारित पहचान प्रणाली नई पीढ़ी के MP-AUV कई प्रमुख तकनीकी फीचर्स से लैस हैं। इनमें साइड-स्कैन सोनार और अंडरवॉटर कैमरे शामिल हैं , जो वास्तविक समय में बारूदी सुरंग जैसी संदिग्ध वस्तुओं का पता लगाने और वर्गीकृत करने में सक्षम हैं। ऑनबोर्ड डीप-लर्निंग आधारित टारगेट रिकॉग्निशन एल्गोरिदम इन वाहनों को स्वतः वर्गीकरण की क्षमता प्रदान करता है। इससे ऑपरेटर का कार्यभार काफी कम होता है और मिशन का समय भी घट जाता है। बेहतर संचार और स्थितिजन्य जागरूकता एयूवी के बीच संचालन के दौरान सूचना के आदान-प्रदान को सुगम बना...

विशेष अभियान 5.0 के तहत डीआरडीओ ने अपनाया ई-वेस्ट निपटान!!

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अपने सभी कार्यालयों और प्रयोगशालाओं में उत्पन्न हो रहे इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) के वैज्ञानिक और पर्यावरण अनुकूल निपटान के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है। यह पहल विशेष अभियान 5.0 यानी लंबित मामलों के निपटान हेतु विशेष अभियान ( SCDPM 5.0)   के तहत की जा रही है। इस अभियान का नेतृत्व रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। अभियान का मुख्य उद्देश्य न केवल ई-वेस्ट का वैज्ञानिक प्रबंधन और पुनर्चक्रण सुनिश्चित करना है , बल्कि वीआईपी संदर्भों , अपीलों और शिकायतों से जुड़े लंबित मामलों को न्यूनतम स्तर तक लाना भी है। ई-वेस्ट का निपटान डीआरडीओ ने अपने सभी अधीनस्थ प्रयोगशालाओं और अनुसंधान केंद्रों को निर्देश दिया है कि वे ई-वेस्ट के नियमित संग्रहण , वर्गीकरण और पुनर्चक्रण की प्रणाली को अपनाएं। इस प्रक्रिया के तहत सभी उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को उपयोग की स्थिति और पुन: प्रयोज्यता के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा ताकि उनका पर्यावरण-अनुकूल निपटान सुनिश्चित किया जा सके...

बेरेकिड से नई दिशा: भारत-मोरक्को रक्षा साझेदारी का बड़ा कदम!!

बेरेकिड (मोरक्को) , भारत की रक्षा साझेदारी वैश्विक स्तर पर नई ऊँचाइयाँ छू रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मोरक्को के रक्षा मंत्री श्री अब्देलतीफ लौदी ने मंगलवार को बेरेकिड में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) की अत्याधुनिक रक्षा विनिर्माण सुविधा का संयुक्त उद्घाटन किया। यह केंद्र स्वदेशी रूप से विकसित व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म ( WHAP) 8x8 का उत्पादन करेगा , जिसे टीएएसएल और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मिलकर डिजाइन किया है। 20,000 वर्ग मीटर में फैली यह सुविधा अफ्रीका में किसी भारतीय निजी कंपनी द्वारा स्थापित पहला और मोरक्को का सबसे बड़ा रक्षा निर्माण केंद्र है। उल्लेखनीय है कि यह संयंत्र निर्धारित समय से तीन महीने पहले ही प्रचालनगत हो गया है और उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है। शुरुआती डिलीवरी अगले महीने से रॉयल मोरक्को आर्मी को की जाएगी। अत्याधुनिक क्षमताओं से लैस डब्ल्यूएचएपी डब्ल्यूएचएपी एक आधुनिक मॉड्यूलर लड़ाकू प्लेटफॉर्म है , जो उन्नत गतिशीलता , सुरक्षा और मिशन अनुकूलन क्षमता से युक्त है। इसकी प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं: ·    ...