Skip to main content

नागालैंड में जल सुरक्षा को नई दिशा—मिशन वाटरशेड की शुरुआत!

नागालैंड में जल सुरक्षा को नई दिशा—मिशन वाटरशेड की शुरुआत!

कोहिमा, नागालैंड पूर्वोत्तर में जल संरक्षण और ग्रामीण सतत विकास को नई दिशा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने राज्य स्तरीय वाटरशेड महोत्सव 2025 की शुरुआत की। ग्रामीण विकास और संचार राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने सोमवार को नागा सॉलिडेरिटी पार्क में इस महोत्सव का औपचारिक शुभारंभ किया। यह पहल प्रदेश के जल-अभावग्रस्त इलाकों को जल-सुरक्षित बनाने, पारंपरिक जल स्रोतों को फिर से जीवंत करने और भूमि संसाधनों के वैज्ञानिक संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

वाटरशेड विकास: ग्रामीण भारत में मौन क्रांति

उद्घाटन समारोह में डॉ. पेम्मासानी ने स्पष्ट रूप से कहा कि “जल सुरक्षा ही राष्ट्रीय सुरक्षा है।” उन्होंने बताया कि मिशन वाटरशेड पुनरुत्थान का मुख्य उद्देश्य केवल पानी का संरक्षण भर नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन को मजबूत आधार देना है। इस मिशन के तहत पारंपरिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाएगा, बंजर भूमि को फिर से उपजाऊ बनाया जाएगा, जल संचयन संरचनाओं को मजबूत किया जाएगा और स्थानीय समुदाय को संरक्षण कार्यों में सक्रिय रूप से जोड़ा जाएगा। साथ ही, मनरेगा जैसी योजनाओं के समन्वय से ग्रामीणों के लिए स्थायी आजीविका के नए अवसर भी पैदा किए जाएंगे। राज्य मंत्री के अनुसार, वाटरशेड विकास एक साधारण जल प्रबंधन योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण पारिस्थितिकी को पुनर्स्थापित करने, किसानों की आय बढ़ाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्ध और सुरक्षित भविष्य तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी कदम है।

नागालैंड: समुदाय-आधारित जल प्रबंधन का अग्रणी मॉडल

डॉ. पेम्मासानी ने कहा कि नागालैंड ने अपनी समृद्ध पारिस्थितिक और सांस्कृतिक विरासत के बल पर समुदाय-नेतृत्व वाले जल संरक्षण का एक उत्कृष्ट मॉडल प्रस्तुत किया है। झरनों के पुनर्जीवन, जल संचयन संरचनाओं के नवीनीकरण और पहाड़ी भूमि के पुनरुद्धार जैसे प्रयास केवल पर्यावरणीय सुधार नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की जीवनरेखा हैं। उन्होंने नागालैंड की सांस्कृतिक शक्ति, भाषाई विविधता, संगीत, शिल्प और उत्सवों की विरासत की सराहना करते हुए इसे एक ऐसा राज्य बताया जो एकता, परंपरा और अपनी जड़ों से गहरे जुड़ाव का जीवंत प्रतीक है।

राष्ट्रीय मुख्यधारा में पूर्वोत्तर की मजबूत भूमिका

केंद्र द्वारा संचालित नए विकास मॉडल में पूर्वोत्तर को अब “दूरस्थ सीमा” नहीं, बल्कि भारत की विकास यात्रा का अहम भागीदार माना जा रहा है। बेहतर सड़क संपर्क, सुदृढ़ बुनियादी ढांचा और डिजिटल कनेक्टिविटी ने नागालैंड को पर्यटन, व्यापार, कृषि और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के प्रमुख केंद्र के रूप में तेजी से उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पीएमकेएसवाई और वाटरशेड निर्माण के तहत नागालैंड की प्रमुख उपलब्धियां

कार्यक्रम में राज्य मंत्री ने सरकार द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों को साझा किया।

·         राज्य में 14 वाटरशेड परियोजनाओं को मंजूरी

·         140 करोड़ रुपए स्वीकृत, जिसमें से 80 करोड़ रुपए पहले ही जारी किए जा चुके हैं

·         555 जल संचयन संरचनाओं का नवीनीकरण

·         6,500 से अधिक किसान लाभान्वित

·         पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण 120 झरनों का जीर्णोद्धार

उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में 60:40 केंद्र–राज्य फंडिंग व्यवस्था होती है, जबकि नागालैंड समेत पूर्वोत्तर राज्यों को 90% केंद्र सहायता मिलती है, जो सरकार के विशेष फोकस को दर्शाता है।

भारत में जल संरक्षण की तात्कालिक आवश्यकता

डॉ. पेम्मासानी ने बताया कि भारत के पास दुनिया के कुल नवीकरणीय ताजे पानी का केवल 4% हिस्सा है, जबकि यहां विश्व की लगभग 18% आबादी निवास करती है। यही कारण है कि देश में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता पहले ही संकट रेखा से नीचे पहुंच चुकी है। ऐसे परिदृश्य में पीएमकेएसवाई और मिशन वाटरशेड जैसे कार्यक्रम जल संरक्षण को बढ़ावा देने, भूजल स्तर में सुधार लाने, फसल चक्र को सुदृढ़ करने और किसानों की आय बढ़ाने में रूपांतरकारी भूमिका निभा रहे हैं।

नागालैंड सरकार की तारीफ और समुदाय से अपील

डॉ. पेम्मासानी ने मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के नेतृत्व में नागालैंड सरकार की प्रभावी कार्यप्रणाली और जन-केंद्रित दृष्टिकोण की सराहना की। उन्होंने अधिकारियों डॉ. जी. हुकुघा सेमा (IRS) और जी. इकुतो झिमोमी के प्रयासों की भी प्रशंसा की, जिनकी सक्रियता से जमीनी स्तर पर उल्लेखनीय परिवर्तन संभव हो सके हैं। नागरिकों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि जल और भूमि संरक्षण में जनभागीदारी सबसे अहम तत्व है, क्योंकि सामुदायिक प्रयास ही इस मिशन को वास्तविक सफलता दिला सकते हैं।

सहकारी संघवाद का मजबूत उदाहरण

मिशन वाटरशेड की यह पहल दिखाती है कि संगठित प्रयासों से जल और भूमि संरक्षण को एक व्यापक आंदोलन का रूप दिया जा सकता है। नागालैंड में इन परियोजनाओं के विस्तार ने न केवल प्राकृतिक संसाधनों के पुनर्जीवन को नई गति दी है, बल्कि ग्रामीण आजीविका, कृषि उत्पादकता और सामुदायिक सशक्तिकरण को भी मजबूत आधार प्रदान किया है।

The News Grit, 08/12/2025

Comments

Popular posts from this blog

स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम: रानी दुर्गावती महाविद्यालय परसवाड़ा में सफल आयोजन!!

दिनांक 20 जनवरी 2025 को रानी दुर्गावती शासकीय महाविद्यालय, परसवाड़ा के वनस्पति विभाग द्वारा एक उल्लेखनीय स्टूडेंट एक्सचेंज कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शासकीय अरण्य भारतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बैहर के 35 विद्यार्थी और प्राध्यापकगण शामिल हुए। इस कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एल. एल. घोरमारे द्वारा स्टूडेंट एक्सचेंज गतिविधियों के महत्व पर जानकारी देने से हुई। आइक्यूएसी इंचार्ज डॉ. अरुण वैद्य ने विद्यार्थियों को इस प्रकार के कार्यक्रमों से मिलने वाले लाभों को साझा किया। वनस्पति विभाग की प्रमुख डॉ. जय श्री सूर्यवंशी ने माइक्रोऑर्गेनिज़्म कल्चर और प्रयोगशाला उपकरणों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। इसी क्रम में बैहर महाविद्यालय की डॉ. पूजा गुप्ता ने क्यूआर कोड इंटर्नशिप प्रोजेक्ट के माध्यम से छात्रों को नई तकनीकों से अवगत कराया। भौतिक शास्त्र विभाग से श्रीमती रंजना कुशवाहा ने शैक्षणिक गतिविधियों के विकास में इस प्रकार के कार्यक्रमों की महत्ता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में छात्रों के बीच आपसी ज्ञान-विनिमय के साथ-साथ डेमोंस्ट्रेशन सत्र आयोजित किए गए। रा...

प्रोजेक्ट आरोहण: NHAI की नई योजना, लेकिन किसके लिए?

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ( NHAI) ने एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल करते हुए टोल प्लाज़ा कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा और करियर निर्माण के लिए ‘प्रोजेक्ट आरोहण’ की शुरुआत की है। इस योजना का शुभारंभ एनएचएआई के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार यादव ने नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में किया। इस अवसर पर वर्टिस इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक एवं संयुक्त सीईओ डॉ. जफर खान और एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। शिक्षा तक समान पहुँच देने का प्रयास एनएचएआई ने वर्टिस इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट के साथ मिलकर यह योजना शुरू की है , जिसका मकसद टोल प्लाज़ा कर्मचारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। इस पहल का उद्देश्य वित्तीय बाधाओं को दूर करना , सामाजिक-आर्थिक भेदों को कम करना और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों , जिनमें निम्न-आय वाले परिवारों की लड़कियाँ , पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी तथा अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति , अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र शामिल हैं , के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुँच प्रदान करना है। एनएचएआई का मानना है कि शिक्षा ही वह साध...

अमेरिका ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाया, लाखों नौकरियों पर संकट!!

अमेरिका ने बुधवार से भारत से आने वाले अधिकांश आयातित उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया है। यह कदम अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा ( CBP) द्वारा जारी नोटिस के बाद प्रभावी हुआ , जिसमें कहा गया था कि यह आदेश राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 6 अगस्त 2025 के कार्यकारी आदेश 14329 के तहत लागू किया जा रहा है। इस आदेश का शीर्षक था – “रूसी संघ की सरकार द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए खतरों को संबोधित करना।” किन उत्पादों पर लागू और किन्हें छूट सीबीपी के अनुसार , यह शुल्क उन सभी भारतीय वस्तुओं पर लागू होगा जो अमेरिका में उपभोग के लिए आयातित की जाती हैं। हालांकि , लोहा , इस्पात , एल्युमीनियम , वाहन , तांबा और इनके कुछ व्युत्पन्न उत्पादों को इस अतिरिक्त ड्यूटी से बाहर रखा गया है। वहीं , अमेरिकी बाजार में भारत के करीब 30.2% निर्यात (लगभग 27.6 अरब डॉलर) को शुल्क मुक्त प्रवेश मिलता रहेगा। इसमें फार्मा ( 12.7 अरब डॉलर) , इलेक्ट्रॉनिक्स ( 8.18 अरब डॉलर) , रिफाइंड लाइट ऑयल और एविएशन टरबाइन फ्यूल ( 3.29 अरब डॉलर) , पुस्तकें और ब्रोशर ( 165.9 मिलियन डॉलर) तथा प्लास्टिक ( 155.1 मिलियन...