अमेरिका ने बुधवार से भारत से आने वाले अधिकांश आयातित उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया है। यह कदम अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा (CBP) द्वारा जारी नोटिस के बाद प्रभावी हुआ, जिसमें कहा गया था कि यह आदेश राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 6 अगस्त 2025 के कार्यकारी आदेश 14329 के तहत लागू किया जा रहा है। इस आदेश का शीर्षक था – “रूसी संघ की सरकार द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए खतरों को संबोधित करना।”
किन उत्पादों पर लागू और किन्हें छूट
सीबीपी के
अनुसार,
यह शुल्क उन सभी भारतीय वस्तुओं पर लागू होगा जो अमेरिका में उपभोग
के लिए आयातित की जाती हैं। हालांकि, लोहा, इस्पात, एल्युमीनियम, वाहन,
तांबा और इनके कुछ व्युत्पन्न उत्पादों को इस अतिरिक्त ड्यूटी से
बाहर रखा गया है। वहीं, अमेरिकी बाजार में भारत के करीब 30.2% निर्यात (लगभग 27.6 अरब डॉलर) को शुल्क मुक्त प्रवेश
मिलता रहेगा। इसमें फार्मा (12.7 अरब डॉलर), इलेक्ट्रॉनिक्स (8.18 अरब डॉलर), रिफाइंड लाइट ऑयल और एविएशन टरबाइन फ्यूल (3.29 अरब
डॉलर), पुस्तकें और ब्रोशर (165.9
मिलियन डॉलर) तथा प्लास्टिक (155.1 मिलियन डॉलर) शामिल हैं।
भारत
का जवाब
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अहमदाबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी
सरकार वॉशिंगटन के आर्थिक दबाव की परवाह किए बिना रास्ता निकालेगी। उन्होंने कहा,
“चाहे कितना भी दबाव आए, हम उसे झेलने के लिए
अपनी ताकत बढ़ाते रहेंगे। आत्मनिर्भर भारत अभियान को गुजरात से विशेष ऊर्जा मिल
रही है और इसके पीछे दो दशकों की मेहनत है।”
सबसे
ज़्यादा असर किन पर
ग्लोबल ट्रेड
रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार,
भारत के लगभग दो-तिहाई निर्यात पर अब 50%
टैरिफ लगेगा। करीब 4% उत्पादों जिनमें अमेरिका को भारत के
ऑटो कंपोनेंट निर्यात का आधा हिस्सा शामिल है, पर 25% शुल्क लगेगा।
हीरे,
रत्न और सोने के आभूषण:
अब तक ये
उत्पाद सिर्फ 2-3% शुल्क पर अमेरिका जाते थे,
लेकिन अब 50% से अधिक ड्यूटी लगेगी। इस
क्षेत्र में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 40% है। वस्त्र एवं
परिधान: भारत का अमेरिका को निर्यात 35% से अधिक है। समुद्री
उत्पाद (झींगे): भारत हर साल लगभग 2.5 अरब डॉलर मूल्य के
झींगे अमेरिका भेजता है। अब इन पर 56% तक शुल्क लगेगा। टेक्सटाइल
हब लुधियाना और तिरुपुर में उद्योग जगत ने चेतावनी दी है कि यह प्रतिस्पर्धा को
खत्म कर देगा।
नौकरियों
पर बड़ा संकट
सबसे गहरा
असर श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर दिख रहा है।
·
सूरत का डायमंड हब:
यहां की 4,700 यूनिट्स में से केवल 250 ही फिलहाल सक्रिय हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक 50,000 से 2 लाख
तक कारीगरों की नौकरियां खतरे में हैं।
·
वस्त्र और परिधान
उद्योग: अमेरिका को भारत का करीब 28%
निर्यात इसी क्षेत्र से है। तिरुपुर, लुधियाना और नोएडा में
हजारों कामगार पहले ही अस्थायी रूप से बेरोजगार हो चुके हैं।
·
समुद्री उत्पाद
उद्योग: झींगा निर्यात पर शुल्क बढ़ने से 10,000 से अधिक लोगों की आजीविका पर असर पड़ सकता है।
रेटिंग
एजेंसी क्रिसिल ने चेतावनी दी है कि इन टैरिफ का असर भारत की GDP
वृद्धि दर पर 0.4 से 0.5
प्रतिशत तक पड़ सकता है और लाखों श्रमिकों की नौकरियां दांव पर लग सकती हैं। राजनीतिक
मोर्चे पर, आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने इसे मोदी सरकार
की विदेश नीति की विफलता करार दिया। उन्होंने कहा, “पीएम
मोदी ट्रंप सरकार का समर्थन करने गए थे और अब ट्रंप ने ही भारत के साथ ऐसा व्यवहार
किया। प्रधानमंत्री को देश को इसका जवाब देना चाहिए।”
आगे
का रास्ता
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को दो रास्तों पर चलना होगा पहला घरेलू बाजार को मज़बूत करना और दूसरा अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर हस्ताक्षर करना।
सरकार पहले
ही कई देशों से FTA वार्ता आगे बढ़ा
रही है ताकि अमेरिका के टैरिफ शॉक का असर कम किया जा सके। वहीं, उद्योग जगत ने उम्मीद जताई है कि फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे
मजबूत क्षेत्रों में भारत अपनी स्थिति बनाए रखेगा और वैकल्पिक बाज़ार ढूंढ लेगा।
The News Grit, 27/08/2025
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