Skip to main content

ओलंपिक स्वर्ण से सेना तक: नीरज चोपड़ा बने लेफ्टिनेंट कर्नल (मानद)!!

पी.एन. पनिकर की विरासत को समर्पित राष्ट्रीय पठन दिवस: पढ़ने की शक्ति और साक्षरता का उत्सव!!

भारत आज राष्ट्रीय पठन दिवस मना रहा है — यह दिन सिर्फ़ किताबों के प्रेमियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे पढ़ने की आदत सामाजिक परिवर्तन और सशक्तिकरण की नींव रख सकती है। यह दिन केरल के "पुस्तकालय आंदोलन के जनक" पुथुवयिल नारायण पनिकर को समर्पित है, जिनका निधन इसी दिन 1995 में हुआ था।

पढ़ने की परंपरा को जीवित रखने का संकल्प

राष्ट्रीय पठन दिवस का मुख्य उद्देश्य पढ़ने की आदत को बढ़ावा देना, साक्षरता के महत्व को रेखांकित करना, और पुस्तकों के माध्यम से ज्ञान का लोकतंत्रीकरण करना है। इस दिन देश भर के स्कूलों, पुस्तकालयों और शैक्षणिक संस्थानों में रीडिंग वीक की शुरुआत होती है, जो 23 जून तक चलता है। इस दौरान वाचन प्रतियोगिताएं, पुस्तक प्रदर्शनियाँ, लेखन अभ्यास और साक्षरता अभियानों का आयोजन होता है।

कौन थे पी.एन. पनिकर?

पी.एन. पनिकर (1909–1995) एक शिक्षक, समाज सुधारक और विचारक थे जिन्होंने शिक्षा को ग्रामीण विकास का केंद्र माना। उनका मूल विश्वास था – "Read and Grow" (पढ़ो और आगे बढ़ो)। उन्होंने 1945 में त्रावणकोर लाइब्रेरी एसोसिएशन की स्थापना की, जो बाद में केरल ग्रंथशाला संघम (KGS) में परिवर्तित हुआ। पनिकर ने देशभर की यात्राओं के माध्यम से शिक्षा और पढ़ने की संस्कृति का प्रचार किया। उनके नेतृत्व में इस नेटवर्क में 6000 से अधिक पुस्तकालयों की स्थापना हुई, जो ग्रामीण भारत में ज्ञान की ज्योति जलाने का माध्यम बने। पनिकर के संगठन को यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त हुई और वर्ष 1975 में ‘क्रुप्सकाया पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। यह उपलब्धि बताती है कि कैसे एक व्यक्ति के प्रयास वैश्विक स्तर पर समाज के विकास की दिशा तय कर सकते हैं।

शिक्षा और सम्मान

केरल में साक्षरता क्रांति का श्रेय कहीं न कहीं पी.एन. पनिकर की दूरदर्शिता को जाता है। 1977 में उन्होंने केरल एसोसिएशन फॉर नॉन-फॉर्मल एजुकेशन एंड डेवलपमेंट (KANFED) की स्थापना की, जिसने केरल साक्षरता मिशन की नींव रखी। इसी मिशन ने केरल को भारत का पहला 100% साक्षर राज्य बनने में सहायता दी। पनिकर की स्मृति में भारत सरकार ने वर्ष 2004 में एक डाक टिकट जारी किया। वहीं, 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पठन दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से मनाने की शुरुआत की। आज, यह दिवस भारत के साक्षरता आंदोलन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

राष्ट्रीय पठन दिवस के मायने

यह दिवस साक्षरता, भाषा विकास और बौद्धिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है। यह बच्चों, युवाओं और वयस्कों को आजीवन सीखने की आदत अपनाने की प्रेरणा देता है। यह समाज को सूचना-साक्षर, सोचने-समझने वाला और प्रगतिशील बनाता है।

राष्ट्रीय पठन दिवस केवल एक स्मृति-दिवस नहीं, बल्कि एक आंदोलन है — ज्ञान का आंदोलन। पी.एन. पनिकर की सोच ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर समाज में पढ़ने की संस्कृति विकसित की जाए तो परिवर्तन असंभव नहीं। आज जब हम सूचना और डिजिटल दौर में हैं, तब भी पुस्तकों और पठन का महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। इस पठन दिवस पर यह संकल्प लें कि हम खुद पढ़ेंगे, दूसरों को पढ़ाएंगे और समाज में सीखने की संस्कृति को जीवित रखेंगे।

The News Grit, 19/06/2025

Comments

Popular posts from this blog

राष्ट्रीय गणित दिवस के उपलक्ष्य में रानी दुर्गावती महाविद्यालय में आयोजित होगा भव्य कार्यक्रम!!

बालाघाट – रानी दुर्गावती शासकीय महाविद्यालय परसवाड़ा में इस वर्ष राष्ट्रीय गणित दिवस (22 दिसंबर) के उपलक्ष्य में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (MPCST) और राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (NCSTC) द्वारा प्रायोजित किया गया है। श्रीनिवास रामानुजन की जयंती पर उनके गणित के क्षेत्र में किए गए अद्वितीय योगदानों को समर्पित यह आयोजन 19 और 20 दिसंबर को होगा। प्राचार्य डॉ. एल एल घोरमारे ने कार्यक्रम की रूपरेखा साझा करते हुए बताया कि 19 दिसंबर को गणित के क्षेत्र में श्रीनिवास रामानुजन के योगदानों पर आधारित कई गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। इनमें पोस्टर प्रेजेंटेशन, प्रश्नमंच, और भाषण प्रतियोगिता शामिल हैं। इन गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों को गणित की महत्ता और श्रीनिवास रामानुजन की खोजों के बारे में जानकारी मिलेगी। 20 दिसंबर को मुख्य कार्यक्रम में गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जीवन इतिहास और उनके योगदान पर एक विशिष्ट अतिथि द्वारा व्याख्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, उनके जीवन और कार्यों पर आधारित एक वृत्...

स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम: रानी दुर्गावती महाविद्यालय परसवाड़ा में सफल आयोजन!!

दिनांक 20 जनवरी 2025 को रानी दुर्गावती शासकीय महाविद्यालय, परसवाड़ा के वनस्पति विभाग द्वारा एक उल्लेखनीय स्टूडेंट एक्सचेंज कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शासकीय अरण्य भारतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बैहर के 35 विद्यार्थी और प्राध्यापकगण शामिल हुए। इस कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एल. एल. घोरमारे द्वारा स्टूडेंट एक्सचेंज गतिविधियों के महत्व पर जानकारी देने से हुई। आइक्यूएसी इंचार्ज डॉ. अरुण वैद्य ने विद्यार्थियों को इस प्रकार के कार्यक्रमों से मिलने वाले लाभों को साझा किया। वनस्पति विभाग की प्रमुख डॉ. जय श्री सूर्यवंशी ने माइक्रोऑर्गेनिज़्म कल्चर और प्रयोगशाला उपकरणों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। इसी क्रम में बैहर महाविद्यालय की डॉ. पूजा गुप्ता ने क्यूआर कोड इंटर्नशिप प्रोजेक्ट के माध्यम से छात्रों को नई तकनीकों से अवगत कराया। भौतिक शास्त्र विभाग से श्रीमती रंजना कुशवाहा ने शैक्षणिक गतिविधियों के विकास में इस प्रकार के कार्यक्रमों की महत्ता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में छात्रों के बीच आपसी ज्ञान-विनिमय के साथ-साथ डेमोंस्ट्रेशन सत्र आयोजित किए गए। रा...

प्रोजेक्ट आरोहण: NHAI की नई योजना, लेकिन किसके लिए?

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ( NHAI) ने एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल करते हुए टोल प्लाज़ा कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा और करियर निर्माण के लिए ‘प्रोजेक्ट आरोहण’ की शुरुआत की है। इस योजना का शुभारंभ एनएचएआई के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार यादव ने नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में किया। इस अवसर पर वर्टिस इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक एवं संयुक्त सीईओ डॉ. जफर खान और एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। शिक्षा तक समान पहुँच देने का प्रयास एनएचएआई ने वर्टिस इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट के साथ मिलकर यह योजना शुरू की है , जिसका मकसद टोल प्लाज़ा कर्मचारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। इस पहल का उद्देश्य वित्तीय बाधाओं को दूर करना , सामाजिक-आर्थिक भेदों को कम करना और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों , जिनमें निम्न-आय वाले परिवारों की लड़कियाँ , पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी तथा अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति , अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र शामिल हैं , के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुँच प्रदान करना है। एनएचएआई का मानना है कि शिक्षा ही वह साध...