ई-कॉमर्स में 'डार्क पैटर्न' पर केंद्र की बड़ी कार्रवाई: अब कंपनियों को देनी होगी सेल्फ डिक्लेरेशन!!
ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते चलन के बीच उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले डिजाइन और व्यवहारिक तरीकों पर केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। सरकार ने ऐसे 'डार्क पैटर्न' को पहचान कर रोकने के लिए नई एडवाइजरी और सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को अब अपने प्लेटफॉर्म पर डार्क पैटर्न के खिलाफ स्व-ऑडिट (Self-Audit) करना होगा और यह प्रमाणित करना होगा कि वे उपभोक्ताओं को भ्रमित नहीं कर रही हैं।
क्या हैं डार्क पैटर्न?
डार्क पैटर्न दरअसल डिजाइन और शब्दों के ऐसे तरीके होते हैं, जो ग्राहकों को जानबूझकर भ्रमित या गुमराह करते हैं। इनका उद्देश्य ग्राहकों को ऐसे निर्णयों की ओर धकेलना होता है, जो उनके हित में नहीं होते।
कुछ प्रमुख डार्क पैटर्न इस प्रकार हैं:
• झूठी तात्कालिकता (False Urgency): उपभोक्ता पर जल्दी निर्णय लेने का दबाव बनाना, जैसे "यह ऑफर सिर्फ 5 मिनट के लिए है" या "सिर्फ 1 आइटम बचा है", जबकि असलियत में ऐसा नहीं होता।
• बास्केट स्नीकिंग (Basket Sneaking): उपभोक्ता की जानकारी के बिना उनकी खरीदारी की टोकरी में कोई अतिरिक्त उत्पाद या सेवा जोड़ देना, जैसे बीमा या एक्सटेंडेड वारंटी।
• कन्फर्म शेमिंग (Confirm Shaming): जब उपभोक्ता कोई ऑफर या सेवा मना करता है, तब उसे शर्मिंदा करने वाला मैसेज दिखाना, जैसे "नहीं, मैं पैसे बचाने में विश्वास नहीं रखता"।
• जबरन कार्रवाई (Forced Action): उपभोक्ता को कोई सेवा या विकल्प अपनाने के लिए बाध्य करना, जैसे कोई ऐप तब तक एक्सेस न देना जब तक वह ईमेल सब्सक्रिप्शन न ले ले।
• सब्सक्रिप्शन ट्रैप (Subscription Trap): किसी सेवा को शुरू करना आसान लेकिन रद्द करना जानबूझकर कठिन बना देना, जैसे छुपा हुआ 'Cancel' बटन या जटिल रद्द करने की प्रक्रिया।
• इंटरफ़ेस इंटरफेरेंस (Interface Interference): डिज़ाइन या लेआउट को इस तरह बनाना कि उपभोक्ता गलती से वही विकल्प चुने जो कंपनी चाहती है, जैसे प्रमुखता से दिखाया गया 'हाँ' और छुपाया गया 'न'।
• बैट एंड स्विच (Bait and Switch): उपभोक्ता को किसी चीज के नाम पर आकर्षित करना और फिर उसे कोई दूसरी चीज़ देना, जैसे छूट के नाम पर असल में महंगा विकल्प पेश करना।
• ड्रिप प्राइसिंग (Drip Pricing): शुरुआत में कम कीमत दिखाना, लेकिन चेकआउट के समय उस पर टैक्स, शुल्क, डिलीवरी चार्ज आदि जोड़ देना जिससे असल कीमत काफी ज़्यादा हो जाती है।
• प्रच्छन्न विज्ञापन (Disguised Advertisement): ऐसा विज्ञापन जो देखने में सामान्य सामग्री जैसा लगे, पर वास्तव में वह प्रचार होता है और उसे विज्ञापन के रूप में चिन्हित नहीं किया गया होता।
• सता (Nagging): बार-बार एक ही सूचना, पॉप-अप या अनुरोध दिखाना जिससे उपभोक्ता तंग आकर वह विकल्प चुन ले, जिसे वह शुरू में नहीं चाहता था।
• ट्रिक वर्डिंग (Trick Wording): शब्दों या वाक्य रचना को इस तरह से डिजाइन करना कि उपभोक्ता भ्रमित हो जाए और बिना समझे कोई गलत विकल्प चुन ले।
• सास बिलिंग (SaaS Billing): ऐसी बिलिंग प्रणाली जिसमें साफ-साफ नहीं बताया जाता कि सेवा कब रिन्यू होगी, शुल्क कितना कटेगा, और रद्द कैसे करना है।
• शैडो मैलवेयर (Shadow Malware): ऐसे सॉफ़्टवेयर या स्क्रिप्ट्स का इस्तेमाल जो उपभोक्ता की अनुमति के बिना कुछ डाउनलोड कर लें या ट्रैकिंग करें, जिससे उनकी गोपनीयता पर हमला होता है।
कानूनी संदर्भ: अनुचित व्यापार तरीका
डार्क पैटर्न को "अनुचित व्यापार तरीका" माना गया है, जो कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(47) के अंतर्गत आता है। यानी ये तरीके कानून के तहत गलत हैं और इनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
डार्क पैटर्न रोकथाम दिशानिर्देश, 2023
30 नवंबर 2023 को केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने 13 प्रमुख डार्क पैटर्न की पहचान करते हुए "डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन हेतु दिशानिर्देश, 2023" जारी किए। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को ऐसे धोखाधड़ीपूर्ण तरीकों से बचाना है, जो ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा डिजाइन और इंटरफेस में छिपे होते हैं।
28 मई 2025 की उच्चस्तरीय बैठक
डार्क पैटर्न के खिलाफ ठोस कदम उठाने के लिए 28 मई 2025 को केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में देश की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों, उद्योग संगठनों, उपभोक्ता समूहों और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य था – भ्रामक और अनुचित ऑनलाइन कार्य प्रणालियों को समाप्त करना।
5 जून 2025 की एडवाइजरी: स्व-ऑडिट अनिवार्य
बैठक के बाद, 5 जून 2025 को CCPA ने एक अहम एडवाइजरी जारी की, जिसमें सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को निम्नलिखित निर्देश दिए गए:
सभी कंपनियां:
• अपने प्लेटफॉर्म पर डार्क पैटर्न की पहचान करें।
• एडवाइजरी जारी होने की तारीख से 3 महीनों के भीतर स्व-ऑडिट करें।
• यह सुनिश्चित करें कि उपभोक्ता के साथ कोई धोखाधड़ी नहीं हो रही।
• सेल्फ डिक्लेरेशन (Self-declaration) दें कि उनका प्लेटफॉर्म डार्क पैटर्न से मुक्त है।
संयुक्त कार्य समूह का गठन
उपभोक्ताओं को ऑनलाइन भ्रामक गतिविधियों से बचाने की दिशा में सरकार ने 5 जून 2025 को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group) का गठन किया है। इस समूह में विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधि, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों के सदस्य शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य डार्क पैटर्न की प्रभावी निगरानी और पहचान करना है, साथ ही सभी संबंधित हितधारकों के सहयोग से एक ऐसा डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है जो नैतिक, पारदर्शी और उपभोक्ता-हितैषी हो।
संसद में जानकारी
इन सभी कदमों की जानकारी राज्यसभा में उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने एक लिखित उत्तर के माध्यम से दी। उन्होंने बताया कि सरकार उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है और ई-कॉमर्स कंपनियों को जवाबदेह बनाने की दिशा में ठोस कार्रवाई जारी है।
भारत सरकार की इस पहल से ऑनलाइन खरीदारी करने वाले कई उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को पारदर्शी और नैतिक बनाना होगा। डार्क पैटर्न की पहचान, निगरानी और रोकथाम से एक ऐसा डिजिटल इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है, जिसमें उपभोक्ता का हित सर्वोपरि होगा।
The News Grit, 23/07/2025
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