आधुनिक वित्तीय और आर्थिक प्रणाली औपनिवेशिक यूरोप और नवऔपनिवेशिक अमरीकी आधिपत्य की देन है। किंतु 21वीं सदी आते-आते एशिया की नई उभरती अर्थव्यवस्थाओं चीन, भारत, जापान, कोरिया, वियतनाम, इंडोनेशिया आदि ने यह साबित कर दिया कि यह सदी एशिया की है। यही कारण है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एशिया में बढ़ते प्रभाव और असंतुलन को देखते हुए लगातार तनावपूर्ण बयानबाज़ी कर रहे हैं। दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली जे-म्युंग से उनकी हालिया मुलाक़ात इसी पृष्ठभूमि में बेहद महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है।
शांति की पहल और ट्रम्प टॉवर का सपना
व्हाइट हाउस
में हुई मुलाक़ात के दौरान दोनों नेताओं ने उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम
जोंग उन से संवाद स्थापित करने की इच्छा जताई। ली ने कहा कि यदि विभाजित कोरिया
में शांति स्थापित हो जाती है तो यह ऐतिहासिक होगा। उन्होंने व्यंग्य और संकेत
दोनों में जोड़ा कि “आप (ट्रम्प) उत्तर कोरिया में ट्रम्प टॉवर बना सकते हैं,
जहाँ मैं आकर गोल्फ़ खेलूँगा।” ट्रम्प ने भी पुरानी मित्रता याद
दिलाई और कहा कि वे किम जोंग उन से पहले ही तीन बार मिल चुके हैं और भविष्य में
दोबारा मिलने की उम्मीद रखते हैं।
जमीन
की मिल्कियत पर विवाद
ट्रम्प ने
बातचीत के दौरान अप्रत्याशित माँग रखी कि दक्षिण कोरिया की वह ज़मीन,
जहाँ अमेरिकी सैनिक अड्डे हैं, उसे अमेरिका की
स्थायी संपत्ति बनाया जाए। अभी लगभग 28,500 अमेरिकी सैनिक
दक्षिण कोरिया में तैनात हैं और युद्ध की स्थिति में दक्षिण कोरियाई सेना का सेनापति
अमेरिकी जनरल होता है। ट्रम्प का कहना था कि अमेरिका ने इन अड्डों पर भारी धन खर्च
किया है, इसलिए “लीज़” की बजाय सीधा स्वामित्व होना चाहिए।
यह मांग सियोल में चिंता का कारण बनी है क्योंकि इससे कोरियाई संप्रभुता पर सवाल
उठ सकता है।
ली
जे-म्युंग की नीतिगत प्राथमिकताएँ
नव-निर्वाचित
राष्ट्रपति ली जे-म्युंग, जिन्होंने पूर्व
राष्ट्रपति यून सुक-योल के महाभियोग और गिरफ्तारी के बाद सत्ता संभाली, अब तक उत्तर कोरिया के प्रति अपेक्षाकृत उदार रुख़ दिखा रहे हैं। उन्होंने
संकेत दिया है कि वे 2018 में हुई “19
सितम्बर सैन्य समझौते” को पुनर्जीवित करेंगे, जिसके तहत
दोनों कोरिया सीमा क्षेत्र में सैन्य गतिविधियाँ स्थगित करते हैं। उनका मानना है
कि इस कदम से उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच विश्वास बहाल होगा। हालांकि, प्योंगयांग ने इसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों के मद्देनज़र पाखंड करार दिया
है।
अमेरिकी
टैरिफ़ और आर्थिक तनाव
मुलाक़ात से
पहले ही ट्रम्प ने दक्षिण कोरियाई निर्यात पर 25%
टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिसे बाद में घटाकर 15% किया गया। इस पर दोनों देशों के बीच समझौता हुआ। दक्षिण कोरिया ने बदले
में अमेरिका में लगभग 350 अरब डॉलर के निवेश का प्रस्ताव
दिया 150 अरब शिपबिल्डिंग और 200 अरब
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में। बावजूद इसके, कोरियाई उद्योग जगत
चिंतित है कि टैरिफ़ से उनके छोटे-मध्यम निर्यातकों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
एशियाई
अर्थव्यवस्था और अमेरिकी बेचैनी
विश्लेषकों
का कहना है कि यह पूरा घटनाक्रम केवल सैन्य या द्विपक्षीय रिश्तों तक सीमित नहीं
है। असल में यह अमेरिकी आधिपत्य और एशियाई उभार के बीच की टकराहट है। जब चीन बेल्ट
ऐंड रोड इनिशिएटिव के जरिए एशिया-अफ्रीका में निवेश बढ़ा रहा है और भारत-वियतनाम
जैसे देश नई आर्थिक ताक़त बन रहे हैं, तब
अमेरिका अपने पारंपरिक सहयोगियों पर दबाव बनाकर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है।
ट्रम्प की जमीन
पर स्वामित्व की मांग और कोरिया पर नया टैरिफ़ इसी बेचैनी को दर्शाते हैं। यह
परिघटना केवल कोरिया की राजनीति तक सीमित नहीं बल्कि बदलते वैश्विक शक्ति-संतुलन
का संकेत है।
The News Grit, 26/08/2025
Comments
Post a Comment