मध्यप्रदेश में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के असाक्षर व्यक्तियों के लिए आयोजित बुनियादी साक्षरता मूल्यांकन परीक्षा में शनिवार को लगभग 17 लाख से अधिक परीक्षार्थियों ने भाग लिया। यह परीक्षा राज्य में चल रहे उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत आयोजित की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य वयस्कों को पढ़ना-लिखना और अंकगणित का बुनियादी ज्ञान उपलब्ध कराना है।
प्रदेश के विभिन्न जिलों और ब्लॉकों में विशेष परीक्षा केंद्र स्थापित किए गए थे, ताकि सभी इच्छुक और पात्र परीक्षार्थियों को परीक्षा में शामिल होने का अवसर मिल सके। परीक्षा का आयोजन राज्य सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा के लिए वर्ष 2022 से चल रहे उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के हिस्से के रूप में किया गया है। यह कार्यक्रम 2022 से 2027 तक लागू रहेगा और इस दौरान वयस्क साक्षरता को व्यापक स्तर पर बढ़ावा दिया जाएगा।
उद्देश्य
और महत्व:
राज्य
साक्षरता मिशन के अनुसार, इस मूल्यांकन परीक्षा
का उद्देश्य यह आंकना है कि कितने शिक्षार्थियों ने बुनियादी साक्षरता प्राप्त कर
ली है। परीक्षा में मुख्य रूप से पढ़ने, लिखने और संख्यात्मक
ज्ञान से जुड़े प्रश्न पूछे गए। इस पहल के जरिए न केवल व्यक्तिगत जीवन में लोगों
को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है, बल्कि समाज
और राज्य के विकास में उनके सक्रिय योगदान को भी सुनिश्चित किया जा रहा है।
विशेष रूप से
यह ध्यान देने योग्य है कि मध्यप्रदेश देश के उन अग्रणी राज्यों में से एक है,
जहां वयस्क साक्षरता कार्यक्रमों को व्यापक स्तर पर लागू किया जा
रहा है। और साक्षरता केवल शिक्षा का माध्यम नहीं है, बल्कि
यह सामाजिक और आर्थिक विकास की नींव भी है।
पठन-पाठन
सामग्री और प्रशिक्षण:
प्रदेश की
आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, राज्य
साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा “अक्षर पोथी” नामक प्रवेशिका तैयार की गई है। यह
प्रवेशिका विशेष रूप से सीखने की परिष्कृत गति और विषय वस्तु पर आधारित है। इसमें
बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता के साथ-साथ महत्वपूर्ण जीवन कौशल भी शामिल हैं।
अक्षर पोथी
में वित्तीय साक्षरता, कानूनी जानकारी,
डिजिटल साक्षरता, आपदा प्रबंधन, वाणिज्यिक कौशल, मतदाता पंजीकरण, आधार और अन्य सरकारी फॉर्म भरने की जानकारी दी गई है। इसके माध्यम से लोग
न केवल पढ़ाई में दक्ष होंगे, बल्कि रोजमर्रा के जीवन में
आने वाली परिस्थितियों को समझने और उसका समाधान करने में सक्षम होंगे।
यह प्रवेशिका
एजुकेशन पोर्टल पर अपलोड की गई है और सभी साक्षरता कार्यक्रम के व्हाट्सएप ग्रुप्स
और यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी परीक्षार्थियों तक पहुँचाई जा रही है। इससे यह
सुनिश्चित होता है कि हर प्रतिभागी को आवश्यक सामग्री आसानी से मिल सके और सीखने
की प्रक्रिया लगातार जारी रहे।
व्यक्तिगत
और सामाजिक प्रभाव:
इस पहल का
सबसे बड़ा लाभ यह है कि लाखों वयस्क लोग साक्षर बनकर आत्मनिर्भर होंगे।
आत्मनिर्भरता का मतलब केवल पढ़ना-लिखना नहीं, बल्कि
रोजमर्रा की जिंदगी में निर्णय लेने, सरकारी फॉर्म भरने,
डिजिटल लेन-देन करने और अपने वित्तीय अधिकारों को समझने में सक्षम
होना भी है। साथ ही, समाज और राज्य के विकास में भी इन
साक्षर नागरिकों का योगदान महत्वपूर्ण होगा। जब अधिक लोग शिक्षा प्राप्त करेंगे,
तो इसका सीधा असर आर्थिक विकास, सामाजिक
जागरूकता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सक्रिय भागीदारी पर पड़ेगा। इस दृष्टि से
मध्यप्रदेश का यह प्रयास अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल भी बन सकता है।
यह परीक्षा
केवल एक मूल्यांकन का माध्यम नहीं है, बल्कि
यह साक्षरता के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने और लोगों में शिक्षा के महत्व को समझाने
का भी जरिया है। इससे भविष्य में राज्य में वयस्क साक्षरता की दर में निरंतर सुधार
होगा। मध्यप्रदेश में आयोजित यह बुनियादी साक्षरता मूल्यांकन परीक्षा प्रदेश के
लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे यह स्पष्ट होगा कि कितने लोग बुनियादी पढ़ाई-लिखाई
और संख्यात्मक ज्ञान सीख चुके हैं और किन क्षेत्रों में और प्रयास की आवश्यकता है।
साथ ही,
यह पहल यह भी दर्शाती है कि शिक्षा केवल बच्चों तक सीमित नहीं रहनी
चाहिए, बल्कि वयस्कों के लिए भी समान अवसर उपलब्ध होना
चाहिए। उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश सरकार न केवल
साक्षरता बढ़ा रही है, बल्कि लोगों में आत्मनिर्भरता और
सामाजिक जिम्मेदारी भी पैदा कर रही है। इसे व्यापक रूप से सफल बनाने के लिए
सामाजिक सहभागिता और सरकारी प्रयासों को लगातार बढ़ाने की आवश्यकता है।
The News Grit, 22/09/2025

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