जनजातीय समुदाय के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल समावेशन उपलब्ध कराने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय और नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) ने साझेदारी की है। इस समझौते के तहत मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 42 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। यह पहल न केवल शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगी बल्कि आदिवासी छात्रों, विशेषकर छात्राओं, के समग्र विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।
ईएमआरएस:
आदिवासी शिक्षा का आधार
भारत सरकार
का जनजातीय कार्य मंत्रालय अनुसूचित जनजाति (ST) के
बच्चों के लिए शिक्षा और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूरे देश में एकलव्य
मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) संचालित करता है। इन विद्यालयों
की स्थापना का मकसद है कि जनजातीय बच्चे उच्च शिक्षा और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों तक
पहुँच बना सकें और आगे चलकर बेहतर रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकें।
आज देशभर में
479 ईएमआरएस कार्यरत हैं। ये विद्यालय केवल शिक्षा ही नहीं,
बल्कि छात्रों के पोषण, स्वास्थ्य और समग्र
व्यक्तित्व विकास पर भी ध्यान देते हैं।
एनसीएल
का योगदान: CSR के तहत ₹5 करोड़ की
सहायता
जनजातीय
कार्य मंत्रालय ने कॉर्पोरेट जगत की सामाजिक जिम्मेदारी (CSR)
को जनजातीय विकास के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए कंपनियों से सहयोग की
पहल की है। इसी क्रम में नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) ने
एक बड़ा कदम उठाया है।
NCL ने
घोषणा की है कि वह अपने CSR फंड से ₹5 करोड़ की राशि 42
ईएमआरएस को प्रदान करेगा। इस धनराशि का उपयोग डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहित करने
और बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने के लिए किया जाएगा।
परियोजना
के तहत क्या-क्या मिलेगा?
इस CSR
परियोजना से छात्रों और विद्यालयों को कई नई सुविधाएँ मिलेंगी,
जिनमें शामिल हैं:
·
950 कंप्यूटर और 950
यूपीएस,
डिजिटल लैब स्मार्ट शिक्षा के लिए।
·
90 टैबलेट – अध्यापन
और ई-लर्निंग के लिए।
·
430 सैनिटरी पैड
वेंडिंग मशीनें – छात्राओं की सुविधा और स्वच्छता के लिए।
·
430 सैनिटरी पैड
इंसिनरेटर – उपयोग किए गए पैड्स के सुरक्षित निस्तारण के लिए।
इन संसाधनों
से शिक्षा व्यवस्था में तकनीकी समावेशन होगा और लड़कियों के स्वास्थ्य से जुड़े
मुद्दों का समाधान मिलेगा।
परियोजना
का संचालन: NSTFDC की जिम्मेदारी
इस CSR
परियोजना का संचालन और क्रियान्वयन राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त
एवं विकास निगम (NSTFDC) द्वारा किया जाएगा। यह मंत्रालय के
अधीन एक Section-8 कंपनी है। परियोजना को समयबद्ध तरीके से
पूरा करने की योजना बनाई गई है ताकि जल्द से जल्द छात्र इसका लाभ उठा सकें।
परियोजना
के प्रमुख उद्देश्य
1.
डिजिटल शिक्षा को
बढ़ावा देना
·
कंप्यूटर लैब्स और
डिजिटल उपकरणों की स्थापना से छात्रों में 21वीं सदी की आवश्यक डिजिटल साक्षरता
विकसित होगी।
·
यह पहल IIT-JEE
और NEET जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
डिजिटल ट्यूशन को मजबूत करेगी।
·
साथ ही,
मंत्रालय के अन्य नवाचार कार्यक्रमों जैसे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन
प्रोग्राम को भी गति मिलेगी।
2.
छात्राओं का
स्वास्थ्य और स्वच्छता
·
सैनिटरी पैड वेंडिंग
मशीन और इंसिनरेटर की उपलब्धता से लड़कियों की पढ़ाई में नियमितता और स्थिरता बनी
रहेगी।
·
मासिक धर्म स्वच्छता
के कारण उनका आत्मविश्वास और शैक्षणिक प्रदर्शन दोनों में सुधार होगा।
लाभार्थियों
की संख्या
इस CSR
पहल से 26,000 से अधिक आदिवासी छात्र लाभान्वित होंगे। इनमें से
लगभग 13,500 छात्राएँ होंगी। इसका मतलब है कि यह परियोजना लड़कियों की शिक्षा और
स्वास्थ्य दोनों पर गहरा असर डालेगी।
जनजातीय
गौरव वर्ष और CSR का महत्व
जनजातीय
कार्य मंत्री जुएल ओराम ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि CSR
फंड का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं को पूरक बनाने में बड़ी भूमिका निभा
सकता है। उन्होंने इसे जनजातीय गौरव वर्ष और प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व से
जुड़ी एक मजबूत पहल बताया।
मंत्रालय का
मानना है कि यदि सरकारी वित्त पोषण के साथ कंपनियों का CSR
योगदान जुड़ जाए, तो आदिवासी समुदाय के लिए
शिक्षा और विकास के नए अवसर तैयार होंगे।
शिक्षा,
स्वास्थ्य और सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम
जनजातीय
कार्य मंत्रालय और NCL के बीच यह साझेदारी
केवल स्कूलों को कंप्यूटर और स्वास्थ्य उपकरण देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आदिवासी युवाओं को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने का
प्रयास है। डिजिटल शिक्षा से उन्हें आधुनिक दुनिया की प्रतिस्पर्धा में खड़ा होने
का अवसर मिलेगा, जबकि स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी
सुविधाएँ विशेषकर छात्राओं को पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखने में मदद करेंगी।
The News Grit, 17/09/2025

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