शिक्षा मंत्रालय स्कूली शिक्षा को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप ढ़ालने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है। मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने घोषणा की है कि शैक्षणिक सत्र 2026-27 से देश के सभी स्कूलों में कक्षा 3 और उससे आगे के विद्यार्थियों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence - AI) और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग पर आधारित नया पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के अनुरूप है।
शिक्षा में एआई का समावेश
परामर्श बैठक
में डीओएसईएल के सचिव संजय कुमार ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता अब केवल एक तकनीकी
विषय नहीं रही, बल्कि इसे हमारे आसपास की दुनिया
से जुड़े एक बुनियादी सार्वभौमिक कौशल के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा
कि पाठ्यक्रम व्यापक, समावेशी और एनसीएफ एसई 2023 के अनुरूप
होना चाहिए।
सचिव ने आगे
कहा कि प्रत्येक बच्चे की अलग और विशिष्ट क्षमता हमारी प्राथमिकता है,
और नीति निर्माताओं का दायित्व है कि वे शिक्षा की न्यूनतम मानक
सीमाएँ तय करें और समय-समय पर बदलती जरूरतों के अनुसार उनका पुनर्मूल्यांकन करते
रहें।
पाठ्यक्रम
तैयार करने की प्रक्रिया
शिक्षा
मंत्रालय ने इस पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों,
सीबीएसई (CBSE), एनसीईआरटी (NCERT), केवीएस (KVS), और एनवीएस (NVS) जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर काम करने की प्रक्रिया शुरू
की है।
29 अक्टूबर
2025 को इस विषय पर एक हितधारक परामर्श बैठक आयोजित की गई,
जिसमें सीबीएसई, एनसीईआरटी, केवीएस, एनवीएस और अन्य शैक्षणिक निकायों के
प्रतिनिधियों के साथ-साथ बाहरी तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य
एआई और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग से जुड़े पाठ्यक्रम की रूपरेखा और क्रियान्वयन पर
विचार-विमर्श करना था।
सचिव
संजय कुमार के प्रमुख वक्तव्य
परामर्श बैठक
के दौरान सचिव संजय कुमार ने कहा - “हमारा
उद्देश्य एक व्यापक, समावेशी और छात्रों की विशिष्ट क्षमताओं
को पहचानने वाला पाठ्यक्रम बनाना है। नीति निर्माताओं के रूप में हमें न्यूनतम
आवश्यकताओं को तय करना और समय-समय पर बदलती जरूरतों के अनुसार उनका पुनर्मूल्यांकन
करना चाहिए।” उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षक प्रशिक्षण और शिक्षण सामग्री इस नए
पाठ्यक्रम की रीढ़ होंगे। निष्ठा कार्यक्रम और वीडियो आधारित शिक्षण संसाधनों की
मदद से शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे एआई और कम्प्यूटेशनल
थिंकिंग को सहजता से पढ़ा सकें।
एनसीईआरटी
और सीबीएसई में समन्वय
कुमार ने यह
भी स्पष्ट किया कि एनसीईआरटी और सीबीएसई के बीच समन्वय समिति बनाई जाएगी,
जो पाठ्यक्रम की संरचना, गुणवत्ता और
क्रियान्वयन की एकरूपता सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने कहा
-“अंतर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रमों का अध्ययन करना उपयोगी है, लेकिन भारत का एआई पाठ्यक्रम हमारी आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप
होना चाहिए। हमारा फोकस यह होगा कि भारतीय छात्रों को तकनीक का उपयोग समाज के
कल्याण के लिए करना सिखाया जाए।”
समयसीमा
और संसाधन विकास
संयुक्त सचिव
(सूचना एवं प्रौद्योगिकी) प्राची पांडे ने कहा कि पाठ्यक्रम विकास और क्रियान्वयन
के लिए निर्धारित समयसीमा का पालन बेहद जरूरी है।
मुख्य
विशेषताएं
·
राष्ट्रीय शिक्षा
नीति 2020 और एनसीएफ-एसई 2023 के अनुरूप, शैक्षणिक सत्र 2026-27 से कक्षा 3 से एआई और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग को औपचारिक रूप से पाठ्यक्रम में शामिल
किया जाएगा।
·
एआई और सीटी के लिए
पाठ्यक्रम संरचना, समय निर्धारण और
आवश्यक शिक्षण संसाधनों को एनसीएफ-एसई के ढांचे के तहत समाहित किया जाएगा।
·
दिसंबर 2025 तक इन विषयों से संबंधित अध्ययन सामग्री, शिक्षण
मार्गदर्शिका (हैंडबुक) और डिजिटल संसाधनों का विकास पूरा कर लिया जाएगा।
·
शिक्षकों को निष्ठा
और अन्य संस्थागत प्लेटफार्मों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा,
जिससे प्रशिक्षण ग्रेड-वार और समयबद्ध रूप से संपन्न हो सके।
यह पहल न
केवल तकनीकी शिक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि
बच्चों को यह सिखाएगी कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग समाज के कल्याण और
सार्वजनिक हित में कैसे किया जा सकता है। छात्र छोटी उम्र से ही यह समझ पाएंगे कि
एआई का जिम्मेदार उपयोग कैसे किया जाए और यह कैसे मानव जीवन को बेहतर बनाने में
मदद कर सकता है। बदलते समय और एआई के बढ़ते चलन के साथ, यह
निर्णय भारत की शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत है।
The News Grit, 31/10/2025

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