महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने मंगलवार को ‘मिशन वात्सल्य’ योजना की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने कहा कि यह केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि हर बच्चे के उज्जवल भविष्य की सामूहिक प्रतिबद्धता है। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य का कोई भी बच्चा असुरक्षित या असहाय न रहे, और उसे शिक्षा, संरक्षण तथा गरिमापूर्ण जीवन का पूरा अधिकार मिले।
दत्तक ग्रहण प्रक्रिया होगी और सरल, पारदर्शी व समयबद्ध
बैठक के
दौरान मंत्री भूरिया ने कहा कि बच्चों के दत्तक ग्रहण (Adoption)
की प्रक्रिया को और अधिक सरल, पारदर्शी तथा
समयबद्ध बनाया जाएगा। उन्होंने निर्देश दिए कि होम विजिट की प्रक्रिया एक माह के भीतर
पूरी की जाए, ताकि अनाथ या परित्यक्त बच्चे शीघ्र सुरक्षित
परिवारों से जुड़ सकें।
मंत्री ने
बताया कि दत्तक ग्रहण की संपूर्ण प्रक्रिया अब ‘CARA पोर्टल’ (Central Adoption Resource Authority) के
माध्यम से की जा रही है। यह प्रक्रिया ‘दत्तक ग्रहण विनियम, 2022’ के प्रावधानों के तहत संचालित है, जिससे पारदर्शिता
और जवाबदेही दोनों में वृद्धि हुई है।
ऑफ्टर
केयर योजना: 18 वर्ष से अधिक बच्चों
के आत्मनिर्भर भविष्य पर फोकस
मंत्री
भूरिया ने कहा कि ऑफ्टर केयर योजना के तहत 18
वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को कैरियर गाइडेंस, प्रशिक्षण और
आत्मनिर्भरता के अवसर दिए जाएंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसे बच्चों के लिए
‘प्लेस ऑफ सेफ्टी’ की व्यवस्था हेतु भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए, ताकि गंभीर अपराधों में लिप्त किशोरों का पुनर्वास सुरक्षित वातावरण में
हो सके। उन्होंने बताया कि एक कंपोजिट भवन निर्माण का प्रस्ताव भी भेजा गया है,
जिसके तहत बाल देखभाल, दत्तक ग्रहण और ऑफ्टर
केयर जैसी सभी सेवाओं को एक ही परिसर में एकीकृत किया जाएगा। यदि यह भवन मॉडल रूप
में तैयार होता है, तो मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जो
इस प्रकार की समग्र सेवा सुविधा प्रदान करेगा।
अनाथ
बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम और रोजगार के अवसर
मंत्री ने
सुझाव दिया कि अनाथ बच्चों के लिए स्पेशल इंटरैक्शन प्रोग्राम और जॉब फेयर आयोजित
किए जाएं,
ताकि वे समाज में आत्मनिर्भर बन सकें। साथ ही उन्होंने जानकारी दी
कि महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी अनाथ बच्चों को सरकारी सेवाओं
में 1% आरक्षण देने का प्रस्ताव विचाराधीन है।
स्पॉन्सरशिप
योजना में जरूरतमंद माताओं के बच्चों को प्राथमिकता
महिला एवं
बाल विकास विभाग की आयुक्त निधि निवेदिता ने बताया कि स्पॉन्सरशिप योजना के तहत
विधवा,
तलाकशुदा और परित्यक्ता माताओं के बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके
लिए विभागीय फील्ड अधिकारियों को लक्ष्य आधारित मैपिंग करने के निर्देश दिए गए हैं
ताकि सहायता सही परिवारों तक पहुँच सके। उन्होंने यह भी कहा कि दत्तक ग्रहण
प्रक्रिया की टाइमलाइन एक माह में तय की जाए और होम विजिट व लीगल प्रोसेस समय पर
पूरी होनी चाहिए।
निधि
निवेदिता ने कहा कि ऑफ्टर केयर योजना के तहत आने वाली बालिकाओं को कैरियर गाइडेंस
और प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। साथ ही उन्हें शिक्षा एवं पुलिस भर्ती में मिलने
वाले 33% आरक्षण का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया जाए, जिससे
वे समाज में सशक्त भूमिका निभा सकें।
नियमित
फील्ड विजिट और मॉनिटरिंग के निर्देश
आयुक्त ने
सभी सीडीपीओ, डीपीओ, सुपरवाइज़र
और सहायक निदेशकों को नियमित रूप से मैदानी निरीक्षण करने और अपनी रिपोर्ट
प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसी भी संस्था
में कोई बच्चा उपेक्षित या असुरक्षित स्थिति में न रहे।
आठ
बाल देखरेख संस्थाओं को बंद करने के प्रस्ताव
बैठक में
बताया गया कि वर्तमान में 08 बाल देखरेख संस्थाएँ
(Child Care Institutions) ऐसी हैं जहाँ कोई बच्चा निवासरत
नहीं है।
इनमें-
·
इंदौर जिले के 2 बालिका गृह,
·
खंडवा,
बुरहानपुर, नरसिंहपुर और नर्मदापुरम के 1-1 बालक गृह,
·
तथा नर्मदापुरम जिले
के 2 खुले आश्रय गृह शामिल हैं।
इन संस्थाओं
को बंद करने के लिए प्रस्ताव मंत्रालय को भेजे गए हैं। मंत्री भूरिया ने निर्देश
दिए कि संस्थाएँ बंद करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी बच्चे की सुरक्षा
या पुनर्वास की प्रक्रिया बाधित न हो।
विस्तृत
समीक्षा और समग्र रणनीति
बैठक में बाल
संरक्षण,
दत्तक ग्रहण, ऑफ्टर केयर, स्पॉन्सरशिप, और संस्थागत देखभाल जैसे सभी बिंदुओं
की विस्तृत समीक्षा की गई। मंत्री ने कहा कि विभाग का प्रयास है कि हर बच्चा
संरक्षित वातावरण में आगे बढ़े और समाज के मुख्यधारा से जुड़ सके।
‘मिशन
वात्सल्य’ मध्यप्रदेश में बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और
पुनर्वास की दिशा में एक सशक्त और संवेदनशील पहल है। इस योजना के माध्यम से न केवल
अनाथ और असहाय बच्चों को संरक्षण एवं सहयोग मिलेगा, बल्कि
उन्हें सम्मानजनक जीवन, आत्मनिर्भरता और विकास के अवसर भी
प्राप्त होंगे।
The News Grit, 29/10/2025

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