सुप्रीम कोर्ट की गंभीर चिंता के बाद गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस. रवीन्द्र भट कर रहे हैं। देश में छात्रों के बीच बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने गहरी चिंता व्यक्त की थी। इसी क्रम में, अदालत ने 24 मार्च 2025 को इस टास्क फोर्स का गठन किया, जो अब पूरे देश में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। इस टास्क फोर्स में शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, मानवाधिकार और छात्र कल्याण के क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञ शामिल हैं।
मुख्य उद्देश्य
इस टास्क
फोर्स का मुख्य उद्देश्य छात्रों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों के कारणों का
वैज्ञानिक अध्ययन करना, शैक्षणिक संस्थानों
में मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने के उपाय सुझाना और आत्महत्या रोकथाम के लिए
व्यवहारिक नीतियाँ तैयार करना है। इस पहल में रैगिंग, भेदभाव,
शैक्षणिक दबाव, सामाजिक-आर्थिक तनाव तथा
मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
भारत
में उच्च शिक्षा का दायरा और चुनौती
वर्तमान में
भारत में 60,000 से अधिक उच्च शिक्षा संस्थान
हैं, जिनमें लगभग 4.46 करोड़
विद्यार्थी और 16 लाख फैकल्टी सदस्य अध्ययन एवं अध्यापन में
संलग्न हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के
अनुसार, वर्ष 2022 में 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की, जो देश में दर्ज कुल
आत्महत्याओं का 7.6 प्रतिशत है। ये आँकड़े उच्च शिक्षा में
मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता का संकेत देते हैं और तत्काल ठोस
कदमों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
जमीनी
स्थिति की समीक्षा
अब तक टास्क
फोर्स ने दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक और तमिलनाडु के 13 प्रमुख उच्च शिक्षा
संस्थानों का दौरा किया है। इन दौरों के दौरान टीम ने छात्रों, शिक्षकों और संस्थान के प्रशासन से खुलकर बातचीत की, ताकि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य, उपलब्ध सहायता
प्रणालियों और उनकी भावनात्मक ज़रूरतों को गहराई से समझा जा सके। साथ ही, सामाजिक रूप से वंचित वर्गों, आरक्षित श्रेणी के
विद्यार्थियों, मेडिकल छात्रों, विकलांगता
अधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज संगठनों के विचार भी रिपोर्ट में शामिल किए गए
हैं, जिससे यह हर दृष्टिकोण को समाहित कर सके।
ऑनलाइन
सर्वे से मिली व्यापक भागीदारी
राष्ट्रीय
स्तर पर चल रहे ऑनलाइन सर्वेक्षण में अब तक उल्लेखनीय भागीदारी देखने को मिली है।
·
80,000 से अधिक
विद्यार्थी,
·
10,000 से अधिक फैकल्टी
सदस्य,
·
15,000 से अधिक अभिभावक,
·
700 मानसिक स्वास्थ्य
विशेषज्ञ,
·
और 8,000 नागरिक अपनी राय दे चुके हैं।
यह सर्वेक्षण
न केवल आंकड़े एकत्र करने का साधन है, बल्कि
नीति निर्माण में जनसहभागिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक सशक्त उदाहरण बन कर उभर
रहा है।
नियामक
संस्थाओं को जारी निर्देश
उच्च शिक्षा
विभाग ने सभी प्रमुख नियामक संस्थाओं UGC, AICTE, NMC और अन्य निकायों को निर्देश दिया है कि वे अपने अधीन आने वाले
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से छात्र सहायता तंत्र, मानसिक
स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति, आत्महत्या और ड्रॉपआउट से जुड़े
आँकड़े, तथा शिकायत निवारण प्रणाली से संबंधित जानकारी शीघ्र
साझा करें। प्रत्येक संस्थान को यह भी कहा गया है कि वे राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे
इस सर्वेक्षण को जल्द पूरा करें और अपनी विस्तृत रिपोर्ट राष्ट्रीय टास्क फोर्स को
भेजें, ताकि देशभर में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी
वास्तविक स्थिति का समग्र विश्लेषण किया जा सके।
राज्य
स्तर पर समन्वय
राज्यों और
केंद्रशासित प्रदेशों में नियुक्त नोडल अधिकारी भी स्थानीय स्तर पर सक्रिय भूमिका
निभा रहे हैं। वे अपने-अपने राज्यों की चुनौतियाँ, नवाचारपूर्ण पहलें और श्रेष्ठ प्रथाएँ राष्ट्रीय टास्क फोर्स के साथ साझा
कर रहे हैं, ताकि एक समान और प्रभावी नीति ढाँचा तैयार किया
जा सके।
सर्वोच्च
न्यायालय की पहल पर गठित यह राष्ट्रीय टास्क फोर्स भारत में शिक्षा प्रणाली के
भीतर मानसिक स्वास्थ्य को केंद्र में लाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बन सकती
है। अगर इसके सुझावों को प्रभावी ढंग से लागू किया गया,
तो यह न केवल आत्महत्या की घटनाओं को कम करेगा, बल्कि छात्रों के लिए एक सुरक्षित, सहयोगी और
संवेदनशील शैक्षणिक वातावरण तैयार करने में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
The News Grit, 30/10/2025

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