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खाते में दिखी गड़बड़ी… और खुल गया करोड़ों का खेल!!

मध्यप्रदेश में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता: उच्च शिक्षा विभाग ने किया स्टेट टास्क फोर्स का गठन!!

विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर देशभर में बढ़ती चिंता के बीच मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने इस दिशा में ठोस और व्यापक कदम उठाने की शुरुआत कर दी है। राज्य ने सुप्रीम कोर्ट और नेशनल टास्क फोर्स (NTF) के निर्देशों के बाद स्टेट टास्क फोर्स (STF) को पूर्णतः सक्रिय कर दिया है, जो अब पूरे राज्य में विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और कोचिंग संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी उपायों की निगरानी और सुधार की रूपरेखा तय कर रही है।

उल्‍लेखनीय है कि NTF द्वारा आयुक्त, उच्च शिक्षा प्रबल सिपाहा को राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार यह पहल केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि “राज्य के विद्यार्थियों के लिए एक सुरक्षित, सहयोगी और दबावमुक्त शैक्षणिक माहौल” तैयार करने की दिशा में अब तक का सबसे बड़ा प्रशासनिक प्रयास है।

एसटीएफ के हाथ में मानसिक स्वास्थ्य सुधार की कमान

NTF के निर्देशों के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने स्टेट टास्क फोर्स (STF) का गठन किया है। यह टास्क फोर्स राज्य में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य, परामर्श सेवाओं और रोकथाम उपायों पर केंद्रित नीतिगत हस्तक्षेपों की योजना बनाने और निर्देश जारी करने का काम कर रही है।

एसटीएफ के अध्यक्ष आयुक्त, उच्च शिक्षा प्रबल सिपाहा हैं, जबकि ओएसडी डॉ. उषा के. नायर को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। एसटीएफ में स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, बाल सुरक्षा, सामाजिक न्याय तथा नगरीय प्रशासन विभागों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है, जिससे यह एक बहु-विभागीय तंत्र के रूप में विद्यार्थियों की मानसिक चुनौतियों को व्यापक दृष्टि से समझ सकेगा।

स्टेट टास्क फोर्स (STF) क्या करेगी?

STF राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और परामर्श से जुड़े उपायों की निगरानी, NTF के निर्देशों के अनुपालन का मूल्यांकन, कोचिंग व कॉलेज परिसरों का मानसिक स्वास्थ्य ऑडिट, हेल्पलाइन, काउंसलिंग और मनोसामाजिक समर्थन की व्यवस्था को मजबूत करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान केंद्रित करेगी।

शैक्षणिक संस्थानों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति

सभी सुधारात्मक कदमों का समन्वय प्रभावी हो, इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी शासकीय एवं निजी शैक्षणिक संस्थानों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश जारी किए हैं। इसमें सरकारी विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक कार्यालय तथा सभी शासकीय महाविद्यालय शामिल हैं। नोडल अधिकारी मानसिक स्वास्थ्य, परामर्श सेवाओं, सुरक्षा उपायों और टास्क फोर्स के निर्देशों को संस्थागत स्तर पर लागू कराने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।

डीटीएफ से जमीनी निगरानी

राज्य स्तरीय प्रयासों को जिला स्तर तक सशक्त तरीके से पहुँचाने हेतु उच्च शिक्षा विभाग ने प्रत्येक जिले में जिला स्तरीय टास्क फोर्स (DTF) का गठन अनिवार्य किया है। डीटीएफ की अध्यक्षता संबंधित जिले के कलेक्टर करेंगे। इसके सदस्य के रूप में अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य, जिला शिक्षा अधिकारी तथा तकनीकी, चिकित्सा और स्वास्थ्य विभागों के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे।

डीटीएफ की प्रमुख जिम्मेदारियाँ

जिलों में गठित DTF को निम्न दायित्व सौंपे गए हैं-

·         कोचिंग संस्थानों के पंजीयन की निगरानी

·         काउंसलिंग एवं मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता का मूल्यांकन

·         STF NTF के निर्देशों के क्रियान्वयन की समीक्षा

·         शैक्षणिक परिसरों की सुरक्षा और अनुशासनात्मक व्यवस्था की जाँच

·         विद्यार्थियों में तनाव प्रबंधन, जोखिम कारकों की पहचान और सुधारात्मक सुझाव

कोचिंग संस्थानों का अनिवार्य पंजीयन

उच्च शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी जिले में बिना पंजीयन के कोई भी कोचिंग संस्था संचालित नहीं हो सकेगी। यह कदम उन चुनौतियों को देखते हुए उठाया गया है, जहाँ अनियमित व्यवस्थाओं, अत्यधिक दबाव और अनुपयुक्त माहौल के कारण विद्यार्थियों का मानसिक तनाव बढ़ता पाया गया है। पंजीयन प्रक्रिया से कोचिंग सेंटरों की जवाबदेही, निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

क्यों जरूरी थे ये कदम?

देशभर में विद्यार्थियों में मानसिक तनाव, अवसाद और परीक्षा दबाव से जुड़े मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। उच्च शिक्षा विभाग का मानना है कि यह संकट केवल पढ़ाई से जुड़ा मसला नहीं, बल्कि संस्थागत तंत्र, संवाद की कमी, निगरानी के अभाव और परामर्श सेवाओं की अनुपलब्धता से भी उत्पन्न होता है। इसी संदर्भ में STF और DTF का गठन एक व्यापक प्रयास है, जो मानसिक स्वास्थ्य को शैक्षणिक प्रबंधन का अभिन्न हिस्सा बनाकर विद्यार्थियों के लिए सुरक्षित, सहयोगी और तनाव-रहित वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।

The News Grit, 21/11/2025

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