बुंदेलखंड की धूल से निकली एक साधारण लड़की आज पूरे देश का गर्व बन गई है। छतरपुर जिले के छोटे से गाँव घुवारा की क्रांति गौड़ ने वह कर दिखाया, जो कभी किसी ने सोचा भी नहीं था। जो कभी स्थानीय टूर्नामेंटों में “बॉल गर्ल” बनकर गेंद उठाया करती थी, आज वही लड़की भारतीय क्रिकेट टीम की प्रमुख गेंदबाज बनकर आईसीसी महिला वर्ल्ड कप 2025 में भारत को 47 साल बाद विश्व विजेता बनाने में अहम भूमिका निभा चुकी है।
गाँव की मिट्टी में पली, पर सपने आसमान के
क्रांति गौड़
का बचपन घुवारा गाँव में बीता। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी,
पिता पुलिसकर्मी थे, लेकिन 2012 में नौकरी छूट जाने के बाद घर की हालत और खराब हो गई। आठवीं कक्षा के बाद
पढ़ाई छोड़नी पड़ी, पर क्रांति ने सपनों को नहीं छोड़ा। गाँव
में जब भी टेनिस बॉल क्रिकेट टूर्नामेंट होते, तो वह गेंद
उठाने जाती, और उसी मैदान में उसने अपना भविष्य देख लिया।
संघर्ष
से शुरू हुआ क्रिकेट का सफर
वर्ष 2017 में क्रांति ने साईं क्रिकेट एकेडमी, छतरपुर में
प्रवेश लिया। कोच राजीव बिल्थारे ने उसकी प्रतिभा पहचान ली। उन्होंने न सिर्फ
क्रांति की फीस माफ की, बल्कि रहने और खेलने की सामग्री की
भी व्यवस्था खुद की। यहीं से इस बेटी का असली क्रिकेट सफर शुरू हुआ। धीरे-धीरे
क्रांति ने टेनिस बॉल से लेदर बॉल तक का सफर तय किया और अपने प्रदर्शन से राज्य और
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनानी शुरू की।
एमपी
की चैंपियन खिलाड़ी से WPL तक
वर्ष 2023-24 में क्रांति गौड़ ने मध्यप्रदेश की सीनियर टीम में जगह बनाई। अगले ही
सीजन में उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से एमपी को पहला घरेलू वनडे खिताब जिताने
में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी प्रतिभा ने क्रिकेट जगत का ध्यान खींचा और WPL-2025 की नीलामी में UP Warriorz टीम ने उन्हें 10 लाख रुपये में खरीदा। यहीं से उनका सफर राष्ट्रीय मंच की ओर मुड़ा।
अंतरराष्ट्रीय
क्रिकेट में धमाकेदार शुरुआत
WPL में
शानदार प्रदर्शन के बाद क्रांति को भारतीय टीम में चयन मिला। उन्होंने श्रीलंका
में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे डेब्यू किया और इंग्लैंड दौरे में तो इतिहास रच
दिया, जहां उन्होने 52 रन देकर 6 विकेट झटके और भारत को शानदार जीत दिलाई। इस प्रदर्शन ने उन्हें भारत की
प्रमुख गेंदबाजों में शुमार कर दिया।
विश्व
कप का सफर
वर्ष 2025 का आईसीसी महिला वर्ल्ड कप भारत के लिए ऐतिहासिक रहा। भारतीय टीम ने 47 साल बाद विश्व कप जीता, और इस जीत में क्रांति गौड़
की भूमिका निर्णायक रही। उनकी गेंदबाजी ने कई मैचों में भारत की जीत सुनिश्चित की।
उनके स्पेलों ने विरोधी टीमों की रीढ़ तोड़ दी और भारत ने विश्व विजेता बनने का
गौरव हासिल किया।
सम्मान
और प्रेरणा की मिसाल
क्रांति गौड़
की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर राज्य सरकार ने उन्हें 1 करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की। राज्यभर में उनके सम्मान में
कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उनके गाँव घुवारा में उत्सव जैसा माहौल है जहाँ
कभी वह अकेली लड़की क्रिकेट खेलती थी, आज पूरा गाँव “भारत माता
की जय” के नारों से गूंज रहा है।
हौसले
की कहानी, हजारों बेटियों की
प्रेरणा
क्रांति गौड़
आज सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि संघर्ष,
आत्मविश्वास और नारी शक्ति की प्रतीक बन चुकी हैं। उन्होंने यह
साबित किया है कि संसाधनों की कमी नहीं, सोच की मजबूती सफलता
तय करती है। उनकी कहानी उन बेटियों के लिए प्रेरणा है, जिन्हें
समाज अक्सर सीमाओं में बाँध देता है।
The News Grit, 04/11/2025

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