आधुनिक दौर में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों के बीच, इंदौर पुलिस ने ठगी और आर्थिक अपराधों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। पुलिस की तत्पर कार्रवाई का असर अब साफ दिखाई दे रहा है। वर्ष 2025 में क्राइम ब्रांच इंदौर की साइबर फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन टीम ने उल्लेखनीय सफलता हासिल करते हुए ऑनलाइन ठगी के शिकार नागरिकों को ₹12 करोड़ 61 लाख 18 हजार 340 रुपये की राशि वापस दिलाई है।
इंदौर कमिश्नरेट क्षेत्र में ऑनलाइन ठगी और आर्थिक अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस आयुक्त नगरीय इंदौर संतोष कुमार सिंह ने विशेष निर्देश जारी किए थे। उनके मार्गदर्शन में क्राइम ब्रांच इंदौर की टीम को साइबर अपराधों की शिकायतों पर फौरन और प्रभावी कार्रवाई के लिए तैनात किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि सालभर में हजारों लोगों को राहत मिली और अपराधियों के नेटवर्क पर लगातार शिकंजा कसा गया।
प्रमुख
ऑनलाइन ठगी के तरीके
क्राइम
ब्रांच की रिपोर्ट के अनुसार, शहर में जिन
प्रमुख प्रकार के ऑनलाइन फ्रॉड सामने आए, वे इस प्रकार हैं:
·
इन्वेस्टमेंट फ्रॉड
- टास्क, ट्रेडिंग या उच्च रिटर्न का झांसा देकर ठगी।
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बैंक अधिकारी बनकर
फ्रॉड - KYC
अपडेट, रिवॉर्ड पॉइंट रिडीम या क्रेडिट कार्ड
लिमिट बढ़ाने के नाम पर ठगी।
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सेक्सटॉर्शन और
रोमांस स्कैम -
सोशल मीडिया या चैट प्लेटफॉर्म्स पर फंसाकर आर्थिक धोखाधड़ी।
·
फिशिंग और व्हाट्सऐप
लिंक फ्रॉड -
फर्जी लिंक पर क्लिक करवाकर बैंक खातों से पैसे उड़ाना।
इनके अलावा
नकली निवेश योजनाएं, ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड
और QR कोड स्कैम के भी कई मामले दर्ज हुए हैं।
4,500
शिकायतें, हजारों को राहत
·
जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच क्राइम ब्रांच को लगभग 4,500 साइबर फ्रॉड
शिकायतें प्राप्त हुईं।
·
अधिकांश मामलों में
त्वरित कार्रवाई कर ठगी की रकम रिकवर कर पीड़ितों को लौटाई गई।
·
टीम ने 1,500 से अधिक फर्जी बैंक खातों को फ्रीज कराया।
·
200 से अधिक हैक किए गए
सोशल मीडिया अकाउंट्स (Facebook, Instagram आदि) रिकवर कराए
गए।
·
250 से अधिक फर्जी
प्रोफाइल, जो आवेदकों के नाम और फोटो पर बनाए गए थे, ब्लॉक कराए गए।
इन सफलताओं
से यह स्पष्ट है कि इंदौर क्राइम ब्रांच न केवल अपराधों को रोकने का,
बल्कि डिजिटल माध्यम में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी
प्रयास कर रही है।
जागरूकता
ही सबसे बड़ा बचाव
क्राइम
ब्रांच की साइबर टीम ने केवल जांच और रिकवरी पर ही नहीं,
बल्कि जागरूकता अभियानों पर भी विशेष ध्यान दिया है। इस दिशा में द
फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट
के अनुसार इंदौर पुलिस का साइबर जागरूकता महा-अभियान उल्लेखनीय रहा है, जिसके तहत एडिशनल डीसीपी (क्राइम) राजेश दंडोतिया द्वारा डेली कॉलेज में
1000वीं साइबर जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई। सालभर में टीम ने विभिन्न
शैक्षणिक संस्थानों, कॉलोनियों, बैंकों,
औद्योगिक इकाइयों और सरकारी कार्यालयों में कार्यक्रम संचालित किए
हैं। इन अभियानों के जरिए लाखों नागरिकों को ठगी से बचाव के उपाय बताए गए हैं जैसे
अनजान लिंक पर क्लिक न करना, बैंक विवरण साझा न करना,
संदिग्ध कॉल से सतर्क रहना और लेनदेन से पहले स्रोत की पुष्टि करना।
इसके साथ ही नुक्कड़ नाटकों, पोस्टरों, पैम्फलेट्स और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से भी साइबर सुरक्षा का
संदेश जन-जन तक पहुँचाया जा रहा है।
त्वरित
कार्रवाई का नेटवर्क
क्राइम
ब्रांच द्वारा राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल (www.cybercrime.gov.in )
और हेल्पलाइन नंबर 1930 के माध्यम से प्राप्त शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जा
रही है। मध्यप्रदेश पुलिस ने आमजन से अपील की है कि वे किसी भी ऑनलाइन लेनदेन से
पहले सतर्क रहें और अज्ञात कॉल, संदेश या लिंक पर विश्वास न
करें। यदि आपके साथ किसी प्रकार की ऑनलाइन ठगी होती है, तो
तुरंत-राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर: 1930
पर संपर्क करें या www.cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत
दर्ज करें।
सुरक्षित
डिजिटल व्यवस्था की दिशा में कदम
वर्ष 2025 में 12 करोड़ से अधिक की रिकवरी के साथ, इंदौर क्राइम ब्रांच ने देशभर में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि समन्वय,
तकनीकी दक्षता और तत्परता के बल पर साइबर अपराधों पर नियंत्रण संभव
है। यह उपलब्धि न केवल पीड़ितों को राहत देती है, बल्कि
नागरिकों में यह भरोसा भी जगाती है कि पुलिस की साइबर शाखा हर डिजिटल अपराध के
खिलाफ तत्पर है।
The News Grit, 08/11/2025

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