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भारतीय नौसेना में शामिल हुआ INS अंड्रोथ, समुद्री सुरक्षा को मिला नया बल!!

भारतीय नौसेना ने सोमवार को अपने दूसरे पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल के युद्धपोत (Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft - ASW-SWC) आईएनएस आन्द्रोत को विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में आयोजित एक भव्य समारोह में विधिवत शामिल किया। यह आयोजन भारत की बढ़ती समुद्री आत्मनिर्भरता और नवोन्मेषी रक्षा प्रौद्योगिकियों का प्रतीक बना।

इस समारोह की अध्यक्षता पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने की। समारोह में नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता के प्रतिनिधि और अन्य गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।

तकनीकी विशेषताएँ और क्षमताएँ

आईएनएस आन्द्रोत की लंबाई 77 मीटर है और इसकी विस्थापन क्षमता लगभग 1,500 टन है। इसे विशेष रूप से तटीय और उथले जलराशि में पनडुब्बी रोधी अभियान संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह पोत एक अत्याधुनिक पनडुब्बी शिकारी की तरह कार्य करता है, जो उन्नत हथियार, सेंसर प्रणाली और संचार तकनीकों से सुसज्जित है। इन तकनीकों के माध्यम से यह जहाज जल सतह के नीचे मौजूद खतरों का सटीक पता लगाने, निगरानी करने और उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम है। इसकी उन्नत मशीनरी एवं नियंत्रण प्रणालियाँ इसे उच्च तकनीकी दक्षता और परिचालन स्थिरता प्रदान करती हैं। इसके अलावा, यह पोत उथले पानी में लंबे समय तक संचालन करने में भी सक्षम है।

स्वदेशी निर्माण

आईएनएस आन्द्रोत को 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री से निर्मित किया गया है। यह भारत की ‘मेक इन इंडिया’ नीति और समुद्री आत्मनिर्भरता की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह अत्याधुनिक युद्धपोत भारतीय नौसेना के उन सतत प्रयासों को रेखांकित करता है, जिनके माध्यम से नौसेना घरेलू समाधानों और नवीन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए स्वदेशी सामग्री के अनुपात को लगातार बढ़ा रही है।

प्रणोदन प्रणाली और बहुउद्देशीय उपयोग

आईएनएस आन्द्रोत में तीन वॉटरजेट प्रणोदन प्रणाली हैं, जिन्हें समुद्री डीजल इंजनों से संचालित किया जाता है। यह संयोजन इसे बेहद चुस्त, तेज और कुशल संचालन क्षमता प्रदान करता है।

इसकी बहुमुखी क्षमताओं में शामिल हैं:

·         समुद्री निगरानी

·         खोज एवं बचाव अभियान

·         तटीय रक्षा मिशन

·         कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन

इन विशेषताओं के कारण यह जहाज तटीय अभियानों के लिए एक बहुआयामी और प्रभावी प्लेटफॉर्म बन जाता है।

रणनीतिक महत्व और आत्मनिर्भरता का विस्तार

आईएनएस आन्द्रोत का जलावतरण भारतीय नौसेना की एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) क्षमताओं को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। विशेषकर तटीय क्षेत्रों में संभावित खतरों का मुकाबला करने में यह पोत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस पोत के नौसेना में शामिल होने से स्वदेशीकरण, नवाचार और क्षमता विस्तार पर भारत के निरंतर बल का प्रदर्शन होता है। साथ ही, यह भारत की समुद्री सुरक्षा संरचना को मजबूत करने में जीआरएसई के योगदान को भी रेखांकित करता है।

नाम और प्रतीकात्मकता

इस जहाज का नाम लक्षद्वीप समूह के सबसे उत्तरी द्वीप ‘आन्द्रोत’ के नाम पर रखा गया है। आन्द्रोत द्वीप अपने ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, और इसी विरासत को नौसेना ने इस जहाज के नाम के माध्यम से आगे बढ़ाया है।

आईएनएस आन्द्रोत का नौसेना में शामिल होना एक आधुनिक, आत्मनिर्भर और प्रगतिशील नौसेना के निर्माण की दिशा में भारत का नई उपलब्धि और रणनीतिक शक्ति का प्रतीक है। यह जहाज संघर्ष के हर आयाम में राष्ट्र के समुद्री हितों की प्रभावी रक्षा करने में सक्षम है।

मुख्य अतिथि वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने अपने संबोधन में कहा कि आईएनएस आन्द्रोत जैसे स्वदेश निर्मित युद्धपोत भारत की रणनीतिक शक्ति को सुदृढ़ करने और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने इसे नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह पोत क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और समुद्री सहयोग के प्रति भारत की अटूट वचनबद्धता को भी दर्शाता है।

निरीक्षण

जलावतरण के बाद, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ने आईएनएस आन्द्रोत के विभिन्न हिस्सों का निरीक्षण किया। उन्होंने जहाज की निर्माण यात्रा और स्वदेशी तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कमीशनिंग क्रू और जीआरएसई अधिकारियों से बातचीत की तथा जहाज की समय पर तैनाती सुनिश्चित करने में उनके समर्पित प्रयासों की सराहना की। अंत में उन्होंने सभी को बधाई देते हुए इसे भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता का प्रतीक बताया।

आईएनएस आन्द्रोत का जलावतरण न केवल भारत की नौसैनिक शक्ति में वृद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह देश की तकनीकी क्षमता, आत्मनिर्भरता और समुद्री दृष्टिकोण का भी सशक्त प्रदर्शन है। यह पोत आने वाले वर्षों में भारतीय नौसेना की तटीय रक्षा और पनडुब्बी रोधी अभियानों को नई दिशा और शक्ति प्रदान करेगा, जिससे भारत का समुद्री क्षेत्र और अधिक सुरक्षित, सशक्त और स्वावलंबी बनेगा।

The News Grit, 10/07/2025

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