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Showing posts from April, 2025

पर्यटन में मध्यप्रदेश की नई उड़ान: 2024 में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे!!

वनों की निगरानी अब रियल-टाइम में एमपी बना देश में पहला राज्य!!!!

मध्यप्रदेश ने वन प्रबंधन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए पूरे देश में पहली बार एआई आधारित रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट प्रणाली लागू की है। यह नवाचार न केवल तकनीकी दृष्टि से अत्यंत उन्नत है , बल्कि यह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में राज्य की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इस प्रणाली के माध्यम से वन क्षेत्र में हो रहे भूमि अतिक्रमण , भूमि उपयोग में परिवर्तन , और वन हानि जैसी गतिविधियों की त्वरित पहचान और निगरानी संभव हो सकी है। इससे वन विभाग को त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करने का अवसर मिलता है। इस अनूठी प्रणाली की परिकल्पना गुना वन मण्डल के वन मण्डलाधिकारी श्री अक्षय राठौर द्वारा की गई। उनके नेतृत्व और तकनीकी दृष्टिकोण ने इस विचार को मूर्त रूप देने में प्रमुख भूमिका निभाई। इस परियोजना को सफल बनाने में मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री असीम श्रीवास्तव और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (आईटी) श्री बी.एस. अणिगेरी ने संस्थागत समर्थन और मार्गदर्शन प्रदान किया। इस संपूर्ण प्रणाली को गूगल अर्थ इंजन पर आधारित बनाया गया है , जिसमें बहु-कालिक उपग्रह चित्रों , कस्टम एआई मॉडल , मोबा...

बाल विवाह रोकथाम हेतु कलेक्टर ने गठित किया उड़नदस्ता!!!!

  मध्यप्रदेश शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग के लाडो अभियान के तहत सागर जिले के कलेक्टर श्री संदीप जी आर ने बाल विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथा को समाप्त करने और जन जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से उड़नदस्ते का गठन किया है। यह कदम अक्षय तृतीया और अन्य आगामी अवसरों पर होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए उठाया गया है। उड़नदस्ता दल की टीम जिलों में बाल विवाह की रोकथाम के लिए सक्रिय रूप से काम करेगी और संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर कड़ी निगरानी रखेगी। उड़नदस्ता दल में विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल किए गए हैं। इसमें समस्त अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ,   अनुविभागीय अधिकारी पुलिस ,   जनपद सीईओ ,   परियोजना अधिकारी ,   विकासखंड चिकित्सा अधिकारी ,   थाना प्रभारी ,   स्थानीय पटवारी ,   सचिव ,   रोजगार सहायक ,   ग्राम कोटवार और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल हैं। यह टीम बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला और परियोजना स्तर पर कार्रवाई करेगी और समाज के विभिन्न सेवाप्रदाताओं ,   कार सेवकों ,   जनप्रतिनिधियों और अशासकीय संस्थाओं के प्रति...

नरवाई (पराली) जलाना किसान सुविधा या पर्यावरण संकट??

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के आधार स्तंभ भी हैं। खेती की हर प्रक्रिया का प्रभाव न केवल किसान की आजीविका पर, बल्कि प्रकृति के संतुलन पर भी पड़ता है। हाल के वर्षों में फसल कटाई के बाद खेतों में बची हुई नरवाई को जलाने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जो एक गंभीर पर्यावरणीय और कृषि संकट का रूप ले चुकी है। यह समस्या सिर्फ वायु प्रदूषण तक सीमित नहीं है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता, जलवायु परिवर्तन, और मानव स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मध्यप्रदेश सरकार ने इस चुनौती को गंभीरता से लेते हुए कड़े कदम उठाए हैं और किसानों को पर्यावरण-अनुकूल विकल्प अपनाने की दिशा में प्रेरित किया है। क्या होती है नरवाई और क्यों जलाते हैं किसान? नरवाई शब्द फसल कटाई के बाद खेतों में बची सूखी डंठल और अवशेषों के लिए प्रयोग होता है। यह गेहूं, धान या अन्य अनाजों की कटाई के बाद खेतों में छूट जाती है। चूंकि इसे हटाना श्रमसाध्य और खर्चीला कार्य होता है, कई किसान इसे जलाकर खेत को दोबारा उपयोग में लाने की कोशिश करते हैं। हालांकि यह तरीका आसान प्रतीत होता है, लेकिन ...

भारतीय मन, मानस और संस्कृति का पुनर्बोध धर्मपाल स्मृति द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सारगर्भित आयोजन

डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय , सागर में आयोजित श्री धर्मपाल स्मृति द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय मन , मानस और संस्कृति के पुनर्बोध का एक सशक्त मंच सिद्ध हुई। यह आयोजन भारतीय ज्ञान परंपरा , सांस्कृतिक मूल्यों और शिक्षा के उद्देश्य को पुनः परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आया। इस संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ , जिसने पूरे आयोजन को आध्यात्मिक और वैचारिक ऊर्जस्विता से भर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश शासन के राज्य मंत्री श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी रहे तथा अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की। विशिष्ट अतिथियों में मुख्य चुनाव आयुक्त श्री मनोज श्रीवास्तव , सागर स्कूल शिक्षा संयुक्त संचालक डॉ. मनीष वर्मा , धर्मपाल शोधपीठ के निदेशक संतोष वर्मा , और शैक्षिक अध्ययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. अनिल कुमार जैन मंचासीन रहे। धर्मपाल जी के विचारों का प्रकाशन कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए डॉ. अनिल कुमार तिवारी ने भारतीय इतिहासकार और गांधीवादी विच...

किताबें खामोश होती हैं, पर सबसे गहरी बात कहती हैं, विश्व पुस्तक दिवस 2025

पुस्तकें सदियों से मानव सभ्यता की विकास यात्रा की साक्षी रही हैं। उन्होंने हमें अंधकार से प्रकाश की ओर , अज्ञान से ज्ञान की ओर और विभाजन से एकता की ओर मार्गदर्शन दिया है। विश्व पुस्तक दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि पढ़ना केवल एक कौशल नहीं , बल्कि चेतन मन का विस्तार है। यह हमें सोचने , समझने और गहराई से अनुभव करने की शक्ति देता है। इस दिन का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य है , पुस्तकों के अधिकार यानी ' कॉपीराइट ' के प्रति जागरूकता फैलाना। कॉपीराइट , किसी लेखक या रचनाकार को उनके कार्य पर कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। यह रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है और सुनिश्चित करता है कि किसी की मेहनत का अनुचित उपयोग न हो। इसलिए विश्व पुस्तक दिवस न केवल पाठकों , बल्कि लेखकों , प्रकाशकों और शिक्षकों सभी के लिए एक विशेष दिन है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि पुस्तकें केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं , बल्कि सामाजिक चेतना , संवेदनशीलता और संस्कृति के संवाहक भी हैं। जब हम एक पुस्तक खोलते हैं , तो हम केवल शब्द नहीं पढ़ते , बल्कि एक नई दुनिया में प्रवेश करते हैं , जहाँ कल्पना उड़ान भरती है और विचारों को...

गवेषणा जीवनदृष्टि, मानव गरिमा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण 2025 के संविवेक संकल्पों की त्रयी

"गवेषणा मनवोत्तथान पर्यावरण तथा स्वास्थ्य जागरूकता समिति " "आम सभा 30/3/2025" गवेषणा जीवनदृष्टि सम्बंधित तीन 5,6,7 संकल्प सर्वसम्मति से स्वीकृत हुए है।            गवेषणा की नीति सदैव असहमतियों और विरोधियों के प्रति आदरभाव की रही है। इसी कारण स्वीकृत संकल्प को सार्वजनिक मंचों पर प्रस्तुत किया गया है, ताकि हमें समीक्षा, समालोचना, विरोध तथा असहमति के मोतियों से लाभ मिल सके - और हम इनसे और अधिक पुष्ट, परिपक्व एवं फलित होकर सार्थक दिशा में आगे बढ़ सकें। आपकी आलोचना हमारा धन है! संशाधन है! 5. गवेषणा जीवनदृष्टि के आयाम के मानव गरिमा एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अर्थ, घटक व दोनों के अन्तर्सम्बन्ध पर विचार- (क) प्रारंभिक निर्णय: - गवेषणा सर्वसम्मति से यह स्पष्ट मत व्यक्त करता है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बिना मानव गरिमा पूर्ण नही हो सकती। मानव व्यक्तित्व कि समग्रता इन दोनों तत्वों के बिना सम्भव नही है। सस्टेनेबल व प्रगतिशील मानव सभ्यता के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण व मानव गरिमा एक दूसरे के पूरक है। स्वयं वैज्ञानिक  दृष्टिकोण, मानव गरिमा का अपरिहार्य घटक है...

भारत का रक्षा निर्यात उन्नत तकनीक से बने हथियार अब दुनियाभर में!!!!

 भारत अब हथियारों के वैश्विक बाजार में उतरने की पूरी तैयारी में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ नीति ने अब तक देश ने फार्मा उत्पादों से लेकर हाई-टेक गैजेट्स तक के निर्माण और निर्यात में खुद को साबित किया है। अब सरकार की नजर मिसाइल, हेलिकॉप्टर और युद्धपोत जैसे अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों के निर्यात पर है। इसके लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए सरकारी एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक (EXIM) को उन देशों को सस्ते और दीर्घकालिक लोन देने की छूट दी है, जिनकी राजनीतिक या आर्थिक हालत के कारण उन्हें आमतौर पर बैंकिंग सुविधा नहीं मिल पाती। भारत खासकर उन देशों को टारगेट कर रहा है जो अब तक रूस से हथियार खरीदते रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कई देशों ने नए रक्षा आपूर्तिकर्ता तलाशने शुरू कर दिए हैं और भारत इस मौके को हथियार निर्यात बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। इसके लिए भारत दुनियाभर में अपने दूतावासों में 20 नए रक्षा अटैची तैनात कर रहा है, जिनका काम होगा – हथियारों की मार्केटिंग करना, स्थानीय सरकारों की जरूरतें समझना और सौदे करवाना। EXIM बैंक के ज़रिए सस्ते लोन की पेशकश भारत सरकार ने रक...