पुस्तकें सदियों से मानव सभ्यता की विकास यात्रा की साक्षी रही हैं। उन्होंने हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर और विभाजन से एकता की ओर मार्गदर्शन दिया है। विश्व पुस्तक दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि पढ़ना केवल एक कौशल नहीं, बल्कि चेतन मन का विस्तार है। यह हमें सोचने, समझने और गहराई से अनुभव करने की शक्ति देता है।
इस दिन का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य है, पुस्तकों के अधिकार यानी 'कॉपीराइट' के प्रति जागरूकता फैलाना। कॉपीराइट, किसी लेखक या रचनाकार को उनके कार्य पर कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। यह रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है और सुनिश्चित करता है कि किसी की मेहनत का अनुचित उपयोग न हो। इसलिए विश्व पुस्तक दिवस न केवल पाठकों, बल्कि लेखकों, प्रकाशकों और शिक्षकों सभी के लिए एक विशेष दिन है।
यह
दिवस हमें याद दिलाता है कि पुस्तकें केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना, संवेदनशीलता
और संस्कृति के संवाहक भी हैं। जब हम एक पुस्तक खोलते हैं, तो
हम केवल शब्द नहीं पढ़ते, बल्कि एक नई दुनिया में प्रवेश
करते हैं, जहाँ कल्पना उड़ान भरती है और विचारों को दिशा
मिलती है।
विश्व पुस्तक दिवस 2025 की थीम है,"अपने तरीके से पढ़ें" (Read
Your Way)
इस थीम का उद्देश्य है सभी आयु वर्ग, विशेषकर बच्चों और युवाओं को, अपनी रुचि और पसंद के
अनुसार पुस्तकें चुनकर पढ़ने के लिए प्रेरित करना। यह न केवल पढ़ने को एक आनंददायक
और सहज आदत के रूप में प्रोत्साहित करता है, बल्कि
आत्मनिर्भरता, सोचने की क्षमता और कल्पनाशीलता को भी बढ़ावा
देता है। यह दिन हर वर्ष 23 अप्रैल को मनाया जाता है,
जो साहित्यिक इतिहास में एक विशेष तिथि है। इसी दिन विलियम
शेक्सपीयर (इंग्लैंड) और इन्का गार्सिलासो दे ला वेगा (पेरू) जैसे महान
साहित्यकारों का निधन हुआ था। इन लेखकों की स्मृति और पुस्तकों के महत्व को
रेखांकित करने हेतु, यूनेस्को ने वर्ष 1995 में इस दिन को "विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस" के रूप में घोषित किया। यह दिन हमें याद दिलाता है कि किताबें न केवल
ज्ञान का भंडार हैं, बल्कि मानव चेतना के विकास की प्रेरक
शक्ति भी हैं।
पुस्तकें केवल शब्द नहीं, एक संसार हैं
पुस्तकें
केवल कागज़ पर लिखे शब्द नहीं होतीं, वे विचारों की जीवंत वाहक होती हैं। वे
हमारे अतीत की समझ को वर्तमान से जोड़ती हैं और वर्तमान को भविष्य की दिशा में ले
जाती हैं। एक अच्छी किताब हमें न केवल ज्ञान देती है, बल्कि हमारे भीतर एक विचारशील
और संवेदनशील संसार का निर्माण करती है। यह हमारी सोच को विस्तार
देती है, हमारे दृष्टिकोण को गहराई देती है और मानवीय
मूल्यों को मजबूती प्रदान करती है। किताबें हमें दूसरों के अनुभवों से सीखने,
दुनिया को नए नजरिए से देखने और आत्मचिंतन करने की प्रेरणा देती
हैं। सही मायनों में, "एक अच्छी पुस्तक एक जीवित प्राणी होती है, विचारों
की साँस लेती हुई आत्मा," जो पाठक के
मन को छूती है और उसकी चेतना को जाग्रत करती है।
बच्चों और युवाओं के लिए विशेष संदेश
आज के
डिजिटल युग में जहाँ स्क्रीन हमारी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है, वहाँ किताबों से लोगों की दूरी बढ़ती जा रही है। लेकिन
यह नहीं भूलना चाहिए कि पुस्तकें
हमारे चरित्र निर्माण, नैतिक
विकास और आलोचनात्मक सोच को विकसित करने में अनमोल भूमिका निभाती हैं। वे
हमें न केवल जानकारी देती हैं, बल्कि सोचने, समझने और गहराई से विश्लेषण करने की क्षमता भी प्रदान करती हैं। विशेष रूप
से बच्चों के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें बचपन से ही पुस्तकों से जोड़ने की आदत
डाली जाए, ताकि उनमें जिज्ञासा, कल्पनाशक्ति
और संवेदनशीलता का विकास हो सके। विश्व
पुस्तक दिवस इस दिशा में एक सुनहरा अवसर है,
जब हम स्वयं भी किताबों से जुड़ें और दूसरों को भी किताबों से मित्रता करने के लिए प्रेरित करें।
डिजिटल
युग में पुस्तक की नई परिभाषा
आज
के डिजिटल युग में जब तकनीकी उपकरणों और इंटरनेट ने हमारे जीवन के हर पहलू को
प्रभावित किया है, तो किताबों की
परिभाषा भी बदल गई है। पहले जहां पुस्तकें केवल कागज पर छपी होती थीं, अब ई-बुक्स और ऑडियोबुक्स जैसे नए रूपों में उपलब्ध हैं। इन डिजिटल रूपों
ने पढ़ने के अनुभव को और अधिक सुलभ और गतिशील बना दिया है। अब कोई भी व्यक्ति अपनी
पसंदीदा किताबों को स्मार्टफोन, टैबलेट या कंप्यूटर पर पढ़
सकता है, चाहे वह घर पर हो या यात्रा पर।
इस
बदलाव के साथ, पुस्तक की परिभाषा अब
सिर्फ पढ़ने तक सीमित नहीं रही, बल्कि सुनने, देखने, और संवेदनाओं को महसूस करने के अनुभवों को भी
शामिल करती है। डिजिटल युग में किताबें न केवल ज्ञान का साधन बनी हैं, बल्कि वे एक इंटरएक्टिव और बहुआयामी अनुभव बन चुकी हैं। चाहे आप किसी
कहानी को ऑडियो के माध्यम से सुनें या किसी विषय पर गहरी जानकारी के लिए डिजिटल
संसाधनों का उपयोग करें, पुस्तक अब अधिक व्यक्तिगत, गतिशील और सुलभ हो गई है।
यह नया रूप हमें यह समझने का अवसर देता है कि पुस्तकें न केवल शब्दों और विचारों का संग्रह हैं, बल्कि वे विचारों की यात्रा, कल्पना की उड़ान, और मानवता के अनुभवों का एक स्थायी दर्पण हैं।
प्रेरणा की बातें
"एक किताब,
एक कलम, एक बच्चा और एक शिक्षक – दुनिया को
बदल सकते हैं।" - मलाला यूसुफजई
यह वाक्य सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि शिक्षा,
पुस्तकों और ज्ञान की सामूहिक शक्ति का प्रतीक है। यही भावना
"विश्व पुस्तक दिवस" के मूल में समाई हुई है।
विश्व पुस्तक दिवस हमें
याद दिलाता है कि ज्ञान साझा करने का सबसे सुंदर
माध्यम है – पुस्तक। यह केवल कागज़ के पन्नों पर शब्द नहीं, बल्कि संवेदना, विचार और संस्कार का संगम होती हैं।
इस दिन हम संकल्प लें कि हम न केवल पढ़ेंगे, बल्कि दूसरों को
भी पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे, यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी
उन लेखकों को, जिन्होंने अपनी लेखनी से दुनिया को दिशा दी।
The News Grit, 23/04/2025
Comments
Post a Comment