रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अपने सभी कार्यालयों और प्रयोगशालाओं में उत्पन्न हो रहे इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) के वैज्ञानिक और पर्यावरण अनुकूल निपटान के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है। यह पहल विशेष अभियान 5.0 यानी लंबित मामलों के निपटान हेतु विशेष अभियान (SCDPM 5.0) के तहत की जा रही है।
इस अभियान का
नेतृत्व रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर
वी. कामत के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। अभियान का मुख्य उद्देश्य न केवल
ई-वेस्ट का वैज्ञानिक प्रबंधन और पुनर्चक्रण सुनिश्चित करना है,
बल्कि वीआईपी संदर्भों, अपीलों और शिकायतों से
जुड़े लंबित मामलों को न्यूनतम स्तर तक लाना भी है।
ई-वेस्ट
का निपटान
डीआरडीओ ने
अपने सभी अधीनस्थ प्रयोगशालाओं और अनुसंधान केंद्रों को निर्देश दिया है कि वे
ई-वेस्ट के नियमित संग्रहण, वर्गीकरण और
पुनर्चक्रण की प्रणाली को अपनाएं। इस प्रक्रिया के तहत सभी उपकरणों और
इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को उपयोग की स्थिति और पुन: प्रयोज्यता के आधार पर वर्गीकृत
किया जाएगा ताकि उनका पर्यावरण-अनुकूल निपटान सुनिश्चित किया जा सके।
अभियान के
अंतर्गत न केवल पुराने कंप्यूटर, प्रिंटर,
और संचार उपकरणों का निपटान किया जा रहा है, बल्कि
उनके उपयोगी हिस्सों को पुनः संसाधित कर संसाधन संरक्षण और अपशिष्ट घटाने की दिशा
में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
पिछले
अभियानों की उपलब्धियां
डीआरडीओ ने
पहले भी विशेष अभियान 1.0 से 4.0 के दौरान स्वच्छता और प्रबंधन सुधार के कई प्रयास
किए हैं। इन अभियानों के तहत संगठन ने लगभग 1 लाख फिजिकल फाइलों की समीक्षा की,
जिनमें से 60 हजार से अधिक फाइलों को वीडआउट (weed out) किया गया। कटे हुए कागजों (shredded papers) का
वस्तु विनिमय प्रणाली (barter system) के तहत पुनः उपयोग
करते हुए डीआरडीओ ने लगभग ₹4 लाख मूल्य के स्टेशनरी आइटम
प्राप्त किए। इसके अतिरिक्त, 100 से अधिक वाहनों और अन्य
यांत्रिक अपशिष्ट सामग्री के निपटान से संगठन ने करीब ₹7.5
करोड़ की राशि अर्जित की। ये उपलब्धियां डीआरडीओ की संसाधन-संवर्धन, अपशिष्ट प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को
दर्शाती हैं।
पारदर्शिता
और दक्षता की दिशा में नया अध्याय
विशेष अभियान
5.0 का एक प्रमुख उद्देश्य डीआरडीओ के प्रशासनिक ढांचे को और अधिक पारदर्शी,
दक्ष और पर्यावरण-अनुकूल बनाना है। इस अभियान के अंतर्गत सभी
प्रयोगशालाओं को निर्देश दिया गया है कि वे पुराने अभिलेखों और फाइलों का
व्यवस्थित निस्तारण करें, लंबित मामलों का शीघ्र निपटान
सुनिश्चित करें, और पर्यावरण-अनुकूल कार्य प्रणालियों को
संस्थागत रूप दें। इन प्रयासों से डीआरडीओ के भीतर प्रशासनिक पारदर्शिता और
कार्यकुशलता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। साथ ही, यह पहल भारत
सरकार के “स्वच्छ भारत” और “हरित भारत” अभियानों को सशक्त बनाने की दिशा में एक
महत्वपूर्ण योगदान सिद्ध होगी।
स्थिरता
की दिशा में डीआरडीओ के प्रयास
डीआरडीओ की
यह पहल यह संकेत देती है कि संगठन अपने अनुसंधान एवं प्रशासनिक कार्यों में संसाधन
दक्षता और पर्यावरणीय संतुलन को समान प्राथमिकता दे रहा है। ई-वेस्ट के वैज्ञानिक
प्रबंधन के साथ-साथ संगठन अब इस बात पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है कि अपशिष्ट को
पुनः उपयोग योग्य संसाधनों में बदला जाए, ताकि
पर्यावरण संरक्षण, लागत बचत और प्रशासनिक दक्षता - तीनों को एक साथ सशक्त किया जा सके।
डीआरडीओ
द्वारा शुरू किया गया यह ई-वेस्ट प्रबंधन अभियान न केवल स्वच्छता और पर्यावरण
संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक पहल है, बल्कि
यह सरकारी संस्थानों में जिम्मेदार प्रशासनिक प्रथाओं की एक मिसाल भी पेश करता है।
विशेष अभियान 5.0 डीआरडीओ के लिए एक ऐसा मंच बन गया है,
जहां विज्ञान, पर्यावरण और प्रशासनिक सुधार एक
साझा लक्ष्य स्थिर और स्वच्छ भारत की दिशा में एकजुट हो रहे हैं।
The News Grit, 28/10/2025

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