मध्यप्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व, वीरांगना रानी दुर्गावती नौरादेही टाइगर रिजर्व से वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षणकर्ताओं के लिए बेहद सुखद समाचार सामने आया है। रिजर्व की बाघिन N-112 ने एक बार फिर चार शावकों को जन्म दिया है। यह न केवल जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि इस क्षेत्र में बाघों की स्थिर और बढ़ती आबादी का भी संकेत है।
बाघिन N-112 और उसका वंश: राधा की विरासत आगे बढ़ रही है
इस खबर को
खास बनाने वाली बात यह है कि बाघिन N-112 कोई साधारण बाघिन नहीं, बल्कि “मदर ऑफ नौरादेही”
कही जाने वाली बाघिन राधा की पहली संतान है। वर्ष 2019 में जब राधा ने नौरादेही में पहली बार तीन शावकों को जन्म दिया था,
तभी से वह नौरादेही की पहचान बन गई। अब राधा नानी बन चुकी हैं,
और उनकी बेटी N-112 ने दूसरी बार चार बच्चों
को जन्म देकर इस वंश को आगे बढ़ाया है।
यह दूसरी बार
है जब बाघिन N-112 ने चार शावकों को जन्म दिया
है। इससे पहले भी उसने चार बच्चों को जन्म दिया था, जिनमें तीन
मादा (बाघिन) और एक नर (बाघ) था। वे शावक लगभग 22 महीने तक
अपनी मां के साथ रहे। जैसे ही वे स्वतंत्र हुए, बाघिन N-112
ने फिर से चार नए शावकों को जन्म दिया है। यह उसके प्रजनन स्वास्थ्य,
सुरक्षा और पर्यावरण की अनुकूलता को दर्शाता है।
शावकों
की स्थिति और स्वास्थ्य
नौरादेही
टाइगर रिजर्व के प्रबंधन से प्राप्त जानकारी के अनुसार,
नए जन्मे शावकों की उम्र लगभग 15 से 20
दिन बताई जा रही है। फिलहाल चारों शावक स्वस्थ नजर आ रहे हैं और
बाघिन N-112 उनके साथ सुरक्षित क्षेत्र में देखी गई है।
रिजर्व प्रबंधन ने शावकों की सुरक्षा के लिए उस क्षेत्र में गश्ती और निगरानी बढ़ा
दी है, ताकि कोई बाहरी हस्तक्षेप या खतरा उनकी सुरक्षा में
बाधा न बने।
नौरादेही की सर्च
टीम ने शावकों की तस्वीरें खींची हैं, जो
इस समाचार की पुष्टि करती हैं। प्रबंधन द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार,
यह सुनिश्चित किया गया है कि बाघिन और उसके बच्चों को आवश्यक शांति
और सुरक्षा का वातावरण मिल सके।
डिप्टी डायरेक्टर का बयान
नौरादेही
टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए. ए. अंसारी ने इस घटना की पुष्टि करते हुए
बताया कि कुछ दिन पहले गश्ती दल को शावकों की उपस्थिति के संकेत मिले थे। प्रारंभ
में इस पर विश्वास करना कठिन था, लेकिन बाद में
एक विशेष सर्च टीम का गठन किया गया, जो हाथियों के साथ उस
क्षेत्र में गई। सर्च अभियान के दौरान बाघिन N-112 अपने चार
शावकों के साथ दिखी।
डॉ. अंसारी
ने बताया,
“हमारी सर्च टीम ने इन शावकों की तस्वीरें ली हैं। ये शावक फिलहाल 15-20
दिन के प्रतीत होते हैं। इससे पहले N-112 ने
जिन चार शावकों को जन्म दिया था, वे करीब 22 महीने तक उसके साथ रहे थे। जैसे ही वे स्वतंत्र हुए, बाघिन ने फिर चार शावकों को जन्म दिया। हालांकि गणना में इन शावकों को
शामिल नहीं किया जाता है, लेकिन यदि देखा जाए तो अब नौरादेही
में बाघों की कुल संख्या 23 हो गई है।”
नौरादेही
टाइगर रिजर्व की प्रगति और महत्व
नौरादेही
टाइगर रिजर्व, जिसे हाल ही में वीरांगना रानी
दुर्गावती के नाम से समर्पित किया गया है, मध्यप्रदेश के सागर,
दमोह, नरसिंहपुर और रायसेन जिलों में फैला हुआ
है। यह राज्य का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है और जैव विविधता के लिए अत्यंत
महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है।
नौरादेही में
बाघों की स्थायी बसाहट को सुनिश्चित करने के लिए लगातार संरक्षण प्रयास,
गश्ती निगरानी, और प्रजनन ट्रैकिंग की जाती
रही है। यही कारण है कि यहां की बाघिनें दो बार चार-चार शावकों को जन्म देने में
सक्षम हो रही हैं, जो प्राकृतिक परिस्थितियों में बहुत कम
देखने को मिलता है।
वन्यजीव
संरक्षण के लिए आशाजनक संकेत
बाघों का
पुनरुत्पादन किसी भी टाइगर रिजर्व के लिए सकारात्मक संकेत होता है। यह रिजर्व की
खाद्य श्रृंखला, सुरक्षा प्रबंधन और प्राकृतिक आवास
की अनुकूलता को दर्शाता है। N-112 के मामले में खास बात यह
है कि उसने एक बार फिर चार शावकों को जन्म दिया है, जो उसकी
अच्छी स्वास्थ्य स्थिति और टाइगर रिजर्व के उत्तम प्रबंधन की गवाही देता है। यह
घटना न केवल मध्यप्रदेश के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए
वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक सफलता है।
नौरादेही
टाइगर रिजर्व से आई ये खबर सिर्फ चार नए शावकों के जन्म की नहीं,
बल्कि प्रकृति और संरक्षण के साझा प्रयासों की सफलता की कहानी है।
बाघिन N-112 ने राधा की विरासत को आगे बढ़ाया है और यह
दिखाया है, कि सही देखरेख और सुरक्षित वातावरण में जंगल फिर
से जीवन से भर सकते हैं। इन नन्हे शावकों की मौजूदगी नौरादेही की धरती पर आशा की
नई गूंज है- जो हमें याद दिलाती है, कि
यदि हम प्रकृति की रक्षा करें, तो वह हमें सौ गुना लौटाकर
देती है।
The News Grit, 12/05/2025
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