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पर्यटन में मध्यप्रदेश की नई उड़ान: 2024 में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे!!

अब हर मददगार बनेगा हीरो – सड़क सुरक्षा में नागरिकों की मदद को प्रोत्साहन!!!!

भारत में सड़क दुर्घटना एक गंभीर मामला रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, हर साल हजारों लोग सड़क हादसों में घायल होते या मारे जाते हैं, जिनमें से कई की मृत्यु इसलिए हो जाती है, क्योंकि समय पर उन्हें प्राथमिक उपचार या अस्पताल नहीं मिल पाता।

ऐसे में केंद्र सरकार ने 2021 में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए "गुड सेमेरिटन योजना" की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सड़क हादसों में घायल लोगों की जान बचाने वाले नागरिकों को सम्मानित और सुरक्षित करना है। इसी के साथ मध्यप्रदेश सरकार ने इस योजना को अपनी स्वीकृति देकर प्रदेश में लागू करने की घोषणा की है। जिसे 2025 में मई के अंत तक शु‍रू किया जाएगा। जिसमें प्रोत्‍साहन राशि 25 हजार देने की बात कही गई है। 

भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा 15 अक्टूबर 2021 से इस महत्वपूर्ण योजना की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य गंभीर सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों की जान बचाने वाले नागरिकों को सम्मानित करना है। इस योजना का नाम है – ‘गुड सेमेरिटन को पुरस्कार देने की योजना’, जो ऐसे नागरिकों को प्रोत्साहित करती है जो ‘गोल्डन ऑवर’ (दुर्घटना के बाद का वह एक घंटा जिसमें तत्काल इलाज से जान बचाई जा सकती है) के भीतर घायल व्यक्ति को अस्पताल या ट्रॉमा सेंटर तक पहुंचाने में मदद करते हैं।

इस योजना का मुख्‍य उछेश्‍य

इस योजना के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों को सड़क दुर्घटना पीड़ितों की मदद के लिए प्रेरित करना है, ताकि भय या कानूनी झंझटों के डर से लोग मदद से पीछे न हटें। यह पहल न केवल समाज में सामाजिक उत्तरदायित्व और परोपकार की भावना को मजबूत करती है, बल्कि कानूनी सुरक्षा और आर्थिक प्रोत्साहन के माध्यम से लोगों को ऐसे परोपकारी कार्यों के लिए आगे आने को भी प्रेरित करती है।

योजना के प्रमुख बिंदु

'गुड सेमेरिटन' योजना के अंतर्गत किसी भी ऐसे व्यक्ति को पात्र माना जाता है, जिसने सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को गोल्डन ऑवर यानी दुर्घटना के एक घंटे के भीतर अस्पताल या ट्रॉमा सेंटर पहुंचाकर उसकी जान बचाने में मदद की हो। गोल्डन ऑवर वह समय होता है। जब त्वरित चिकित्सा सहायता से मृत्यु को रोका जा सकता है। घायल की गंभीरता की शर्तों में निम्न में से कोई एक स्थिति शामिल होनी चाहिए जैसे- ऑपरेशन की आवश्यकता, कम से कम तीन दिन को अस्पताल में भर्ती होना, या सिर अथवा रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगना।

ऐसे नेक कार्य के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रति घटना ₹5,000 नकद राशि और प्रशंसा प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त, हर वर्ष देशभर से 10 सबसे उत्कृष्ट ‘गुड सेमेरिटन’ को राष्ट्रीय स्तर पर चुना जाएगा, जिन्हें ₹1,00,000 की पुरस्कार राशि, एक ट्रॉफी और सम्मान समारोह में विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा। 29 सितंबर 2020 को जारी अधिसूचना के अनुसार, मदद करने वाले नागरिकों को किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही या पूछताछ से छूट दी गई है, जिससे लोग बिना किसी डर के मदद के लिए आगे आ सकें। एक व्यक्ति को इस योजना के अंतर्गत एक वर्ष में अधिकतम 5 बार पुरस्कार दिया जा सकता है।

कार्यान्वयन प्रक्रिया

·         घटना की जानकारी स्थानीय पुलिस या अस्पताल को दी जाती है।

·       पुलिस या अस्पताल एक प्रमाण-पत्र (Acknowledgement) जारी करते हैं जिसमें मदद करने वाले का नाम, पता, समय, घटना विवरण होता है।

·         यह जानकारी जिला स्तर की मूल्यांकन समिति को भेजी जाती है जिसमें कलेक्टर, SP, CMOH और RTO शामिल होते हैं।

·         समिति हर महीने योग्य नामों को मंजूरी देती है।

·         राज्य परिवहन विभाग उनके खाते में सीधे पुरस्कार राशि भेजता है।

·         केंद्र सरकार को पोर्टल के माध्यम से जानकारी भेजकर राशि की प्रतिपूर्ति प्राप्त होती है।

क्यों ज़रूरी था यह निर्णय?

यह निर्णय इसलिए ज़रूरी था, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि लोग सड़क हादसे में घायल व्यक्तियों की मदद करने से हिचकते हैं। इसका मुख्य कारण यह डर होता है कि कहीं उन्हें पुलिस पूछताछ या कानूनी प्रक्रिया में उलझना न पड़े। कई मामलों में लोग हादसे के गवाह होने के डर से भी दूर रहना पसंद करते हैं, जिससे घायल को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और उसकी जान जोखिम में पड़ जाती है। सरकार की इस योजना से अब ऐसे मददगार नागरिकों को न केवल कानूनी सुरक्षा मिलेगी, बल्कि उन्हें सम्मान और आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी। यह कदम समाज में परोपकार की भावना को मजबूत करेगा और लोगों को बिना डर के घायल की मदद करने के लिए प्रेरित करेगा।

सड़क हादसों में घायल लोगों की जान बचाना न केवल मानवीय कर्तव्य है, बल्कि अब यह सरकार द्वारा सराहा जाने वाला कार्य भी बन गया है। 'गुड सेमेरिटन' योजना आम नागरिकों को यह भरोसा देती है कि अगर वे किसी की जान बचाने के लिए आगे आते हैं, तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया से छूट मिलेगी और उनके परोपकारी कार्य का सम्मान भी किया जाएगा। यह न केवल समाज में संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी की भावना को बढ़ाता है, बल्कि एक जागरूक और सहयोगी नागरिक समाज के निर्माण की दिशा में भी बड़ा कदम है। अब समय है कि हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि किसी भी सड़क हादसे में चुप न रहें, बल्कि मदद के लिए आगे आएं – क्योंकि एक जीवन बचाना सबसे बड़ा धर्म है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर और चिंताजनक समस्या बनी हुई हैं। "Accidental Deaths & Suicides in India – 2022" (ADSI 2022) रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में देशभर में कुल लगभग 4,46,768 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं। इन हादसों में लगभग 1,68,491 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि लगभग 4,43,366 लोग घायल हुए। ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि देश में सड़क सुरक्षा को लेकर ठोस प्रयासों की आवश्यकता है और ऐसे में 'गुड सेमेरिटन' योजना जैसे कदम आम नागरिकों की भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

The News Grit, 16/05/2025


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