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रीवा के नए न्यायालय भवन से लोकतंत्र और न्याय प्रणाली को मिला नया आयाम!!!!

रीवा, मध्यप्रदेश – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रीवा में नवनिर्मित जिला न्यायालय भवन के लोकार्पण अवसर पर कहा कि “न्याय पाना देश के हर नागरिक का कानूनी अधिकार है, और समय पर न्याय दिलाना सम्पूर्ण न्याय प्रणाली का एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए।” यह आयोजन न केवल रीवा की न्यायिक परंपरा को पुनर्स्थापित करने का प्रतीक बना, बल्कि पूरे राज्य की न्यायिक दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन का संकेत भी दिया।

इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, राज्य सरकार के मंत्रीगण, प्रशासनिक अधिकारी और अधिवक्ता समुदाय की गरिमामयी उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बना दिया।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में न्यायालय को "न्याय का मंदिर" कहा और विश्वास जताया कि इसमें आने वाला प्रत्येक व्यक्ति न्याय के प्रति श्रद्धा के साथ प्रवेश करेगा और यहां से सुलभ एवं संतुलित न्याय प्राप्त करेगा। उन्होंने उल्लेख किया कि यह भवन न केवल भौतिक रूप से भव्य है, बल्कि इसकी आत्मा करूणा, विवेक और न्याय जैसे मानवीय मूल्यों में निहित होगी।

डॉ. यादव ने यह भी बताया कि बीते डेढ़-दो वर्षों में मध्यप्रदेश में 30 से अधिक न्यायालय भवनों का निर्माण एवं लोकार्पण किया गया है। यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी न्याय मिल सके।

उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के न्यायिक सुधारों की भी सराहना की, जिन्होंने कानूनों के सरलीकरण और न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता के लिए कई नये कानून लागू किए हैं। उन्होंने कहा, "देश की न्यायपालिका ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटाकर उसे खुली आंखों से न्याय देने का प्रतीकात्मक संदेश दिया है।"

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की उपस्थिति और विचार

कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश श्री सूर्य कांत, श्री जे.के. माहेश्वरी और श्री सतीश चंद्र शर्मा ने अपने विचार रखे। न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा, "मध्यप्रदेश सरकार न्याय प्रणाली को आधुनिकता और सुविधा से युक्त बनाने की दिशा में प्रभावी कदम उठा रही है।"

उन्होंने कहा कि रीवा का नया न्यायालय भवन तकनीकी दृष्टि से उन्नत है और इसमें आगामी 50 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सुविधाएं विकसित की गई हैं। यह भवन न्याय की निष्पक्षता, पारदर्शिता और मानवीय मूल्यों को मजबूती प्रदान करेगा।

न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी ने भवन के स्थापत्य की सराहना करते हुए कहा कि यह बघेली संस्कृति और आधुनिकता का अनूठा संगम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल भौतिक निर्माण से नहीं, बल्कि उसमें बसने वाली 'आत्मा' से भवन की पहचान बनती है, और वह आत्मा तभी जागृत होगी जब उसमें करूणा, विवेक और न्याय होगा।

न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने रीवा की विधिक विरासत की सराहना करते हुए कहा कि इसी माटी से निकले न्यायमूर्ति जी.पी. सिंह और जस्टिस जे.एस. वर्मा जैसे व्यक्तित्वों ने देश की सर्वोच्च न्यायपालिका में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री सुरेश कुमार कैत की चिंता

मुख्य न्यायाधीश श्री कैत ने न्याय प्रणाली में लंबित मामलों की संख्या पर चिंता व्यक्त की और कहा कि मामलों के शीघ्र निपटान के लिए जजों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हाईकोर्ट में 32 नए जजों की आवश्यकता है।

उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना करते हुए बताया कि उनकी पहल पर प्रदेश को 30 नए न्यायालय भवनों की सौगात मिली है, जिनमें रीवा का यह भवन सबसे भव्य और आधुनिक सुविधाओं से युक्त है। यहाँ 40 कोर्ट कक्ष और 750 अधिवक्ताओं के बैठने की व्यवस्था की गई है।

उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्‍ल का वक्तव्य

नवीन जिला न्यायालय भवन के लोकार्पण अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने इसे रीवा के लिए गौरव और हर्ष का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह भवन न केवल न्यायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह रीवा की प्रगति को नई दिशा देने वाला एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। श्री शुक्ल ने बताया कि रीवा ही नहीं, सम्पूर्ण विन्ध्य क्षेत्र तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है, जहाँ 40 मिलियन टन सीमेंट और 15 हजार मेगावाट बिजली के उत्पादन के साथ-साथ कोयले का भी भरपूर उत्पादन होता है। क्षेत्र में रेलवे लाइनों का विस्तार, फोरलेन सड़कों का निर्माण और एयरपोर्ट जैसी आधारभूत संरचनाओं का विकास तीव्र गति से हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायालय के इस आधुनिक भवन के लोकार्पण में मुख्यमंत्री और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की उपस्थिति से यह अवसर और अधिक गरिमामय बन गया है। उप मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि जब न्यायिक प्रणाली सुदृढ़ होगी, तभी लोकतंत्र की जड़ें और अधिक मजबूत बनेंगी। 

न्यायिक परंपरा और भविष्य की दिशा

समारोह में हाईकोर्ट के पोर्टफोलियो जज श्री संजीव सचदेवा ने कहा कि रीवा की न्यायिक प्रणाली देश के संविधान से भी पुरानी है। उन्होंने बताया कि राजशाही विन्ध्य प्रदेश के समय भी यहाँ एक सुदृढ़ और संगठित न्याय व्यवस्था विद्यमान थी। उस समय रीवा हाईकोर्ट बघेलखण्ड और बुंदेलखण्ड के 21 जिलों के प्रकरणों का निराकरण करता था, जिससे इसकी न्यायिक भूमिका की व्यापकता स्पष्ट होती है। उन्होंने विश्वास जताया कि नवीन न्यायालय भवन से रीवा की समृद्ध न्यायालयीन परंपरा को एक नया आयाम प्राप्त होगा।

रीवा में नवनिर्मित जिला न्यायालय भवन का लोकार्पण न केवल एक भवन के उद्घाटन का अवसर था, बल्कि यह न्याय प्रणाली में आम जन की आस्था को मजबूत करने का प्रतीक बन गया। यह भवन भले ही ईंट, पत्थर और सीमेंट से बना हो, परन्तु इसकी आत्मा करूणा, विवेक और न्याय के मूल तत्वों से जीवंत होगी।

सरकार, न्यायपालिका और समाज की सहभागिता से जब न्यायालय एक सशक्त मंच बनता है, तभी लोकतंत्र की नींव और भी सुदृढ़ होती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव, न्यायाधीशगण और प्रशासन की यह पहल रीवा सहित सम्पूर्ण प्रदेश के नागरिकों को यह संदेश देती है, की आज न्याय हर नागरिक की पहुँच में है - सुलभ, सशक्त और सुनिश्चित।

The News Grit, 05/05/2025


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