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आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई: टैक्स में छूट के फर्जी दावों पर सख्ती, लोगों से की साफ-साफ अपील!!

क्या है पूरा मामला?

आयकर विभाग ने देशभर में बड़ी कार्रवाई शुरू की है, जिसमें उन लोगों और संस्थाओं को निशाना बनाया गया है जो आयकर रिटर्न (ITR) भरते समय फर्जी टैक्स कटौती और छूट का दावा कर रहे थे। जांच में सामने आया है कि कई आईटीआर भरने वाले एजेंट और बिचौलिए एक संगठित रैकेट चला रहे हैं। ये लोग आम करदाताओं को लोभ देकर, उनसे झूठे दस्तावेज बनवाते हैं और टैक्स में छूट का फर्जी दावा करते हैं।

किस तरह का फर्जीवाड़ा?

इन रैकेटों द्वारा निम्नलिखित टैक्स छूटों का दुरुपयोग किया जा रहा था:

·         धारा 10(13A): HRA यानी किराया भत्ता पर छूट

·         80D: हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट

·         80E: शिक्षा ऋण (Education Loan) पर ब्याज की छूट

·         80EE और 80EEB: होम लोन या इलेक्ट्रिक वाहन लोन पर ब्याज की छूट

·         80G और 80GGA: दान पर टैक्स छूट

·         80GGC: राजनीतिक दलों को दान पर छूट

·         80DDB: गंभीर बीमारियों के इलाज पर छूट

आंकड़ों के अनुसार, आयकर विभाग ने जिन धाराओं के तहत टैक्स कटौतियों के फर्जी दावे पकड़े हैं, उनमें प्रमुख रूप से धारा 10(13A) शामिल है, जो उन वेतनभोगी कर्मचारियों को किराया भत्ता (HRA) पर टैक्स छूट देती है, जो किराए के घर में रहते हैं। लेकिन कई मामलों में लोगों ने बिना किराया चुकाए फर्जी रसीदें बनवाकर छूट का दावा किया। इसी तरह, धारा 80D के तहत मेडिकल इंश्योरेंस का प्रीमियम भरने पर टैक्स में राहत मिलती है, लेकिन इसमें भी फर्जी पॉलिसियों और नकली प्रीमियम रसीदों का उपयोग कर छूट ली गई। धारा 80E उच्च शिक्षा के लिए लिए गए एजुकेशन लोन पर दिए जाने वाले ब्याज पर छूट देती है, जिसका गलत फायदा उठाकर कई लोगों ने बिना वास्तविक लोन के झूठा दावा किया। वहीं, धारा 80EE और 80EEB पहली बार घर खरीदने वालों और इलेक्ट्रिक वाहन लोन लेने वालों को ब्याज पर छूट प्रदान करती हैं, लेकिन इन प्रावधानों का भी फर्जी लोन दिखाकर दुरुपयोग किया गया।

धारा 80G और 80GGA क्रमशः सामाजिक संगठनों, ट्रस्टों और वैज्ञानिक अनुसंधान या ग्रामीण विकास के लिए दान करने पर छूट प्रदान करती हैं। इन छूटों का भी नकली दान रसीदों और दिखावटी लेन-देन के जरिए अनुचित रूप से लाभ उठाया गया। धारा 80GGC के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी रजिस्टर्ड राजनीतिक दल को चेक या डिजिटल माध्यम से दान करता है, तो पूरी राशि टैक्स फ्री हो जाती है, लेकिन इसमें भी नकली दान और फर्जी भुगतान दिखाए गए। अंत में, धारा 80DDB कुछ विशेष गंभीर बीमारियों के इलाज में हुए खर्च पर राहत देती है, पर कई लोगों ने फर्जी मेडिकल दस्तावेज़ दिखाकर इसका गलत फायदा उठाया।

इन सभी धाराओं का उद्देश्य ज़रूरतमंद और पात्र करदाताओं को राहत देना था, लेकिन कई मामलों में इनका फर्जी दस्तावेजों और गलत जानकारी के आधार पर अनुचित लाभ उठाया गया, जिससे कर प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा।

जांच में क्या सामने आया?

·         आयकर विभाग ने AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और डेटा एनालिसिस टूल्स का इस्तेमाल कर संदिग्ध पैटर्न पकड़े।

·         महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और मध्य प्रदेश में हाल ही में की गई तलाशी और जब्ती की कार्रवाइयों से टैक्स छूट के फर्जी दावों से जुड़े निष्कर्षों की पुष्टि हुई है।

·         इन छापों में फर्जी दस्तावेज और डिजिटल सबूत मिले हैं, जो यह साबित करते हैं कि टैक्स लाभों का गलत इस्तेमाल बड़े स्तर पर हो रहा था।

जांच के दायरे में कौन-कौन?

·         कई प्राइवेट कंपनियों, सरकारी संस्थानों, शिक्षण संस्थानों के कर्मचारी शामिल पाए गए हैं।

·         ये कर्मचारी अक्सर एजेंटों के बहकावे में आकर थोड़े कमीशन के बदले ज्यादा टैक्स रिफंड पाने के लिए झूठे दावे कर रहे थे।

विभाग की अपील और सुधार की कोशिशें

आयकर विभाग ने बीते एक वर्ष में करदाताओं को सही रिटर्न भरने के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से ईमेल, SMS और विशेष जागरूकता कैंपों के माध्यम से व्यापक संपर्क अभियान चलाया। इस पहल के तहत विभाग ने करदाताओं को यह अवसर दिया कि वे बिना किसी दंड के अपने रिटर्न स्वेच्छा से संशोधित कर सकें। इस प्रयास का सकारात्मक असर देखने को मिला, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 40,000 लोगों ने अपने आयकर रिटर्न अपडेट किए और ₹1,045 करोड़ के फर्जी दावे स्वयं वापस ले लिए। यह सफलता आयकर विभाग की "पहले भरोसा, फिर जांच" की नीति का प्रत्यक्ष उदाहरण है, जिसमें स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देकर ईमानदार करदाताओं को सम्मान देने का प्रयास किया गया है।

कड़ी कार्रवाई के संकेत

जो करदाता अब भी फर्जी दावों में लिप्त हैं या ऐसे रैकेट का हिस्सा बने हुए हैं, उनके विरुद्ध आयकर विभाग सख्त कानूनी कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसमें भारी जुर्माने के साथ-साथ जेल जैसी सज़ा भी शामिल हो सकती है। वर्तमान में विभाग देशभर में 150 से अधिक परिसरों में तलाशी अभियान चला रहा है, ताकि ऐसे फर्जीवाड़े से जुड़े डिजिटल और दस्तावेज़ी साक्ष्य जुटाए जा सकें। इन साक्ष्यों के आधार पर विभाग का उद्देश्य न केवल दोषियों को कानून के दायरे में लाना है, बल्कि पूरे रैकेट को जड़ से समाप्त करना भी है।

करदाताओं के लिए ज़रूरी सलाह

·         अपना ITR खुद भरें या किसी भरोसेमंद CA से भरवाएं।

·         झूठे रिफंड का वादा करने वाले एजेंटों से सावधान रहें।

·         अपनी आय, खर्च, दान, बीमा और लोन की सही जानकारी दें।

·         अपना मोबाइल नंबर और ईमेल सही दर्ज करें, ताकि विभाग की ओर से आने वाले नोटिस मिल सकें।

फर्जी टैक्स कटौतियों और छूटों का दावा न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह देश की कर व्यवस्था और ईमानदार करदाताओं के साथ भी अन्याय है। आयकर विभाग की यह सख्त कार्रवाई सभी करदाताओं के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि टैक्स नियमों का पालन करना प्रत्येक नागरिक की ज़िम्मेदारी है। समय रहते सही रिटर्न दाखिल करना न सिर्फ कानूनी रूप से सुरक्षित रखता है, बल्कि यह एक जागरूक और जिम्मेदार नागरिक होने का प्रमाण भी है।

The News Grit, 16/07/2025

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