लद्दाख में दिखी उत्तरी रोशनी (Northern Lights): भारतीय वैज्ञानिकों ने सौर विस्फोटों की जटिल श्रृंखला का किया खुलासा!!
मई 2024 की दुर्लभ खगोलीय घटना ने चौंकाया भारत के लद्दाख क्षेत्र में रहने वालों को एक अद्भुत और बेहद दुर्लभ नजारा देखने को मिला - उत्तरी ध्रुवीय रोशनी (Northern Lights या ऑरोरा बोरेलिस)। आमतौर पर यह खगोलीय दृश्य कनाडा, नॉर्वे और आइसलैंड जैसे उच्च अक्षांश वाले देशों में देखा जाता है, लेकिन पहली बार भारत के आकाश में यह चमकता हुआ चमत्कार नजर आया। अब वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा हटाया है: यह दृश्य सूर्य पर हुए छह शक्तिशाली और परस्पर क्रियाशील सौर विस्फोटों (Coronal Mass Ejections - CMEs) का परिणाम था।
CME: सूर्य से निकली अद्भुत ऊर्जा
मई
2024
के CME क्यों रहे खास?
इस बार की
घटना साधारण नहीं थी -
10 मई
2024 को शुरू हुए इस भू-चुंबकीय तूफान की जड़ में थी सूर्य
के एक अत्यंत सक्रिय क्षेत्र से लगातार फूटे छह अलग-अलग CME, जो न केवल आपस में टकराए, बल्कि एक-दूसरे को गठित और
प्रभावित भी करते चले गए। इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक "CME–CME इंटरैक्शन" कहते हैं।
इस टकराव ने
अंतरिक्ष में एक विशाल संयुक्त सौर तूफान उत्पन्न किया,
जिससे ऊपरी वायुमंडल में विद्युत और चुंबकीय प्रभावों की श्रृंखला
शुरू हुई। नतीजा - लद्दाख जैसे स्थान पर भी उत्तरी रोशनी दिखाई दी, जो कि एक 20 वर्षों में अब तक का सबसे शक्तिशाली सौर
प्रभाव माना जा रहा है।
कैसे
किया गया वैज्ञानिक विश्लेषण?
भारतीय खगोल
भौतिकी संस्थान (IIA), बेंगलुरु के डॉ.
वागीश मिश्रा के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने मई 2024 की इस दुर्लभ सौर घटना का गहराई से अध्ययन किया। इस शोध में लद्दाख स्थित
हानले वेधशाला से प्राप्त आंकड़ों के साथ-साथ नासा (NASA) और
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) द्वारा लिए गए कोरोनाग्राफिक
अवलोकनों का उपयोग किया गया। साथ ही, पृथ्वी के पास से WIND
अंतरिक्ष यान द्वारा भेजे गए डेटा को भी विश्लेषण में शामिल किया
गया। वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के लिए FRIS मॉडल (Flux
Rope Internal State) नामक एक उन्नत विश्लेषणात्मक तकनीक का प्रयोग
किया, जिससे उन्होंने इन सौर विस्फोटों की अंतरिक्ष में
यात्रा, परस्पर क्रिया और उनके तापीय गुणों (Thermodynamic
properties) को समझा।
क्या
देखा गया इस अध्ययन में?
तापमान
का व्यवहार
·
शुरुआत में CME
गर्म होकर ऊष्मा छोड़ते हैं।
·
लेकिन अंतरिक्ष में
आगे बढ़ते हुए वे एक अवस्था में पहुंच जाते हैं, जहां वे ऊष्मा को अवशोषित करने लगते हैं — यानी खुद
को और गर्म बनाते हैं।
चुंबकीय
संरचनाएं
·
अंतिम CME
में दो जटिल डबल फ्लक्स रस्सियां (Double Flux Ropes) थीं, जो चुंबकीय ऊर्जा की उलझी हुई लटों की तरह थीं।
·
इनके अंदर इलेक्ट्रॉन
और आयनों का तापीय व्यवहार अजीब और मिश्रित था — कुछ हिस्सों में गर्मी बढ़ी,
कुछ में ठंडी बनी रही।
कणों
की गतिविधि
·
इलेक्ट्रॉन ऊष्मा
मुक्त करते रहे,
·
जबकि आयनों में गर्म
और ठंडे क्षेत्रों का मिश्रण मिला, जिसमें
गर्म अवस्था प्रमुख रही।
डॉ.
वागीश मिश्रा के अनुसार,
यह अध्ययन
विश्व स्तर पर पहली बार यह दर्शाता है कि सूर्य से पृथ्वी तक की दूरी में जब कई
सौर ज्वालाएं (CME) परस्पर क्रिया करती हैं,
तो वे किस प्रकार लगातार तापीय रूप से विकसित होती हैं। इस खोज से
वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष मौसम (Space Weather) की सटीक
भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी, जिससे सैटेलाइट्स की
सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। साथ ही, इससे कम्युनिकेशन
नेटवर्क में होने वाले संभावित अवरोधों को समय रहते रोका जा सकेगा और पावर ग्रिड
पर पड़ने वाले सौर तूफानों के प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा।
🇮🇳 Aditya-L1: भारत की अंतरिक्ष रणनीति में नया कदम
(Indian
Institute of Astrophysics) की शोध टीम अब
अपने आगामी अध्ययनों में ISRO के महत्वाकांक्षी Aditya-L1
मिशन से प्राप्त आंकड़ों को भी शामिल करने की योजना बना रही है। इस
मिशन में कई उन्नत उपकरण लगे हैं, जिनमें प्रमुख हैं – VELC
(Visible Emission Line Coronagraph), जो सूर्य के कोरोना की
निगरानी करेगा, और ASPEX (Aditya Solar Particle
Experiment), जो अंतरिक्ष में आवेशित कणों की जांच करेगा। इन
उपकरणों की मदद से वैज्ञानिकों को सौर ज्वालाओं (CME) की
पूरी यात्रा को – सूर्य से लेकर पृथ्वी तक – पहली बार इतने व्यापक और विस्तृत रूप
में ट्रैक करने का अवसर मिलेगा। यह भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में आत्मनिर्भरता और
वैश्विक योगदान की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
शोध
का प्रकाशन और वैश्विक मान्यता
·
डॉ. वागीश मिश्रा
·
श्री सौम्यरंजन
खुंटिया (डॉक्टरेट स्कॉलर)
·
अंजलि अग्रवाल
(डॉक्टरेट स्कॉलर)
अंतरिक्ष
में भारत का बढ़ता विज्ञान नेतृत्व
मई 2024
की उत्तरी रोशनी केवल एक सुंदर खगोलीय घटना नहीं थी — वह एक वैज्ञानिक
चेतावनी भी थी, जो हमें आने वाले अंतरिक्ष मौसम की गंभीरता
और उसकी तैयारी का संकेत देती है। इस अध्ययन ने यह साबित किया है कि भारत अब न
केवल ग्रहों और रॉकेट अभियानों में, बल्कि सौर भौतिकी और
अंतरिक्ष मौसम विश्लेषण में भी वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर रहा है।
The News Grit, 17/07/2025
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