मध्यप्रदेश पुलिस ने आपातकालीन सेवाओं को एकीकृत रूप में और अधिक स्मार्ट तरीके से जनता तक पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज 14 अगस्त को कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, भोपाल में राज्य की नवीन आपातकालीन सेवा डायल-112 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक श्री कैलाश मकवाणा भी उपस्थित रहे। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (रेडियो/दूरसंचार) श्री संजीव शमी ने बताया कि यह कदम डायल-100 की गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाते हुए, इसे एकीकृत, स्मार्ट और बहु-एजेंसी आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवा में बदलने की दिशा में ऐतिहासिक पहल है।
एक कॉल, यह सभी मदद
डायल-112 के तहत अब विभिन्न आपातकालीन सेवाएं एक ही नंबर से उपलब्ध होंगी—
• पुलिस (100)
• स्वास्थ्य/एम्बुलेंस (108)
• अग्निशमन (101)
• महिला हेल्पलाइन (1090)
• साइबर क्राइम (1930)
• रेल मदद (139)
• हाईवे एक्सिडेंट रिस्पॉन्स (1099)
• प्राकृतिक आपदा (1079)
• महिला एवं चाइल्ड हेल्पलाइन (181, 1098)
यह सेवा बढ़ती आवश्यकताओं और बहु-एजेंसी समन्वय को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन की गई है, ताकि जनता को किसी भी आपात स्थिति में एक ही कॉल से संपूर्ण सहायता मिल सके।
तकनीकी रूप से उन्नत और सक्षम प्रणाली
नई डायल-112 प्रणाली को अधिक कुशल, बुद्धिमान और नागरिक-जागरूक बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है। इसमें रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग, डेटा एनालिटिक्स और IoT आधारित निगरानी एवं पूर्वानुमान क्षमता जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
• रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग से कॉल आने के तुरंत बाद नजदीकी FRV (फर्स्ट रिस्पॉन्स व्हीकल) की सटीक स्थिति पता चलती है, जिससे टीम को सबसे कम समय में मौके पर भेजा जा सकता है।
• डेटा एनालिटिक्स के जरिए पिछले मामलों और कॉल पैटर्न का विश्लेषण किया जाता है, जिससे अपराध या आपदा-प्रवण क्षेत्रों की पहचान कर पहले से सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जा सकती है।
• IoT आधारित निगरानी में वाहनों, कैमरों और सेंसर जैसे उपकरण इंटरनेट से जुड़े होते हैं, जो लगातार लाइव डेटा भेजते हैं। इससे सिस्टम संभावित खतरों का पूर्वानुमान लगाकर समय रहते अलर्ट जारी कर सकता है।
इन तकनीकों के माध्यम से यह प्रणाली केवल आपात स्थिति पर प्रतिक्रिया देने तक सीमित नहीं है, बल्कि संभावित खतरों का अनुमान लगाकर पहले से ही आवश्यक कदम उठाने में सक्षम है, जिससे नागरिकों की सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाया जा सकेगा।
नई डायल-112 की प्रमुख विशेषताएं
नई डायल-112 को अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर प्रबंधन सुविधाओं के साथ तैयार किया गया है, ताकि आपातकालीन सेवाएं तेज, सुरक्षित और अधिक पारदर्शी तरीके से लोगों तक पहुंच सकें। इसकी खास विशेषताएं इस प्रकार हैं—
1. उच्च क्षमता वाला कॉन्टैक्ट सेंटर – प्रत्येक शिफ्ट में 100 एजेंट कार्यरत रहेंगे, साथ ही 40 सीटों वाला विशेष डिस्पैच यूनिट तैनात रहेगा, जो कॉल प्राप्त होते ही नजदीकी FRV को भेजने की जिम्मेदारी निभाएगा।
2. आधुनिक कॉल एक्सेस प्रणाली – पारंपरिक PRI लाइनों की जगह अब SIP आधारित ट्रंक लाइन का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे कॉल कनेक्टिविटी और एक्सेस अधिक सहज और तेज हो जाएगी।
3. उन्नत रिपोर्टिंग और विश्लेषण टूल्स – बिजनेस इंटेलिजेंस (BI) और MIS रिपोर्टिंग सिस्टम की मदद से संचालन, प्रदर्शन और प्रतिक्रिया समय का गहन विश्लेषण किया जाएगा।
4. नंबर मास्किंग तकनीक – नागरिकों और FRV के बीच सीधे नंबर साझा किए बिना सुरक्षित संवाद सुनिश्चित होगा, जिससे गोपनीयता बनी रहेगी।
5. समग्र फ्लीट मैनेजमेंट सॉफ़्टवेयर – FRV वाहनों की स्थिति, रख-रखाव और संचालन की वास्तविक समय में निगरानी की जाएगी।
6. चैटबॉट और नॉन-वॉयस प्लेटफॉर्म – नागरिक बिना कॉल किए चैट या अन्य डिजिटल माध्यम से शिकायत दर्ज कर सकेंगे और उसकी स्थिति ट्रैक कर सकेंगे।
7. विशेष मोबाइल एप्लिकेशन – नागरिकों और पुलिस अधिकारियों के लिए विशेष मोबाइल ऐप्स।
8. मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (HRMS) – पुलिस कर्मियों की तैनाती और उपस्थिति की निगरानी के लिए बायोमेट्रिक आधारित डिजिटल सिस्टम लागू होगा।
9. वीडियो निगरानी उपकरण – FRV में डैशबोर्ड कैमरा और बॉडी वॉर्न कैमरा लगाए जाएंगे, जिससे कार्रवाई की पारदर्शिता बढ़ेगी और साक्ष्य रिकॉर्ड करने में आसानी होगी।
मध्यप्रदेश में डायल-112 सेवा (पूर्व में डायल-100 सेवा)
मध्यप्रदेश में 1 नवंबर 2015 को शुरू हुई डायल-100 भारत की पहली केंद्रीकृत, राज्य-व्यापी पुलिस आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवा थी, जिसने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में त्वरित और तकनीक-सक्षम सहायता उपलब्ध कराते हुए जन-सुरक्षा में नया मानक स्थापित किया। इसका संचालन भोपाल स्थित अत्याधुनिक सेंट्रल कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से किया गया। नागरिक टोल-फ्री नंबर 100 पर कॉल करते थे, जहां प्रशिक्षित कॉल-टेकर कंप्यूटर-सहायता प्राप्त डिस्पैच सॉफ्टवेयर के जरिए निकटतम उपलब्ध डायल-100 वाहन (FRV) की पहचान कर उसे तुरंत रवाना करते थे। इस सेवा के तहत 1,000 जीपीएस-सक्षम चार-पहिया FRV और 150 दो-पहिया इकाइयाँ तैनात थीं, जिन्हें मोबाइल फोन और मोबाइल डेटा टर्मिनल (MDT) से लैस किया गया था। कॉल सेंटर में लोकेशन बेस्ड सिस्टम (LBS) की सुविधा भी मौजूद है, जिससे आपात स्थिति में कॉलर की लोकेशन तुरंत ट्रेस की जा सकती है। पुलिस के ये इमरजेंसी वाहन अतिशीघ्र सहायता स्थल तक पहुंचते हैं, जिससे न्याय और सुरक्षा को जन-जन के द्वार तक पहुंचाने का संकल्प डायल-100 और अब डायल-112 के माध्यम से आगे बढ़ेगा।
डायल-100: आपातकालीन सहायता में 10 वर्षों की आंकड़े (आरंभ से जून 2025 तक)
• कुल प्राप्त कॉल: 8,99,04,390
• कार्यवाही योग्य कॉल: 2,07,91,177
• जिन पर त्वरित मदद पहुंचाई गई: 1,97,02,536
विशेष श्रेणी की सहायता
• वरिष्ठ नागरिकों को सहायता: 2,23,288 मामले
• महिला सुरक्षा से जुड़े त्वरित हस्तक्षेप: 19,71,396 मामले
• परित्यक्त नवजात शिशुओं का बचाव: 1,300 मामले
• सड़क दुर्घटनाओं में जीवनरक्षक सहायता: 12,48,621 मामले
• लापता बच्चों की रिपोर्टिंग व खोज: 27,112 मामले
• आत्महत्या और अवसाद से जुड़ी घटनाओं में समय पर हस्तक्षेप: 2,64,347 मामले
मध्यप्रदेश पुलिस की डायल-112 सेवा अब पुलिस, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, महिला हेल्पलाइन और अन्य आपात सेवाओं को एक नंबर पर जोड़ेगी। रीयल-टाइम लोकेशन, डेटा एनालिटिक्स और IoT तकनीक से लैस यह प्रणाली त्वरित मदद और खतरों का समय पर पता लगाने में सक्षम है। नागरिक जरूरत पड़ने पर ही कॉल करें, गलत कॉल से बचें और आसपास के लोगों को भी जागरूक करें, क्योंकि एक कॉल किसी की जान बचा सकती है।
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