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नागालैंड में जल सुरक्षा को नई दिशा—मिशन वाटरशेड की शुरुआत!

13 साल की खोज का वह पल, जिसे देखकर वैज्ञानिक रो पड़ा!!

इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के घने जंगलों में हाल ही में ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने वैज्ञानिक समुदाय के साथ–साथ आम लोगों को भी भावुक कर दिया। एक पर्यावरण शोधकर्ता, जिसने अपनी जिंदगी के 13 साल एक अनोखी प्रजाति की तलाश में लगा दिए, आखिरकार उस दुर्लभ फूल को अपनी आंखों के सामने खिलते हुए देख पाया। प्रकृति की इस अद्भुत घटना ने उन्हें भावनाओं से भर दिया और कैमरे में कैद यह पल इंटरनेट पर लाखों लोगों के दिल छू गया।

एक पल जिसने वैज्ञानिक को भीतर तक हिला दिया

इस पूरे अनुभव का केंद्र था रैफलेसिया हैसेल्टी—दुनिया की सबसे दुर्लभ फूल प्रजातियों में शामिल, जिसे देखना जीवनभर के अवसर जैसा माना जाता है। इस फूल को देख भावुक होने वाले शोधकर्ता हैं सेप्टियन आंद्रिकी, जिन्हें स्थानीय लोग डेकी के नाम से जानते हैं। उन्होंने बताया कि इतने वर्षों की खोज के बाद जब आखिरकार यह फूल पूरी तरह खिला, तो वे खुद को संभाल नहीं पाए और रो पड़े।

उनके अनुसार जिस चीज को देखने के लिए मैंने अपनी जीवन की इतनी बड़ी अवधि लगा दी, उसे अपनी आंखों के सामने खिलते देखना किसी चमत्कार से कम नहीं था।”

मौत का खतरा, लम्बा सफर और उम्मीद की आखिरी किरण

यह खोज किसी साधारण ट्रेक का परिणाम नहीं थी। डेकी और उनकी टीम स्थानीय रेंजर से मिली एक गोपनीय सूचना के आधार पर घने वर्षावन में उतरे थे। लगभग 23 घंटे तक कठिन रास्तों पर पैदल चलना पड़ा, जहाँ हर मोड़ पर बाघों और अन्य खतरनाक जानवरों का खतरा था। फोन की बैटरी खत्म होने का डर और अचानक बदलता मौसम इस यात्रा को और भी चुनौतीपूर्ण बनाता रहा। आखिरकार वे उस जगह पहुँचे, जहाँ कुछ महीने पहले इस फूल की कली दिखाई दी थी। लेकिन असली परीक्षा तब शुरू हुई जब उन्हें पता चला कि फूल अभी खिला ही नहीं है। सूर्यास्त नज़दीक था और यह इलाका बाघों की सक्रियता के लिए कुख्यात माना जाता है। इसके बावजूद डेकी ने पीछे हटने के बजाय इंतजार करने का फैसला किया—और यही साहसिक निर्णय आगे चलकर एक ऐतिहासिक क्षण में बदल गया।

चांदनी में खिलता ‘फूल’

टीम में शामिल यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड बोटेनिक गार्डन के उपनिदेशक डॉ. क्रिस थोरोगुड बताते हैं कि जैसे ही चंद्रमा आसमान में उभरा, फूल की पंखुड़ियां धीरे–धीरे खुलने लगीं।

उनके शब्दों में,"वह अनुभव किसी जादू से कम नहीं था। हमने अपनी आंखों के सामने उसे खिलते हुए देखा। यह पल मेरी यादों में ताउम्र जिंदा रहेगा।"

डॉ. थोरोगुड ने इस पूरे क्षण को कैमरे में रिकॉर्ड किया, और यही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। बताया जाता है कि जंगल में इस प्रजाति का खिला हुआ फूल पिछले दस–बारह वर्षों से किसी इंसान ने नहीं देखा था।

क्यों इतना अनोखा है यह फूल?

रैफलेसिया की दर्जनों प्रजातियां एशिया के उष्णकटिबंधीय वनों में मिलती हैं, लेकिन Rafflesia hasseltii सबसे दुर्लभ मानी जाती है।

इस फूल की कुछ अनोखी विशेषताएंः

·         इसका आकार लगभग एक मीटर तक फैल सकता है।

·         वजन 6 किलोग्राम से ज्यादा हो सकता है।

·         यह मांसल पंखुड़ियों वाला फूल सफेद पृष्ठभूमि पर बड़े–बड़े लाल धब्बों के साथ बेहद आकर्षक दिखता है।

·         सबसे खास बात इसमें पत्ते, तना और जड़ नहीं होते, यह पूरी तरह अपने मेजबान पौधे पर निर्भर रहता है।

·         कली बनने से लेकर खिलने तक का समय लगभग 9 महीने है, जबकि इसकी उम्र मात्र कुछ दिनों की होती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया में कई लोग कॉर्प्स लिली या रैफलेसिया के नाम से बड़े फूलों को जानते हैं, लेकिन हैसेल्टी जैसी दुर्लभता बहुत कम देखने को मिलती है।

जंगल में इंसानों से पहले जानवर देखते हैं इसे

इस दुर्लभ फूल का खिलना उस इलाके में हुआ, जो सुमात्रा बाघ और एशियाई गैंडों का प्राकृतिक आवास भी माना जाता है। डॉ. थोरोगुड ने हल्के मजाक में कहा कि शायद इंसानों से ज्यादा बाघों ने इस फूल को देखा होगा। इस मजाकिया टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर भी ध्यान खींचा, क्योंकि वास्तव में यह फूल मानव आँखों के सामने शायद ही कभी खिलते देखा गया है।

यह सिर्फ फूल का मिलना नहीं जंगल के भविष्य की उम्मीद है

रैफलेसिया की प्रजातियां तेजी से घट रही हैं। जंगलों का कटना, जलवायु परिवर्तन और वन्य जीवन के खतरे इसकी संख्या को कम कर रहे हैं। लेकिन डेकी जैसे लोग, जो अपना जीवन इन नायाब जीव–धरोहरों को खोजने और बचाने में लगा देते हैं, यह उम्मीद जगाते हैं कि पृथ्वी की जैव–विविधता अभी भी सुरक्षित की जा सकती है। इस खोज ने दिखा दिया कि प्रकृति में अभी भी ऐसी दुर्लभ घटनाएँ छिपी हैं, जिन्हें देखने के लिए जुनून, साहस और दृढ़ता की जरूरत पड़ती है और जब वह पल आता है, तो वह जीवनभर याद रह जाता है।

The News Grit, 29/11/2025

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