पंजाब सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अमृतसर की वॉल्ड सिटी, श्री आनंदपुर साहिब और तलवंडी साबो को ‘पवित्र शहर’ घोषित कर दिया है। गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित विशेष सत्र के दौरान पंजाब विधानसभा ने यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया। यह पहला अवसर था जब पंजाब विधानसभा का कोई विशेष सत्र श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित किया गया-वही पवित्र स्थान, जहां खालसा पंथ की स्थापना हुई और जहां गुरु गोबिंद सिंह जी ने लगभग 30 वर्ष व्यतीत किए।
राज्य सरकार
का कहना है कि इन तीनों शहरों की धार्मिक गरिमा, ऐतिहासिक महत्व और तख्त साहिब की उपस्थिति के कारण लोग लंबे समय से इन्हें
विशेष धार्मिक दर्जा देने की मांग कर रहे थे, जिसे अब सरकार
ने आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी है। इन शहरों में तीन प्रमुख तख्त साहिब स्थित
हैं अमृतसर में अकाल तख्त साहिब, तलवंडी साबो में तख्त श्री
दमदमा साहिब और श्री आनंदपुर साहिब में तख्त श्री केसगढ़ साहिब।
क्या-क्या
बदलेगा इन पवित्र शहरों में?
पवित्र शहर
का दर्जा मिलने के बाद सरकार इन क्षेत्रों में व्यापक सुधार करने जा रही है। शहरों
की साफ-सफाई को उच्च स्तर पर व्यवस्थित किया जाएगा और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या
को ध्यान में रखते हुए भीड़ और ट्रैफिक प्रबंधन को बेहतर किया जाएगा। पुरानी
गलियों और धार्मिक मार्गों को सुंदर और सुव्यवस्थित रूप देने पर जोर दिया जाएगा।
साथ ही,
किसी भी तरह की अवैध गतिविधि को रोकने के लिए निगरानी प्रणाली को
उन्नत किया जाएगा। कुल मिलाकर, इन शहरों को अधिक सुरक्षित,
नियंत्रित और सुव्यवस्थित वातावरण देने की तैयारी की जा रही है।
किन
चीजों पर होगी पूरी तरह रोक?
सरकार ने साफ
कर दिया है कि पवित्र शहरों की सीमा के भीतर अब शराब का सेवन और बिक्री पूरी तरह
बंद होगी,
मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक रहेगी, तंबाकू और सभी प्रकार के नशीले पदार्थ भी पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे।
इसके साथ ही ऐसे किसी भी आयोजन, पोस्टर या गतिविधि की अनुमति
नहीं होगी, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचा सकते हों। यानी,
इन शहरों में ऐसा कोई भी काम नहीं चल पाएगा जो उनके धार्मिक और
सांस्कृतिक माहौल को प्रभावित करे।
कानून
की नजर से यह दर्जा क्या है?
भारत में
किसी शहर को ‘पवित्र शहर’ घोषित करने के लिए कोई अलग केंद्रीय कानून नहीं है। हालांकि,
Places of Worship Act, 1991 पूजा स्थलों के धार्मिक स्वरूप को बनाए
रखने की अनुमति देता है। इसका मतलब धार्मिक शहर का दर्जा राज्य सरकार अपनी नीतियों
और प्रस्तावों के आधार पर दे सकती है।
विशेष
सत्र श्री आनंदपुर साहिब में क्यों हुआ?
सरकार ने
विशेष सत्र के लिए श्री आनंदपुर साहिब को इसलिए चुना क्योंकि यह स्थान सिख इतिहास
की महान विरासत को समेटे हुए है। यहीं गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म और मानवाधिकारों
की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था। इसी पवित्र धरा पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने
खालसा पंथ की स्थापना की और यहीं तीन साहिबजादों का जन्म हुआ,
जिनकी शहादत आज भी इतिहास में अमिट है। यही कारण है कि यह फैसला
केवल प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और ऐतिहासिक
दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अमृतसर की
वॉल्ड सिटी, तलवंडी साबो और श्री आनंदपुर
साहिब को “पवित्र शहर” घोषित करना पंजाब की धार्मिक, ऐतिहासिक
और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने की दिशा में बड़ा फैसला है। अब इन शहरों में
साफ-सुथरा, शांत और अनुशासित माहौल तैयार करने पर जोर होगा,
ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इनकी पवित्रता और विरासत को समझ सकें।
The News Grit, 26/11/2025

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