सागर जिले में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के प्रदर्शन में सुधार लाने के उद्देश्य से रेजिंग एंड एक्सलेरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस (रैम्प) योजना के तहत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन होटल दीपक, सिविल लाइंस, सागर में किया गया। इस कार्यशाला में जिले के विभिन्न उद्योग संघों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ज़ीरो डिफेक्ट ज़ीरो इफेक्ट (ज़ेड) योजना, लीन मैन्युफैक्चरिंग प्रतिस्पर्धात्मकता योजना (एलएमसीएस), बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), और व्यापार प्राप्य इलेक्ट्रॉनिक डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) के प्रति जागरूकता फैलाना था।
कार्यशाला की शुरुआत जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र, सागर की महाप्रबंधक सुश्री मंदाकिनी पांडे के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने रैम्प योजना के उद्देश्य, मध्य प्रदेश सरकार की भूमिका और इसमें स्थानीय उद्योगों के लिए संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके बाद, ज़ेड योजना के विशेषज्ञ श्री अमन बंसल ने इस योजना के लाभों और क्रियान्वयन पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि ज़ेड सर्टिफिकेशन प्राप्त करने से उद्योगों की गुणवत्ता और पर्यावरणीय प्रभाव में सुधार होगा। उन्होंने स्थानीय उद्यमियों से ज़ेड सर्टिफाइड बनने का आग्रह किया और इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया की जानकारी भी साझा की।
उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण सत्र में राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद के विशेषज्ञ श्री बी. प्रभाकर ने लीन मैन्युफैक्चरिंग प्रतिस्पर्धात्मकता योजना (एलएमसीएस) पर एक विशेष सत्र का संचालन किया। उन्होंने बताया कि इस योजना के माध्यम से एमएसएमई अपने उत्पादन की दक्षता को बढ़ा सकते हैं और लागत को कम कर सकते हैं। उन्होंने इस योजना के तहत प्राप्त होने वाली सरकारी सहायता और सब्सिडी की भी जानकारी दी।
बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पर डॉ. अजय चौबे ने सत्र का संचालन किया, जिसमें उन्होंने पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और डिज़ाइन से संबंधित प्रक्रियाओं की जानकारी दी। उन्होंने उद्योगपतियों से बौद्धिक संपदा के संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की अपील की, ताकि उनके उत्पाद और सेवाएं कानूनी रूप से सुरक्षित रह सकें।
इस कार्यशाला में सागर के प्रमुख उद्योगपतियों, जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र के अधिकारियों, विभिन्न उद्योग संघों और उद्यमियों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला को एमएसएमई के विकास के लिए अत्यंत लाभकारी बताया। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने ज़ेड सर्टिफिकेशन, लीन मैन्युफैक्चरिंग और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों पर खुली चर्चा की। उन्होंने सुझाव दिया कि इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन नियमित रूप से किया जाना चाहिए ताकि उद्योग जगत को सरकारी योजनाओं की अद्यतन जानकारी मिल सके और वे अधिक प्रभावी ढंग से इनका लाभ उठा सकें।
कार्यशाला के अंत में महाप्रबंधक सुश्री मंदाकिनी पांडे ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और एमएसएमई के उन्नयन में सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने उद्योगों से आग्रह किया कि वे सरकार की इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएं और अपने व्यवसाय को नई ऊंचाई पर ले जाएं। इस एक दिवसीय कार्यशाला ने सागर जिले के एमएसएमई क्षेत्र में जागरूकता और नई संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त किया। प्रतिभागियों ने ज़ेड, लीन और आईपीआर जैसी योजनाओं को आत्मसात कर अपने उद्योगों को नई दिशा देने का संकल्प लिया।
- The News Grit, 18/12/2024
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