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वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी की पुण्यतिथि सागर विश्वविद्यालय में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन!

वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी का जन्म 16 अगस्त, 1831 को मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के मनकेहड़ी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम राव जुझार सिंह था और माता का नाम कृष्णा बाई था। वे लोधी परिवार से थीं।

रानी अवंतीबाई लोधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक वीरांगना थीं, जिन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध साहसिक संघर्ष किया। वे बाल्यकाल से ही तेजस्वी और वीर स्वभाव की थीं। विवाह के पश्चात वे रामगढ़ की रानी बनीं, लेकिन दुर्भाग्यवश उनके पति विक्रमादित्य लोधी अस्वस्थ हो गए, जिसके बाद राज्य की बागडोर रानी अवंतीबाई ने संभाली। जब अंग्रेजों ने राज्य की सत्ता हथियाने की कोशिश की, तब उन्होंने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद बहादुरी से उनका मुकाबला किया। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में वे प्रमुख योद्धाओं में से एक थीं। अपने सैन्य नेतृत्व और संघर्ष की भावना के कारण वे इतिहास में अमर हो गईं। 20 मार्च 1858 को उन्होंने अंग्रेजों से हार न मानते हुए स्वयं बलिदान दे दिया।

पुण्यतिथि कार्यक्रम का आयोजन - रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय, सागर में वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी की पुण्यतिथि पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर रानी अवंतीबाई लोधी के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. विनोद कुमार मिश्रा ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने रानी अवंतीबाई लोधी के पराक्रम, साहस, वीरता और देशभक्ति की भावना से प्रेरणा लेने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जन्मतिथि और पुण्यतिथि केवल आयोजन तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि हमें उनके जीवन संघर्ष और योगदान को जानकर उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार को भी बधाई दी कि अमृतकाल के 75वें वर्ष में विस्मृत वीरांगनाओं और विभूतियों को याद किया जा रहा है।

विशिष्ट वक्ताओं के विचार  - कुलसचिव प्रो. शक्ति जैन ने विश्वविद्यालय की स्थापना में मध्य प्रदेश शासन और अन्य अधिकारियों के योगदान को स्मरण किया तथा रानी अवंतीबाई के बलिदान को गौरवपूर्ण बताया। सहायक कुलसचिव श्री पंचम सनौडिया ने उनके स्वतंत्रता आंदोलन में दिए गए योगदान पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के वित्ताधिकारी श्री अभयराज शर्मा ने उनके जीवन से जुड़ी विभिन्न घटनाओं और उनके ऐतिहासिक पक्ष को रेखांकित किया।

प्रो. रेनूबाला शर्मा ने रानी अवंतीबाई लोधी के बलिदान और समर्पण से प्रेरणा लेने का संदेश दिया। प्रो. रजनी दुबे ने कहा कि यदि हमें सूर्य की तरह चमकना है तो सूर्य की तरह तपना भी होगा। डॉ. उदित मलैया ने संक्षिप्त जीवनी प्रस्तुत की। डॉ. सिद्धि त्रिपाठी ने उनके बलिदान और सामाजिक, राजनैतिक संघर्ष पर विचार व्यक्त किए। डॉ. श्रद्धा सोलंकी ने उनके सामाजिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पक्ष पर प्रकाश डाला।

डॉ. दिनेश अहिरवार ने उनकी वीरता और देशभक्ति की भावना को अनुकरणीय बताते हुए एक कविता का वाचन किया। विद्यार्थी संजय अहिरवार ने कविता पाठ किया एवं अभय राजपूत ने गीत की संगीतमय प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम का सफल संचालन और समापन  - कार्यक्रम का संचालन डॉ. अल्का पुष्प निशा ने किया और आभार व्यक्त डॉ. मिथलेश शरण चौबे ने किया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव श्री अमन अग्रवाल, डॉ. एम. के. मिश्राा, डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, डॉ. मुकेश अहिरवार, डॉ. भावना पटेल, डॉ. स्वर्णलता तिवारी, डॉ. पूर्वी जैन, डॉ. ब्रजेश रिछारिया, डॉ. चंदन सिंह, डॉ. सिम्मी मोदी, डॉ. प्रिया सिंह, श्री आर्यन सिंह राजपूत, श्री शीतल सोनी सहित विश्वविद्यालय के कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया।

रानी अवंतीबाई लोधी का जीवन संघर्ष और उनका बलिदान सदैव हमें राष्ट्रभक्ति, साहस और संघर्ष की प्रेरणा देता रहेगा।

The News Grid, 21/03/2025

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